मेरी मां, मेरी दुनिया मेरी मां मेरी दुनिया मेरी मां के चरणों में ,सारा ये संसार बसा मां मुझे सब कुछ देने वाली, मेरी मां मेरी विपदा हरने वाली और किसी से क्या मैं मांगू मेरी मां है। सब कुछ देने वाली मा
नंदनी और चुन्नू मेँ बहुत अच्छी दोस्ती है ।जबकि चुन्नू की माता नंदनी को सदा कोसती है कि तू चारा तो बहुत खाती है पर दूध पाव भर से भी कं देती है । अंत में वही नंदनी चुन्नू की माता को नदी पार करवाकर उसके प्राण बचाती है।
इस पुस्तक में मैंने अपनी कविताएं प्रकाशित की हैं जो विभिन्न विषयों जैसे श्रंगार , सौंदर्य , प्रेम, हास्य, जीवन, समाज आदि से संबंधित हैं । आशा है कि यह पुस्तक आपको पसंद आएगी । कृपया इस पुस्तक के संबंध में अपने विचार अवश्य प्रकट करने का श्रम करें । धन
“जब कभी हमसे तकदीर रूठ जाती है तो आशा की किरणें सपनों में झिलमिलाती है कोई तो होगा जो एकदिन पास आएगा अपने पवित्र प्यार को मुझपर यों लुटायेगा अपनी प्यारी मुस्कराहट से ,नयी उमंग जगायेगा जैसी भी हूँ मैं,बेझिझक वो अपनाएगा जिस्म की सीमा से आगे,दिल तक समा
उत्तराखंड की हसीन वादियों में घटित घटनाक्रम का वर्णन करती ये किताब। प्रेम के पथ पर
भोर हुई और सांझ हुई कई कल्प जमाने बीत गए कवियों की लेखनी से निकले गायक ने गाये गीत नए दुल्हन धरती को बना दिया फिर धरती का श्रृंगार किया यह अपनी प्यारी धरती मां कह- कहकर जय- जयकार किया कविता की प्यारी पंक्ति, उस में व्याप्त जग सारा है तू ही मेरी
लड़ाई झगड़ा हर पति पत्नी के बीच में होता है, शायद ही ऐसा कोई हो जिसके बीच में ना होता हो। लेकिन कुलवंता और लाजवंती की लड़ाई झगड़ा और प्यार की कहानी ही अनोखी है, जी हाँ कुलवंता और लाजवंती एक ऐसे पति पत्नी है जो हमेशा लड़ते झगड़ते रहते हैं। एक दूसरे स
कई बार कह देना कठिन लगता है और लिख देना सहज। मेरे लिए कविता एक मध्यम है भावों को सरलता से अभिव्यक्त कर देने का। आशा करती हूं अपने प्रयास में सफल हो सकूं।
भीखू और चोखू के मालिक गनेश ने जब खेती के लिये ट्रेक्टर खरीद के ले आया तो भीखू और चोखू को चिन्ता होने लगी कि अब खेती में हमारी उपयोगिता नगण्य हो जाएगी तो हमारा मालिक हमें किसी कसाई के हाथों बेच देगा । वे आपस में मंत्रणा करते हैं कि कसाई के हाथों
आखिर क्यों ऐसा होता देख ये मंजर क्या दिल न तुम्हारा रोता पर बन चुकी है ये जीवन की सच्चाई मर चुकी इंसानियत दफन हुई कही अच्छाई
बबुआ की सरकारी नौकरी लगी! यह खबर तेजी से चंहुओर फैली! फिर मान-सम्मान का दौर शुरू हुआ! इस बात से बबुआ का सीना 56 इंची हो गया। नौकरी मिलते ही, बबुआ बड़का विद्वान हो गए! अखबारों/कोचिंगो में बाइट्स दे-देकर निहाल हो गए! परिचित-अपरिचित उपहार लाने लगे! द
सारे जग से प्यारी होती है मां, बचपन में हम सबका सहारा होती है मां, मां की ममता का कोई मोल नहीं होता, मां के जैसा इस दुनिया में कोई और नहीं होता।
रंगत देश के महादेव शहर के चुनाव में एक अपराधिक गतिविधियों में मुब्तिला व्यक्ति चुनाव लडता है और अपने तिकड़मों से चुनाव जीत जाता है । अब शहर का प्रशासन उसके ही आदेश का पालन करने मजबूर है।
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है।
इस किताब के माध्यम से कविताओं का संग्रह प्रस्तुत किया गया है
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' की कविता 'परिमल' नामक संग्रह से ली गई है जो गंगा पुस्तक माला लखनऊ से 1929 ई. में प्रकाशित हुआ था। पुस्तक की हेडिंग के ठीक नीचे लिखा है: 'सरस कविताओं का संग्रह'।
गीतिका में संकलित अधिकांश गीतों का विषय प्रेम, यौवन और सौन्दर्य है, जिसकी अभिव्यक्ति के लिए निराला कहीं नारी को सम्बोधित करते हैं तो कहीं प्रकृति को, लेकिन आर्द्ध की चरम अवस्था में नारी और प्रकृति का भेद ही मिट जाता है और तब नारी तथा प्रकृति एकमेक हो
'दो बैलों की कथा' प्रेमचंद द्वारा लिखित रचना है। प्रेमचंद अपनी रचनाओं के माध्यम से संदेश देने में माहिर हैं। समाज को अपनी रचनाओं के माध्यम से कैसे जगाया जाए, यह उन्हें बहुत अच्छी तरह आता है। यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या
मुम्बई के स्ट्रगलर साइड एक्टर विहान और अपने शहर कानपुर से डबिंग आर्टिस्ट बनने मुम्बई आई शिवाक्षी की दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी।