हिन्दी साहित्य में महावीर प्रसाद द्विवेदी का मूल्यांकन तत्कालीन परिस्थितियों के सन्दर्भ में ही किया जा सकता है। वह समय हिन्दी के कलात्मक विकास का नहीं, हिन्दी के अभावों की पूर्ति का था। इन्होंने ज्ञान के विविध क्षेत्रों- इतिहास, अर्थशास्त्र, विज्ञान,
यह कहानी एक ऐसी लड़की के बारे में है जिसे अपने जीवन के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है पर उसे ऐसा लगता है कि उसके साथ कुछ ना कुछ जरूर होगा जो सबसे अलग होगा पर क्या होगा यह उसे पता नहीं होता है उसके जीवन के साथ एक रहस्य जुड़ा होता है जो उसे आगे चलकर
यह मेरी मौलिक कविताओं का संकलन है जिसयें जीवन के विविध भावों और और रंगों का समावेश विभिन्न काव्य विधाओं में करने.का एक लघु प्रयास है।
यह पुस्तक आपके हलचल एवं तनाव भरे जीवन में स्थायित्व तथा आनंद का संचार करने में पूर्णतया सक्षम है। यह एक संग्रह पुस्तक है। जिसे एक कठिन परिश्रम,अल्प संसाधन में आप तक पहुंचाने में प्रयत्न का प्रयास किया जा रहा है। इस पुस्तक की एक-एक पंक्ति आपके जीवन को
रिवेंज: एन अनप्रीडिक्टेबल लाइफ - इंट्रो सत्या सिन्हा - उम्र करीब साढ़े 21 साल। इंडियन आर्मी की बिग फैन। आर्मी में जाना इसका ड्रीम है। काफी समझदार और थोड़ी सी चुलबुली। इसको हर टाइम फालतू बात बकना ज्यादा अच्छा लगता है। ये प्रयागराज
यह पुतस्क आज के युवाओं की सोच की व्याख्या तुलनात्मक ढंग से प्रस्तुत करती है। आज हमारी युवा पीढ़ी अपने लक्ष्य से भटक गयी है। उन्हें किसी की भावनाओं की परवाह नही, वे आज इलेक्ट्रॉनिक के युग मे जी रहे जिसका असर ये है कि उनका दिल और दिमाग दोनों एक रोबोट की
आप सभी साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम, मैं जयदेव टोकसिया हरियाणा मेरी जन्मस्थली है मुझे कविताएं लिखना अच्छा लगता है , मेरी कुछ कविताएं पत्र - पत्रिकाओं में छपती रहती है इस पुस्तक में मैं अपनी समस्त काव्य रचनाओं को एक साथ पिरौने कि पूरी कोशिश
शीत काल में ठंड ना लागे, सम्मर में साँप से डर ना लागे, खाने को दाने ना, पुलिस थाने ना, भर्ती होना आसान नहीं, जवानों का दर्द कोई जाने ना । दौर - दौर के छाले पयरों में, हित-नात की बातें दिलों में, होठों से होठ दबोच आँशु नयनों में, शौक है किसका डूब जान
धर्म की आड़ में देश में ज़हर घोलने वाले लोगों को समझना होगा कि भारत एक ऐसा देश है जिसके बारे में सुनने वाला जान जाता है कि एक ऐसे देश का नाम लिया जा रहा है जिसमे बहुत से धर्म और परंपराओं का मिलजुला सार है, इसीलिए हमारी कोशिश है कि हम देश में बढ़ रही
कि तू बस छोड़ दे साथ मेरे , मुझे तुझसे कोई गिला नहीं । और दोबारा सताने लगी है तू मुझे, ऐ जिन्दगी तुझे कोई और मिला नहीं ।
नमस्कार पुस्तक नाम - वीणा की झनकार परिचय - इस पुस्तक में आपको कवि विमल कुमार प्रजापति के द्वारा स्वरचित कविता गीत और कुछ मुक्तक मिलेगे। जिनमे से कुछ प्रेरणा पद और अधिकतर मोहब्बत के मुक्तक एवं शायरी मिलेंगी। आप लोग मेरे इन मुक्तकों को पढ़िए और दिलपूर
अपनों की दुनिया में भी अजीब सा मंजर होता है, जिन्हें निहत्था समझें अक्सर उन्हीं के पास खंजर होता है, घाव तो इतना गहरा देते हैं जितना की समुंदर भी नहीं होता है, फिर भी मुस्कुराकर जो विपरीत धाराओं का रुख मोड़ दे वही तो सिकंदर होता है,
रामभरोसे एक छोटा किसान है। दिर्ग शहर के बाहर के हिस्से में 5 एकड़ जमीन है।जिसे दुर्ग नगर निगम कानूनी रूप से अधिगृहित किये बिना अपने कब्जे में लेकर एक बगीचा बनाना प्रारंभ कर देता है। राम भरोसे इसके विरोध मेँ कै जगह गुहार लगाता है। पर कहीं उसकी सु
की बैठा हूँ बाजार में कोई तो मेरा दिल का मोल दो टूटा हुआ है दिल मेरा कोई तो उसको जोड़ दो। वो कहते है बिकते है बाजार मे हजारो दिल तुम्हारे जैसे उसने तोड़ा है दिल मेरा कोई तो उसका दिल तोड़ दो।।
पिने बैठा हू, साथ मै गम लिये!.................... ग्लास मै पानी, सोडा
यह एक एक भिखारिन की कहानी है लोग उसका उपयोग कैसे करते हैं
जब मेरे शब्द मन के भावों से सन कर काव्य रूप में कागज पर उतर जाएं तो काव्य मंजरी की रचना होती है।
किताब एक गांव में रहने वाले भगत जी के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें उनके जीवन में घटी घटनाओं और उनके बांसुरी के प्रेम को दिखाया गया है।तो कौन हैं ये भगत........ आइए जानते हैं