एक ऐसी लड़की की कहानी जिसे पैदा होने से पहले ही शापित किया गया। कौन और कैसे उसे शाप मुक्त करता है जानने के लिए पढ़ें। *शापित कन्या*
ये कहानी एक ऐसे डॉक्टर कि है जिस के साथ ऐसा डरावना वाक्या पेश आया जिस ने उस कि जिंदिगी को बदल कर रख दिया.. हमारी दुनिया मे कुछ ऐसा भी होता है जिस पर कभी कभी यकीन करना बहुत मुश्किल हो जाता है..
“लाज़” एक शब्द नही बल्कि औरत का वह कीमती आभूषण है , और समाज औरत को यह शिक्षा देता है कि वह पूरे जीवन इसकी रक्षा करे, पर ऐसा देखा गया है कि जो समाज औरत को यह शिक्षा देता है, औरत को उसी समाज से अपनी लाज़ को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं। यह रचना समा
मेरे जीवन के अनुभवों से निर्मित अहसास की दुनिया के कुछ शब्द ,जो गजल के रूप में ढलकर मेरे दिल से फूट पड़े !
यह पुस्तक मेरी कविताओं का संग्रह है। सभी पढ़ें और आनंद लें।
तू वीर है या वीणा सह जाती है सब पीड़ा करुण तरंगों को सहना है क्या तेरे लिए क्रीडा ? नर देता बांध तुझ पर करुणा के डोर को तू शाह समझ लेती क्यों इस चोर को इस नर को क्यों सुनाती करुणा रूपी गान को जो जरा भी ना देता तरजीह तेरे आन को त
इस किताब में आपको सिर्फ भोजपुरी कविताएं पढ़ने को मिलेंगी।
पुराने जमाने में बड़ी बड़ी मूंछें रखते थे ,और उस मंच की अहमियत होती थी , कई लोग एक मंच के बाल के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते थे ,
शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्
हरिनारायण मिश्रा एक पंडित थे। बनारस के रहने वाले थे । उनका छोटा बेटा पढाई करके अमेरिका चला जाता है । वह अपने पिता के कहे अनुसार कब क्या करना है और कब क्या नही करना है को मानते थे । उनके पिता अपने ज्योतिष ज्ञान के अनुसार ही अपने बेटे को निर्देश देते
इस पुस्तक में समसामयिक मुद्दों पर मेरे विचार, जो आज के हालात हैं और जो कल थे। आप इसे पढ़े और अपने विचार व्यक्त करें।
यह किताब जीवन के विभिन्न रंगों का एक सुंदर गुलदस्ता है, जिसमें अलग-अलग रंग के फूल हैं......जैसे करुण रस, हास्य, प्रेम, इत्यादि।ये मेरी स्वरचित रचनाएं हैं, जो वैचारिक,आनंदित, भावुक.....अनुभूति देती हैं।
ईश्वर की बनाई ममता की मूरत है ‘माँ’ , ईश्वर ने गढ़ी वो अनमोल कृति है ‘पिता’ ! जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है ‘माँ’ , जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त लौ है ‘पिता’ ! ज़िन्दगी के आशियाने का स्तंभ है ‘माँ’ , उस स्तंभ का आधार-‘नींव’ है ‘पिता’ ! मेरे ज
मुहब्बत की बातें इज़हार की बातें इंकार की बातें और भी वो बातें जो दिल को छू जाएं ऐसी बातों का संग्रह हैं ये किताब
हमारी किताबे केवल कहानियों के लिए नही बल्कि सायरी कविता और अच्छी विचार धारा के लिए भी प़काशिक होगी
हिंदी रचनाएं और कविताएं
सिरसा मे रहने वाले एक परिवार के पति पत्नी के बीच दरी ऐसी बढती है की पत्नी ससुराल को त्याग कर अपने मायके इलाहाबाद चली जाती है। बाद मे उनका मिलन कुछ विचित्र परिस्थितियों में होता हा।