देहरादून: भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ हल्लाबोल करने वाले तेज़तर्रार आईएफएस संजीव चतुर्वेदी से प्रदेश सरकार घबराई नज़रा आ रही है। सरकार जल्द ही उन्हें काम देकर छुटाकारा पाना चाहती है। चतुर्वेदी का 11 नवंबर को लिखा गया पत्र सामने आ गया है जिसमें साफ तौर पर यह लिखा है संजीव अपनी तैनाती प्रदेश में ही चाहते हैं। वह भी मुख्य सचिव के तहत आने वाले सतर्कता विंग यानी विजिलेंस विंग में।
IFS संजीव चतुर्वेदी से बच रही है सरकार
दरअसल इस पत्र के बाद अब उत्तराखंड सरकार उन्हें मुख्यमंत्री का ओएसडी बनाकर दिल्ली में तैनात कर एनजीटी से जुड़े मामलों में सरकार की पैरवी देने की ज़िममेदारी देने की तैयारी में है। मुख्य सचिव एस रामास्वामी भी इस बात का ज़िक्र कर चुके हैं कि वह चतुर्वेदी की तैनाती के बारे में लगभग सब तय कर लिया गया है । जल्द से जल्द उनकी तैनाती के आदेश भी कर दिए जाएंगे। पूरे तीन महीने तक संजीव को खाली बिठाने वाली प्रदेश सरकार की इस तेज़ी से साफ़ हो चला है कि वो उनकी पुरानी मांग जो कि दिल्ली में तैनात करने की थी उसके चलते उन्हें उत्तराखंड से दूर भेजन की तैयारी में है। सरकार चतुर्वेदी से किसी भी तरह से पीछा छुड़ाना चाहती है।
संजीव चतुर्वेदी के नाम से पूरी सरकार में खलबली है कि कहीं यह अफ़सर चुनावी समर में नए घपले - घोटाले न उजागर कर दे। हालांकि संजीव चतुर्वेदी पहले ही सीएम का ओएसडी बनने से इनक़ार कर चुके हैं। दरअसल वो सरकार कहीं अगर इस अफ़सर को विजिलेंस विभाग में भेज दिया गया तो सरकार के लिए मुश्क़िलात हो सकती है। हालांकि संजीव चतुर्वेदी ओएसडी निवर्तमान मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह 18 नवम्बर को सेवानिवृत्त होकर मुख्य सूचना आयुक्त भी बन गए।
तीन महीनों से नियुक्ति के इंतज़ार में संजीव
उत्तराखंड ने आईएफएस अफसर एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को पदोन्नत कर वन संरक्षक बना दिया था। पिछले साल केंद्र के साथ उनके कई विवाद अदालतों तक पहुंचे थे। संजीव ने 29 अगस्त को उत्तराखंड काडर जॉइन किया था। इससे पहले उन्होंने हरियाणा काडर के तहत 2005 से 2012 तक काम किया। इसके बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एम्स में 4 साल तक बतौर सीवीओ रहे। संजीव बीते तीन महीनों से अधिक समय से वह अपनी नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं। दरअसर पिछले साल उन्होंने दिल्ली सरकार में इंटर कैडर डेप्युटेशन की मांग की थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली कैबिनेट समिति ने दिल्ली के सीएम के ओएसडी के तौर पर उनकी नियुक्ति का प्रस्ताव खारिज कर दिया था।