घर का भेदी, लंका ढाये, अपने घर कि बात, हर घर जाकर बताएं, मंदिर से जाकर शंख बजायें, पर सबकी नजरों से ना, बच पायें जगह - जगह अपनी, बात फैलायें घर का
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहा
पहली पंक्ति उत्साह बढ़ाती है, अंतिम पंक्ति सार बताती है
कवि जब अपने में खो जाता है समंदर सा गहरा हो जाता है अपनों से क्या नाता गैरों से भी रिश्ता जोड़ जाता है कवि प्रदीप कुमार सहारनपुर शाकुंभरी देवी
पुस्तक में पश्चिमी सभ्यता और भारतीय संस्कृति की विरोधाभासी समानता का मनोरंजक वर्णन है।
मेरी भावनाएं जो विखर कर महकना चाहें
इस किताब में जो भी कविताएं संकलित है सभी मेरे अंतर्मन से निकले विचार हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की देन है, इस पुस्तक को आप सभी पाठकों से स्नेह मिलेगा यही मेरी कामना है धन्यवाद 🙏
धनतेरस पर्व क्यों मनाया जाता है उसकी कहानी है
इस पुस्तक में आपको कविता-कहानी पढ़ने को मिलेगी जो मौलिक एवम अप्रकाशित होंगी।
oLr qr% ;g ldy l`f’V vkyksd vkSj ÅtkZ ds dkj.k mlh d s lgkj s xfr”khy gSA lH;rk vkSj laLd `fr d s fodkl d s ewy esa vkyksd gh gSA ekuo l`f’V ds vkfne dky esa rc rd thou Fkek gqvk Fkk] tc mls vfXu ds :Ik esa izdk”k] rki vkSj ÅtkZ dk lzksr izkIr gk
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय यथार्थवाद को लेकर साहित्य क्षेत्र में उतरे थे। यह लगभग बंगला साहित्य में नई चीज़ थी। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने लोकप्रिय उपन्यासों एवं कहानियों में सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया था, पिटी-पिटाई लीक से हटकर सोचने को बाध्य क
साधु की धुनी💎"पवित्र विचार" 🌍🔥🔥🔥🌺💥💎💥💥💦🌹 पावन रखियो हे परमेश्वर (मेंरे) मन चित वाणी विचार । पवित्र संत की धुणी मे ज्यो फरके नही कोई विकार 🔥🙏💎🌍🌱🔥😍🏵💦💥💎 हे परम पिता परमेश्वर आप सदा मुज पर दयाभाव र
यह दीपावली में सुरन की सब्जी क्यों बनती है उस पर आधारित हैं
यह भी कहा जाता है कि शरतचंद्र का उपन्यास 'श्रीकांत' मुजफ्फरपुर में उस स्त्री से उनके मिलन की घटना पर आधारित है जिसका नाम उपन्यास में राजलक्ष्मी उर्फ़ प्यारी है. उसे एक तवायफ के रूप में दिखाया गया है. उपन्यास में एक प्रसंग आता है जिसमें श्रीकांत एक जम
पथेर दावी’ उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। जिस समय इस उपन्यास का प्रथम संस्क
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। मुहल्ले में घूमने-फिरने के बाद रासमणि अपनी नातिन के साथ घर लौट रह