Diya Jethwani
समाज में फैली हुई एक छोटी सी बात को सुधारना हमारे आने वाले वक्त के लिए बेहद जरुरी है...।
Sanjay Dani
माँ की अपने परिवार ले प्रति सोच पर एक गज़ल।
ऊषा यादव
काव्यान्जलि
Nimish
पिने बैठा हू, साथ मै गम लिये!....................
Priyanka
उम्मीद एक ऐसी कहानी है जिससेे आप खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे |
Dinesh Dubey
सुदामा ने कृष्ण से पूछा ये माया क्या है
Online Edition
₹ 18
Kanchan Shukla
मैंने अपने इस उपन्यास में औरत के अहंकार से होने वाली पारिवारिक तबाही को दर्शाने की कोशिश की है औरत अहंकार में आकर दूसरों के साथ साथ अपना भी जीवन बर्बा
₹ 59
निशान्त जैन
जब इंसान अंदर से टूटता है तो वो अपनी बात समझाने के तरीके ढूँढने लगता है । और जब अंदर भावनाओं का ज्वार उठ रहा हो और सुनने वाला कोई न हो, तो वो खुद के ल
Paperback
₹ 135
देवेश कुमार पाण्डेय
इस किताब में आपको ऐसी कहानियां जो आपकी है जो मेरी है,जो दोस्तों के बीच से ,परिवार के बीच से,आफिस से,चलते फिरते रिश्तों के भीड़ से निकल कर आती हैं जो आप
₹ 2
अशोक कुमार पांडेय
"क्या हम सिर्फ़ मज़बूत लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं? कमज़ोरों के हक की लड़ाई में कमज़ोरों के लिए कोई जगह नहीं? (इस पुस्तक की एक कहानी, ‘और कितने यौवन चाहिए यय
₹ 235
मानव कौल
मैं नास्तिक हूँ। कठिन वक़्त में यह मेरी कहानियाँ ही थी जिन्होंने मुझे सहारा दिया है। मैं बचा रह गया अपने लिखने के कारण। मैं हर बार तेज़ धूप में भागकर इस
₹ 199
Kartik Mishra
सफ़र या मंजिल में से ज्यादा जरूरी एक हमराही होता है!😊 ऐसे में नए शहर में अकेले पड़े निखिल को साथ मिला- आईशा का। पर यह साथ कहाँ तक चलेगा? या कौन किसके
Sonal Panwar
” उड़ान ” मन है एक ऐसा पंछी , जिसके ख्वाहिशों के पर है होते , जो भरना चाहता है उन्मुक्त उड़ान , और छूना चाहता है आसमान ! लेकिन वक्त की अग्नि
₹ 12
कभी लगता था कि लंबी यात्राओं के लिए मेरे पैरों को अभी कई और साल का संयम चाहिए। वह एक उम्र होगी जिसमें किसी लंबी यात्रा पर निकला जाएगा। इसलिए अब तक मैं
₹ 200
इक नज़र ही तुम्हारी मयकशी मेरी
Dr.Yogendra Pandey
भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अमृत महोत्सव वर्ष में देश की सरहदों पर रक्षा के कार्य में स्वयं को समर्पित कर देने वाले भारतीय सैनिकों के अ
सुखमंगल सिंह
काम है प्यारा , नहीं चाम है प्यारी काम परे कछु और है काम सरे कछु और! काया राखे धर्म आपनों, तुलसी भावर के परे! समय पाए तरुवर फरेे, केतक सीचो नीर! का
Aniruddhsinh zala
मिलती नजरों का मुस्कुराना झुकती नजरों का शरमाना😊 संग संग हर लम्हा
इंसान का सोचा कुछ नही होता है ,नियति में जो होना है वो होगा ,