नई दिल्ली : यादव कुनबे पर जो आरोप आज तक टीवी चैनलों और अख़बारों के जरिये लगाए जाते थे वहीँ आरोप आज यादव परिवार के सदस्य खुद एक दूसरे पर लगा रहे हैं। मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल यादव ने आज सपा में दो नंबर की हैसियत सखने वाले रामगोपाल यादव की पोल पट्टी खोल दी। शिवपाल ने कहा कि रामगोपाल के बेटे 'यादव सिंह घोटाले' में फंसे हुए हैं इसलिए वह सीबीआई की डर से बीजेपी की तरफ जा रहे हैं। शिवपाल ने आरोप लगाए कि रामगोपाल बीजेपी नेताओं से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं।
इंडिया संवाद को मिली जानकारी के अनुसार जैसे ही शिवपाल को पता चला कि अखिलेश ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है वह सीधे बड़े भाई मुलायम सिंह के पास गए और पूरी जानकारी दी। शिवपाल ने बताया कि अखिलेश के इस कदम से वह बेहद अपमानित महसूस कर रहे हैं। शिवपाल ने यह भी बताया कि रामगोपाल भी इस मामले में अखिलेश के साथ हैं और वह फिलहाल संसदीय समिति के काम से मुम्बई गए हैं। मुलायम सिंह ने कहा कि रामगोपाल को संसद में राज्यसभा की सदस्यता से बाहर का रास्ता दिखाया जाए, बल्कि उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निष्काषित किया जाता है।
एक टीवी चैनल से बातचीत में मुम्बई से रामगोपाल ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी। उन्होंने कहा कि शिवपाल उनपर झूठे आरोप लगा रहे हैं जबकि सीबीआई का उनके बेटे उन पर कोई केस नही चल रहा है। उनके बेटे अक्षय यादव फिरोजाबाद से लोकसभा सदस्य है और उन्होंने चुनाव से पहेल इलेक्शन कमीशन को अपनी सम्पति की पूरी जानकारी हलफनामे में दी है।
मुलायम के दोनों शेर हुए घायल
मुलायम सिंह यादव ने हमेशा अपने दोनों भाइयों को बड़ी जिम्मेदारियां दी। शिवपाल सिंह यादव ने यूपी संभाला तो रामगोपाल को उन्होंने दिल्ली भेज दिया लेकिन मुलायम के अगले उत्तराधिकारी के बर्चस्व की लड़ाई में मुलायम के दोनों शेर अब घायल हो चुके हैं। बेटे अखिलेश ने शिवपाल को अपनी सरकार से ही बाहर का रस्ता दिखा दिया जिसके जवाब में सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव को पार्टी महासचिव के साथ-साथ समाजवादी पार्टी से ही 6 साल के लिए निलंबित कर दिया।
यानी अब साफ़ हो गया है कि मुलायम परिवार और पार्टी दोनों दो खेमों में बंट चुकी है। एक तरफ हैं रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव तो दूसरी तरफ मुलायम, शिवपाल और उनके साथ अमर सिंह और साधना गुप्ता भी बताई जाती है। वहीँ सपा सरकार के ज्यादातर मंत्री विधायक अखिलेश के साथ बताये जाते हैं। जिस तरह से पिछले पांच साल में अखिलेश ने यूपी में अपनी छवि बनाई उससे जनता के मन में उनके प्रति हमदर्दी भी है।
पहले भी कई बार अखिलेश यादव मुलायम और शिवपाल के फैसलों का विरोध कर चुके है। मामला चाहे दागी गायत्री प्रजापति को हटाने का हो या कौमी एकता के विलय का। यूपी की जनता ने अखिलेश के इन फैसलों को पसंद किया। समाजवादी पार्टी के टूटने से सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को होगा क्योंकि यूपी के चुनावी सर्वे बता रहे हैं कि बीजेपी और सपा में इस बार कड़ी टक्कर होने वाली है।