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सामाजिक की किताबें

विभिन्न विषयों पर सामाजिक पुस्तकों को पढ़ें Shabd.in पर। हमारा यह संग्रह समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। इस संग्रह की मदद से हम पारिवारिक रिश्ते, जात-पात, अमीर-गरीब, दहेज, रंग भेद जैसे कई मुद्दों पर समाज को रौशनी दिखाने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा भी भौगोलिक स्थिति के वजह से हाशिये पर रहे समाज की स्थिति पर भी हम समीक्षा देते हैं। तो चलते हैं समाजिक पहलुओं पर चेतना जगाने Shabd.in के साथ।
"निर्मल काव्य मधु-रस"

"निर्मल काव्य मधु-रस"

Nirmal

मैं जीवन के वास्तविक अनुभवों को, कलम रुपी लेखिनी के द्वारा शब्दों के मोतियों को अनुभव रुपी धागे में पिरोकर एक निर्मल माल्यार्पण पाठकों को करना चाहता हूं । सर्वप्रथम पाठकों को सम्मान प्रदान करते हुए , मैं उन्हें जीवन की वास्तविकताओं व गूढ़ रहस्यों से

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₹ 132/-

"निर्मल काव्य मधु-रस"

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मैं जीवन के वास्तविक अनुभवों को, कलम रुपी लेखिनी के द्वारा शब्दों के मोतियों को अनुभव रुपी धागे में पिरोकर एक निर्मल माल्यार्पण पाठकों को करना चाहता हूं । सर्वप्रथम पाठकों को सम्मान प्रदान करते हुए , मैं उन्हें जीवन की वास्तविकताओं व गूढ़ रहस्यों से

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शेख़ सादी

शेख़ सादी

मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। शेख़ सादी मुंशी प्रेमचंद ने इस नाटक में शेख़ मुसल

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शेख़ सादी

शेख़ सादी

मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। शेख़ सादी मुंशी प्रेमचंद ने इस नाटक में शेख़ मुसल

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कितने श्रवण कुमार

कितने श्रवण कुमार

Life ruiner

कहानी का तीसरा अंक प्रकाशित हुआ

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उपन्यास शब्दों की सर्जरी

उपन्यास शब्दों की सर्जरी

Dr Vasu Dev yadav

शब्द अपने आप में एक विशाल समुद्र है यह अपने गर्भ में असंख्य हीरे मोती एवं ज़हर की पोटली समाए रखते है एक शब्द युद्ध की नींव रख सकता है तो एक शब्द वात्सल्य की गंगा बहा सकता है । इस पवित्र गंगा को मैली करने का सामर्थ्य शब्दों में ही तो है। यह

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उपन्यास शब्दों की सर्जरी

उपन्यास शब्दों की सर्जरी

Dr Vasu Dev yadav

शब्द अपने आप में एक विशाल समुद्र है यह अपने गर्भ में असंख्य हीरे मोती एवं ज़हर की पोटली समाए रखते है एक शब्द युद्ध की नींव रख सकता है तो एक शब्द वात्सल्य की गंगा बहा सकता है । इस पवित्र गंगा को मैली करने का सामर्थ्य शब्दों में ही तो है। यह

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शर्तें लागू

शर्तें लागू

दिव्य प्रकाश दुबे

आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज

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शर्तें लागू

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दिव्य प्रकाश दुबे

आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज

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भँवर(उपन्यास)

भँवर(उपन्यास)

आकाँक्षा जादौन

ईश्वर ने श्रष्ठी की श्रेष्ठ रचना की हैं।भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव जन्तु बनायें है।सबसे प्रखर बुद्धि से परिपूर्ण विकसित मानव की रचना की हैं।अपनी बुद्धि, विवेक,साहस का प्रयोग करके असम्भव को सम्भव करने में सक्षम रहा है ।...और भविष्य में होता रहेगा। शदि

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आकाँक्षा जादौन

ईश्वर ने श्रष्ठी की श्रेष्ठ रचना की हैं।भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव जन्तु बनायें है।सबसे प्रखर बुद्धि से परिपूर्ण विकसित मानव की रचना की हैं।अपनी बुद्धि, विवेक,साहस का प्रयोग करके असम्भव को सम्भव करने में सक्षम रहा है ।...और भविष्य में होता रहेगा। शदि

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रेती के फूल

रेती के फूल

रामधारी सिंह दिनकर

ज़िन्दगी के असली मजे उनके लिए नहीं हैं जो फूलों की छांह के नीचे खेलते और सोते हैं । बल्कि फूलों की छांह के नीचे अगर जीवन का कोई स्वाद छिपा है तो वह भी उन्हीं के लिए है जो दूर रेगिस्तान से आ रहे हैं जिनका कंठ सूखा हुआ, होंठ फटे हुए और सारा बदन पसीने स

