(भूमिका) सबसे पहले तो मैं अपने पाठकों को 👉 इस पुस्तक में लिखी गई है आपकी बॉडी पासवर्ड क्या है आप इसके बारे में जरूर जानेंगे मुझे आशा है कि आपकी यह अनोखी जानकारी होगी, यह मेरे बचपन से अनुभव की गई बातें हैं जो आर्टिकल्स के द्वारा तथा कुछ विज्ञा
हम परदेसी हो गए चले थे रोटी की तलाश में कहाँ के थे कहाँ के हो गए हम परदेसी हो गए उलझे इस कदर इस तानेबाने में बेवफा बेमुरव्वत इस जमाने मे मिला किसी हसीन का दामन दामन थाम के सो गए हम परदेसी हो गए चलते चलते इस जिंदगी की शाम हो गई वो बचपन की यादें किसी क
ये कहानी है लक्ष्मी की जो 19 या 20 साल की होगी जिसका दिल दिमाग सब कुछ उसकी मां के कंट्रोल में है और उसकी शादी संजय से हो जाती है । आगे क्या होता है उसकी जिंदगी में ये वो खुद भी नही जानती : लक्ष्मी सुनो बेटा आज तुम्हे लडके वाले देखने आने वाले है तो
साहित्य में स्त्री विमर्श एक ऐसा शब्द है जिस पर विचार मंथन हर काल में किया गया है। स्त्री समाज का ऐसा हिस्सा है जिसने अपने जीवन के हर कदम मे अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए संघर्ष किया है। पितृसत्तामक समाज मे स्त्री को रीति रिवाज की बेडियो मे जकड
बड़े-बड़े कवियों के माना बीच आए हैं, विद्वता का परचम दुनिया में लहराए हैं! नाक में नकेल नहीं काहे का भन्नाए हैं, अवधी छल कपट कब किसने दिखाए हैं।। जाने कब आनंद की बंसी बजाए हैं, राम जी का परम धाम देखने आए हैं? गुनाहों से तौबा कर के सरयू में नहाए हैं
इस पुस्तक में आपको प्रेम में वियोग रस संयोग रस देखने को मिलेगा.... इसे प्रेमियों के लिए एक दवाई रूप में समझा जाये तो अच्छा होगा Note: - कोई पढ़े ना पढ़े... लेकिन आशिक..... प्रेमी जरूर पढ़े..... मेरा दावा है आप मंत्र मुग्ध हों जाओगे....... और मेरी पुस
अपने जीवन के आस पास घटित व अनुभूत, घटनाओं व अनुभवों का शब्दों में अभिव्यक्ति का प्रयास ही "कहानी" के रूप में रूपांतरण है...🙏
लम्हे एक परिचय यह संकलन उन यादों से सुसज्जित है जो हम हर लम्हा याद कर मुस्कुराया करते है या कभी हमारी तन्हाई के वो हमारे साथी बन जाते है । लेखकों ने विभिन्न रचनाओं से अपनी लम्हो की सुनहरी दास्तान को अपने शब्दों से सजाने का प्रयास किया है । आशा कर
मैंने अपने छोटे से जीवनकाल में विचारों की प्रखरता, अनुभवों की गठरी और ज्ञान के विविध आयाम अपने पिता से विरासत में पाये हैं। आज उनके आकाशीय आशीर्वाद के फलस्वरूप शुभ दिन सम्भव हुआ है कि काव्यदीप की साहित्यिक यात्रा में एक मील का पत्थर रखा जा रहा है। 'क
यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसका प्यार में मिले धोखे की वजह से इससे विश्वास उठ चुका है। उसे प्यार शब्द से भी नफ़रत है। अब उसे सिर्फ जीने की एक वजह तलाशनी है। वो वजह, वो मंज़िल उसे कैसे मिली जानने के लियर कहानी को अंत तक पढ़ें।
संदीप की कलम से कविताए ही कविताए। पढिए व जीए सब एहसास । जो है खास। जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण।
भाग- 01 आज जब उसका राज्य प्रसाशनिक सेवा की परीक्षा का परिणाम आया था और वह इसमें डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हुआ था । घर में सभी लोग बहुत खुश थे कि बेटा बड़ा अधिकारी बन गया
मेरी कुछ चुनी हुई कविताओं का संकलन आपके लिए