निखिल सचान
यह हिन्दी में लिखी गई 9 लघु कथाओं का संग्रह है। यह लेखक के जीवन और उसके आसपास के उदाहरणों, स्थानों और लोगों से बहुत अधिक प्रेरित है। कहानियाँ गहरी कल्
Paperback
₹ 150
दिव्य प्रकाश दुबे
दो दोस्त, जो ढूँढ़ने चले हैं कि कविता आख़िर कहाँ से आती है। एक छोटे शहर की सुपर मॉम, जो रोज़ टीवी पर आने का सपना देखती है। भोपाल की वो लड़की, जो अब भी
₹ 199
Sanga sutar
जिसके साथ खून का सम्बन्ध नहीं होता, फिर भी प्रिय लगे.. *वह है👬दोस्त* जिसके साथ दुनियां भर की बातें करके भी थकान ना लगे ....
अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम साहित्य जगत् में एक ऐसी ‘ शख्सियत रही हैं जिनकी लेखनी ने भाषाओं की सीमाओं को तोड़ा और यह प्रमाणित
राजेन्द्र चौहान
यह मेरी मौलिक कविताओं का संकलन है जिसयें जीवन के विविध भावों और और रंगों का समावेश विभिन्न काव्य विधाओं में करने.का एक लघु प्रयास है।
अजय बहादुर
ए खुदा किसी एक का तो नसीब बदल दे, चाहे उसे मेरा या मुझे उसका कर दे !!
Nimish
तिच्या मिठीत रात्रं, मस्त निघून जाते........ . चंद्र चांदणी लपून छपून, आमचं प्रेम पहाते......
Rehan Shaikh
राजा रानी हर कदम पर है बनना है तो इक्का बनो राजा रानी हर कदम पर है बनना है तो इक्का बनो बनना है तो इतना बनो की चाल ही पलट दे सब एक नंबर का है पगली दो
Sonal Panwar
सोने की चिड़िया था कभी , उन्मुक्त हवाओं का था बसेरा , नारी की जहाँ होती थी पूजा , ऐसी पावन भूमि का देश था मेरा ! हम तन से तो आज़ाद हुए है , पर मन और
Online Edition
₹ 45
बोलली नाही तू, कि मी एकटा पडतो......... वरून खुश दिसतो, पण मनातून रडतो.....
Manju
तेरे दो नयना, देखे मुझे ऐसे जैसे इनको है कुछ कहना | कहने को कुछ है है नहीं तेरी आंखो की भाषा, जो थी वो पहले से पड़ ही ली दिल तेरा अब है ही नहीं साया म
Dinesh Dubey
इंसान कभी संतुष्ट नहीं होता है
ना अर्ज किया है ना फर्ज किया है किसी ने हमें रिजेक्ट किया बाद में उसी ने हमें गूगल पर सर्च किया है अजी हार नहीं मानी हमने एक वक्त पर लोहा भी पिघल जात
Aryan Malik
कि तू बस छोड़ दे साथ मेरे , मुझे तुझसे कोई गिला नहीं । और दोबारा सताने लगी है तू मुझे, ऐ जिन्दगी तुझे कोई और मिला नहीं ।
Tafizul Hussain
हमारे जिंदगी में अक्सर कुछ ना कुछ बदलाव होते रहते हैं। इस बदलाव को लेकर हमारी ये पेशकश जो आपको पसंद आएगी में सायद बदल गया हूं या जमाने में परिवर्तन आ
कि तू
गुॅंजन कमल
लड़की होना मेरे लक्ष्य पर पड़ा था भारी जिस स्याही से मेरी किस्मत लिखी वह थी काली । आंखें बंद कर जिन अपनों पर विश
शालिनी गुप्ता "प्रेमकमल"
ये कहानी है एक बहु की नजर से उसकी सास "अम्मा" की ...या कह सकते है मेरी दादी की.. मेरी माँ की नजर से.. मैंने कहने की कोशिश की है जो मैने देखा, सुना, सम
Rahul Singh
बहुत समय पूर्व जब गुरुकुल शिक्षा की प्रणाली होती थी | तब हर बालक को अपने जीवन के पच्चीस वर्ष गुरुकुल में बिताना पड़ता था | उस समय एक प्रचंड पंडित राधे