नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले युवाओं में सबसे बड़ी उम्मीद रोजगार दिलाने के रूप में जगाई थी। सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक, वर्तमान सरकार के रोजगार सृजन पर जोर देने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने मई 2014 में अपना कार्यकाल शुरू होने के बाद से भारत की बेरोजगारी की दर में मामूली वृद्धि दर्ज कराई है।
श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2009-2010 की तुलना में वर्तमान में रोज़गार पैदा होने में 84 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसके अनुसार जहां 2009-2010 में 8 लाख 70 हज़ार नए लोगों को रोज़गार मिला था, वहीं 2016 में सिर्फ़ 1 लाख 35 हज़ार नए रोज़गार पैदा हुए।
आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में बेरोजगारी की दर श्रम शक्ति का 5% रही जो बीजेपी के सत्ता संभालने से एक साल पहले 2013-14 में 4.9% थी। देश में बेरोजगारी का आलम क्या है, यह इसी आंकड़े से समझा जा सकता है कि पिछले 30 सालों में भारत में सिर्फ 70 लाख नए रोज़गार ही आए, जबकि ज़रूरत ढाई करोड़ हर साल नई नौकरियों की थी।
2013 में आगरा में एक रैली को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भाजपा चुनाव जीती तो 10 मिलियन नौकरियों का निर्माण करेगी लेकिन श्रम मंत्रालय के आंकड़ों आंकड़ों की माने तो रोजगार इस सरकार के तीन साल में तेजी से घटे हैं।
आंकड़ों की माने तो जुलाई 2014 और दिसंबर 2016 के बीच विनिर्माण, व्यापार , निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य , सूचना प्रौद्योगिकी, परिवहन और आवास सहित आठ प्रमुख क्षेत्रों में 641,000 नौकरियां मिली। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इसकी तुलना में जुलाई 2011 से दिसंबर 2013 के बीच इन क्षेत्रों ने 1.28 मिलियन नौकरियों दी।