नई दिल्ली: SC ट्रिपल तलाक के मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल तलाक मामले की सुनवाई अब SC की संवैधानिक पीठ करेगी। 11 मई से संविधान पीठ तीन तलाक सुनवाई शुरू करेगी। संविधान पीठ लगातार चार दिनों तक इस मामले पर दोनों पक्ष को सुनेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्ष चार हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करें।
इससे पहले 27 मार्च को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक, ‘निकाह हलाला’ और बहुविवाह की प्रथाओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचारयोग्य नहीं हैं क्योंकि ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे में नहीं आते हैं।
बोर्ड ने कहा कि इस्लामी कानून, जिसकी बुनियाद अनिवार्य तौर पर पवित्र कुरान एवं उस पर आधारित सूत्रों पर पड़ी है, की वैधता संविधान के खास प्रावधानों पर परखी नहीं जा सकती है। इनकी संवैधानिक व्याख्या जबतक अपरिहार्य न हो जाए, तबतक उसकी दिशा में आगे बढ़ने से न्यायिक संयम बरतने की जरूरत है। उसने कहा कि याचिकाओं में उठाये गये मुद्दे विधायी दायरे में आते हैं, और चूंकि तलाक निजी प्रकृति का मुद्दा है अतएव उसे मौलिक अधिकारों के तहत लाकर लागू नहीं किया जा सकता।
AIMPLB ने शीर्ष अदालत में अपने लिखित हलफनामे में कहा, ‘शुरू में यह स्पष्ट किया जाता है कि वर्तमान याचिकाएं विचारयोग्य नहीं हैं क्योंकि याचिकाकर्ता निजी पक्षों के खिलाफ मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग करते हैं। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि 14,15 और 21 अनुच्छेदों के तहत गारंटित संरक्षण की उपलब्धता की मंशा विधायिका और कार्यपालिका के विरूद्ध है न कि निजी व्यक्तियों के विरुद्ध है।’ उसने कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता न्यायिक आदेश की मांग कर हे हैं जो बिल्कुल अनुच्छेद 32 के दायरे के बाहर है। निजी अधिकारों को संविधान के अनुच्छेद 32 (1) के तहत व्यक्तिगत नागरिकों के विरूद्ध लागू नहीं किया जा सकता है।
जब हम काम कर सकते हैं, तो आप क्यों नहीं
कुछ लोग गर्मी की छुट्टियों में सुनवाई के खिलाफ थे, लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब हम छुट्टियों में काम कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं. जिसके बाद कोर्ट ने 11 मई की तारीख तय की.
गर्मी की छुट्टियों में भी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला बेहद महत्वपूर्ण है इस वजह से गर्मी की छुट्टियों में भी मामले की सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल की आपत्ति पर यह टिप्पणी की. अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि गर्मी की छुट्टियों से पहले इस मामले की सुनवाई होनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने सभी पक्षों को 2 सप्ताह में अपना जवाब दायर करने को कहा है.