मेरी किताब *इंसानियत* कुछ ऐसी कहानियों का एक संग्रह है , जो प्रेरित करती है कि इंसान को कभी भी किसी को मदद या सेवा करने का मौका मिले तो उसे अवश्य करना चाहिए । तभी हम सच्चे इंसान कहला सकते हैं । नर में ही नारायण का वास होता है। प्रत्येक जीव की सेवा और
जीवन और जिंदगी दोनों के साथ हम मानवता मानवतावादी दृष्टिकोण भी हम सभी को जीवन के सच में हकीकत और हमारे मन भावों को व्यक्त करता हैं। जीवन को सफल बनाने के लिए हम सभी अपने संग साथ रहने वालों के लिए हम जीवन में उसकी मुश्किलों में निस्वार्थ भाव सेवा करते
इस पुस्तक में आपको कविता-कहानी पढ़ने को मिलेगी जो मौलिक एवम अप्रकाशित होंगी।
सानिध्या ग्रामीण परिवेश की एक लड़की की कहानी हैं जो विभिन्न चुनोतियों को पार करके अपने सपनो को पाने के लिए एक बड़े शहर में जाती हैं | कहानी में कुछ स्तरों पर स्त्री मनोविज्ञान ( ग्रामीण परिवेश के सन्दर्भ में ) को भी छूने का प्रयास किया गया हैं |
उम्मीद एक ऐसी कहानी है जिससेे आप खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे |
आज हम सभी जीवन के साथ अपने मन भाव में संतान सुख की लालसा रखते हैं जो भी हो परंतु पुत्र या बेटे की कामना हमारे मन में एक जागृति रहती है क्योंकि हम बेटी को तो पराया धन मानते हैं। क्योंकि ऐसा पुराणों में और हमारी भी मान्यता है। जीवन के सच में हम सभी भेद
कुदरत और हम आज हम सभी जानते हैं की कुदरत के साथ ही हम जुड़े हैं सभी जानते हैं कि पृथ्वी जल वायु आकाश और अग्नि हम सभी इसी पांच तत्वों के मिश्रण से इंसान बना हैं। सच और हकीकत के साथ हम सभी कुदरत और हम का जीवन जीते हैं परंतु हम सभी लोग मंदिर मस्जिद गुरु
आप और हम जीवन के सच में सच तो हम ना लेखक ना लेखिका होते है। मैं लेखक मैं लेखिका यह तो एक हम अपने मन को समझने के लिए नाम लगा सकते हैं परंतु एक लेखक और एक लेखिका समाज के दृष्टिकोण से प्रेरणादायक होते हैं। हम सभी जीवन में कुछ न कुछ विचार रखते हैं शब्द र
यह कहानी की चौथी किश्त है एक खबर आती है की रायपुर से 150 किमी दर गंडई कस्बे की मस्जिद में आग लग गई। वहां फंसे लोगों को बचाने के लिए कस्बे के बहुत सारे लोग अपनी भूमिका निभाने आगे आ गए।
हम सभी जानते हैं समर्पण और किसी की प्रति अपने आप को न्योछावर कर देना जीवन का यही समर्पण बहुत कम देखने को मिलता है आजकल तो बहुत धोखा और छल फरेब मिलता है। जीवन के सच में आजकल हम समर्पण का मतलब भूल सकें क्योंकि हम सभी लोग अपने जीवन में मतलब और स्वार्थ क
शीर्षक - दोस्त सुनीता कॉलेज की कैंटीन में चाय कॉफी पीते थे इधर सुनीता अनिल को उसकी समझदारी गंभीरता के लिए एक अच्छी दोस्त और चाहती भी थी दोनों एक दूसरे से प्रेम भी करते थे परंतु अनंत भी सुनीता को मन ही मन में प्रेम करता था और वह सुनीता से शादी भी कर
बोलली नाही तू, कि मी एकटा पडतो......... वरून खुश दिसतो, पण मनातून रडतो.....
सफ़र या मंजिल में से ज्यादा जरूरी एक हमराही होता है!😊 ऐसे में नए शहर में अकेले पड़े निखिल को साथ मिला- आईशा का। पर यह साथ कहाँ तक चलेगा? या कौन किसके साथ कहाँ तक चलेगा? यह जाने के लिए तो कहानी पढनी पड़ेगी।😁 तो आइये इनके इस उतार-चढ़ाव में शामिल हो जाई
•आसमां से जमीं तक • आसमां से जमीं तक इक ही है रास्ता इस जन्म का नहीं ये उस जन्म का है वास्ता भूला नहीं मैं अब भी वो मेरी जिंदगी में खुशियों की हर इक डोर तुम्ही हो तुम्ही हो, तुम्ही हो तुम्ही हो, तुम्ही हो तुम से ही जुड़ी है ये जिंदगी मेरी
गरीबी के दलदल से निकलकर सफलता के बादलों को चीरने वाले एक शख्स के लोकनायक बनने तक के संघर्षों की कहानी ।
एक सोच एक पहल है मेरी समाज की नया दिशा देना है चाहे हमे अलग रहना पडे गलत संग या समाच की सोच बदलना है कभी कभी हम राह बताया जाता है वो सही या गलत है ,ये तो जाना नही जब लेकिन समय समतुल होगा पर्दे में रहे सारी सचाई या बुराई दर्पण की तरह दिखा जाता ह
नमस्कार पुस्तक नाम - वीणा की झनकार परिचय - इस पुस्तक में आपको कवि विमल कुमार प्रजापति के द्वारा स्वरचित कविता गीत और कुछ मुक्तक मिलेगे। जिनमे से कुछ प्रेरणा पद और अधिकतर मोहब्बत के मुक्तक एवं शायरी मिलेंगी। आप लोग मेरे इन मुक्तकों को पढ़िए और दिलपूर
सामाजिक तथ्यों से जुड़े कुछ किस्से जो व्यक्तिगत जीवन पर हावी हैं और घुटन ,अवसाद, एकाकीपन आदि नकारात्मक भावों का सबसे बड़ा कारण भी । प्रस्तुत किताब में यही दर्शाने की कोशिश की गई है । पात्र और घटनाएं भले ही काल्पनिक हैं परंतु कथा-वस्तु और निष्कर्ष बिल