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रेती के फूल

रेती के फूल

रामधारी सिंह दिनकर

ज़िन्दगी के असली मजे उनके लिए नहीं हैं जो फूलों की छांह के नीचे खेलते और सोते हैं । बल्कि फूलों की छांह के नीचे अगर जीवन का कोई स्वाद छिपा है तो वह भी उन्हीं के लिए है जो दूर रेगिस्तान से आ रहे हैं जिनका कंठ सूखा हुआ, होंठ फटे हुए और सारा बदन पसीने स

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गरीबी में डॉक्टरी

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कविता रावत

यह पुस्तक मेरी कहानियों का प्रथम संग्रह है, जहाँ मेरे द्वारा कुछ कहानियों में शहरी और ग्रामीण अंचलों में व्याप्त व्यथा-कथा का चित्रण तो कुछ में ऐतिहासिक और आधुनिक सामाजिक पृष्ठभूमि का ताना-बाना बुनते हुए चमत्कारिक भाषा-शैली के स्थान पर सीधे-सरल शब्दो

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ayodhyasingh

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काव्यान्जलि

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अल्फाजों के शहर मे

अल्फाजों के शहर मे

Nikitakshi Pusalkar

नमस्कार वाचकों , मैंने अपनी किताब में अपने अनुभवों के लफ़्ज़ों से जज़्बात के हर पहलू को दर्शाया हैं , मैं इन कविताओं के माध्यम से आप वाचकों को ज़िंदगी कि सैर करवाऊंगी , मुझे उम्मीद है यह सफ़र आपका दिल छू लेगा.……

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नव जीवन का आरंभ

नव जीवन का आरंभ

Trilok kumar

इस किताब मे जीवन के बारे मे सारे फैक्ट और बरीकियौ को देखा जा सकता है। बहुत है जोशीला कविता और भी बहुत कुछ। जो के जीवन के गुण को दर्शाया है

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Poem

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Ashok prajapat

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए टूटे से फिर ना जुड़े जुड़ गांठ पर जाय ये। दोहे h

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रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए टूटे से फिर ना जुड़े जुड़ गांठ पर जाय ये। दोहे h

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मानसरोवर भाग  3

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मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहा

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मानसरोवर भाग  3

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मुंशी प्रेमचंद

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मानसरोवर भाग  4

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मुंशी प्रेमचंद

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मुंशी प्रेमचंद

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मानसरोवर भाग  5

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मुंशी प्रेमचंद

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मुंशी प्रेमचंद

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अधुरा सपना

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बहादुर बेदिया

जीवन में कुछ करने को ठाना था दूर स्थित मंजिल को मुझे पाना था जिंदगी में यही तो अपना ठिकाना था इसी सोच लिए तो मुझे आगे बढ़ना था क्या यह मेरा सपना अधूरा था? शायद एक दिन इसे पूरा होना था मुझे अपनी मंजिल को गले लगाना था मंजिल की खोज में रास्ते भटकना था

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जीवन में कुछ करने को ठाना था दूर स्थित मंजिल को मुझे पाना था जिंदगी में यही तो अपना ठिकाना था इसी सोच लिए तो मुझे आगे बढ़ना था क्या यह मेरा सपना अधूरा था? शायद एक दिन इसे पूरा होना था मुझे अपनी मंजिल को गले लगाना था मंजिल की खोज में रास्ते भटकना था

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मानसरोवर भाग  6

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shivduttshrotriya

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शिवदत्त

कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय<br style="color: rgb(34, 34, 34); font-family: Georgia, Utopia, 'Palatino Linotype', Palatin

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शिवदत्त

<p><span style="font-size: 15.4px; color: rgb(102, 102, 102); font-family: mangal, serif; line-height: 21.56px;">कवि:-&nbsp;शिवदत्त&nbsp;श्रोत्रिय</span></p><br style="color: rgb(34, 34, 34); font-family: Georgia, Utopia, 'Palatino Linotype', Palatin

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स्त्री के अनकहे जज़्बात

स्त्री के अनकहे जज़्बात

Dolly Prasad

इसमे स्त्री की विमर्शता एवं मन के भावो को अपनी क़लम के माध्यम से व्यक्त किया हैं.

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घर    का     भेदी

घर का भेदी

निक्की तिवारी

घर का भेदी, लंका ढाये, अपने घर कि बात, हर घर जाकर बताएं, मंदिर से जाकर शंख बजायें, पर सबकी नजरों से ना, बच पायें जगह - जगह अपनी, बात फैलायें घर का

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