नई दिल्ली : सीरिया पर मिसाइलों की बरसात करने के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के निशाने पर नॉर्थ कोरिया है। समाचार एजेंसियों की ख़बरों की माने तो अमेरिका ने अपने लड़ाकू बड़े अब कोरियाई प्रायदीप की ओर भेजने शुरू कर दिए हैं। अमेरीका ने ये कदम ठीक उसके बाद उठाया है जब नार्थ कोरिया ने सीरिया में अमेरिकी हमले की जोरदार निंदा की है।
दूसरी और सीरिया पर अमेरिकी हमले के बाद रूस भी अमेरिका के खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। नॉर्थ कोरिया पर अगर अमेरिका हमला करता है तो कोरिया का सहयोगी चीन उसके साथ आएगा। कुल मिलकर यह कहा जा सकता है कि अमेरिका को उसके इस कदम से चीन और रूस से जवाब मिल सकता है। बीबीसी के अनुसार अमरीकी पैसिफिक कमान के प्रवक्ता डेव बेनहम का कहना था, 'इस क्षेत्र में सबसे बड़ा खतरा उत्तर कोरिया है क्योंकि वो गैर ज़िम्मेदार है और वो अपने मिसाइल परीक्षणों और परमाणु हथियार बनाने के प्रयासों से खतरा पैदा कर रहा है।'
नार्थ कोरिया अमेरिका के लिए इसलिए भी सिरदर्द बना हुआ है क्योंकि वह लगातार परमाणु परीक्षण कर रहा है और कहा जा रहा है कि वह जल्द की छटे परमाणु परीक्षण करने की तयारी में है। नार्थ कोरिया के 33 वर्षीय तानाशाह किम जोंग कई बार कह चुके हैं कि वह अमेरिका से नहीं डरता है। नार्थ कोरिया के पास रसायनिक हथियार होने की बात भी कई बार सामने आ चुकी है।
कहा जा रहा है कि नार्थ कोरिया के अमेरिका से न डरने का एक प्रमुख कारण चीन भी है। चीन नार्थ कोरिया को लगातर अपने कूटनीतिक कारणों से मदद देता आया है। चीन उत्तरी कोरिया को सामरिक मदद तो देता ही है, साथ ही साथ नॉर्थ कोरिया अनाज, व्यापार और ऊर्जा संबंधी अपनी जरूरतों के लिए भी पूरी तरह से चीन पर ही निर्भर है। यही कारण है कि अमेरिका अभी नार्थ कोरिया पर हमला नहीं कर पाया।
इससे पहले ट्रम्प ने कहा था कि 'अगर चीन उत्तरी कोरिया का मसला सुलझाने में मदद नहीं करता है, तो हम खुद ही इस समस्या का हल निकाल लेंगे।' ट्रंप के इस बयान को संकेत माना जाए, तो यही लगता है कि अब नॉर्थ कोरिया उनका अगला निशाना हो सकता है।