देहरादून: शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक पर आरोप लग रहा है कि विधायक रहते उन्होंने हरिद्वार में विधायक निधि से कागजों में 10 लाइब्रेरी बनावाई और उद्घाटन भी करवा दिया. कहा जा रहा है कि इन पुस्तकालयों का जिक्र बतौर वे अपनी उपलब्धि करते रहे हैं. लेकिन जब खोजने निकलों तो जमीन पर यें पुस्तकालय कहीं दिखाई नहीं देते हैं. इस बाबत जब मीडिया ने कौशिक से सवाल पूछा तो वे लाल-पीले हो गए. लेकिन हरिद्वार में विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से 10 लाइब्रेरी बनवाने के नाम पर पैसों की बंदरबांट की ख़बर के बाद ज़िला प्रशासन के होश फ़ाक्ता हो गए हैं। संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। अपने कार्यकाल में विवादों में घिरे रहे शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक एक बार फिर पदभार ग्रहण करते ही सवालों के घेरे में आ गए हैं। इस बार उच्च न्यायालय में हुई एक शिकायत पर कोर्ट के निर्देश के बाद मदन घिरते नज़र आ रहे हैं। दरअसल, वर्ष 2009 में मदन कौशिक ने विधायक निधि से हरिद्वार में 10 पुस्तकालयों का निर्माण कराया था। प्रत्येक पुस्तकालय की लागत 2 लाख दिखाई गयी थी लेकिन हकीकत में कहीं कोई पुस्तकालय मौजूद ही नहीं है। पुस्तकालयों की जगह सिर्फ विधायक जी के नाम का शिलापट्ट लगा है। हालांकि, अधिकारियों के खिलाफ तो मुकदमा दर्ज कर दिया गया लेकिन इस बाबत मंत्री जी से कोई सवाल जवाब नहीं किए गए हैं। अब अगर मीडिया उनसे सवाल कर रहा है तो मंत्री जी को गुस्सा आ रहा है।
RES के सहायक अभियंता के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज
जिलाधिकारी एस मुरुगेशन ने बताया कि इस संबंध में सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। आरईएस के सहायक अभियंता के खिलाफ गबन और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया है। जिला ग्राम्य विकास विभाग के परियोजना निदेशक की तरफ से ये मुकदमा दर्ज कराया गया है।
विधायक निधि से हुई पैसों की बंदरबांट
लगभग हर पुस्तकालय की लागत 2 लाख दिखाई गयी थी लेकिन हकीकत में कहीं कोई पुस्तकालय मौजूद ही नहीं है। पुस्तकालयों की जगह सिर्फ विधायक जी के नाम का शिलापट्ट लगा है। लाइब्रेरी तो छोड़िए हरिद्वार शहर में पुस्तकालय का फर्नीचर तक नहीं है। याचिकाकर्ता दिनेश जोशी का कहना है कि उन्होंने ये जानने के लिए याचिका डाली थी कि वो पुस्तकालय हैं कहां, जिसपर कोर्ट ने जांच के आदेश भी दिए थे।
हाई कोर्ट ने लाइब्रेरी निर्माण में गड़बड़झाले की बात स्वीकारी
हाई कोर्ट ने लाइब्रेरी निर्माण में गबन और अनियमितता को माना और अतिरिक्त एई अरविंद मोहन गर्ग व अन्य के खिलाफ 13 जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने ये आदेश दिए कि राज्य सरकार लाइब्रेरी को अपने अधीन ले। वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने ये निर्देश दिए थे। अब सवाल यही कि मंत्री पर लगे लाखों के घपले का आरोप पर सीएम त्रिवेंद्र रावत किस तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध लड़ेंगे?
दरसल एक जनहित याचिका पर मिली जानकारी में ये खुलासा हुआ है कि साल 2009 में विधायक निधि से मदन कौशिक ने शहर में 10 लाइब्रेरी बनवाई थी. विधायक कौशिक ने इसका बजट भी खर्चे में दिखा दिया. लेकिन लाइब्रेरी तो छोड़िए हरिद्वार शहर में पुस्तकालय का फर्नीचर तक नहीं है. याचिका कर्ता दिनेश जोशी का कहना है कि उन्होंने ये जानने के लिए याचिका डाली थी कि वो पुस्तकालय हैं, कहा जिसपर कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे.