अगस्त- सितंबर 2016 के महीने में कांग्रेस पार्टी को मीडिया में ठीक ठाक फुटेज मिला। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कोई पचास दिनों की यूपी की यात्रा की और 27 साल यूपी बेहाल का नारा दिया।बसपा की हाथी और सपा की साइकिल पर हमला बोला। कहा कि पाँच साल से साइकिल हिल ही नहीं रही है। पंचर हो गई है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी हंस कर टाल दिया। अब कांग्रेस और सपा का गठबंधन होने जा रहा है।
कांग्रेस को बताना चाहिए कि पंचर कब बन गई और कब साइकिल दौड़ने लगी। अब यूपी के विकास के बारे में उसका क्या कहना है। जनता के बीच बीजेपी कांग्रेस नेता के बयान का वीडियो चला सकती है और कांग्रेस परिवारवाद पर हमला करने वाले प्रधानमंत्री के बयानों का वीडियो चला सकती है। पब्लिक को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। वो मस्त है। वो इन सब दोहरेपन को खुले मन से स्वीकार करती है। राज़ीखुशी वोट करती है और बाद में रोती है।
यही नहीं अगस्त सितंबर के दो महीनों में कांग्रेस ने यूपी की चुनावी राजनीति में किनारे लगा दिए गए ब्राह्मण नेतृत्व और मतदाता की खोज की। इस पर खूब लेख लिखे गए और बहसें हुईं। अब वो सारी रणनीतिक बहसें कबाड़ में बदल चुकी है। इसका नतीजा यह ज़रूर हुआ कि दूसरे दलों में जहाँ तहाँ से ब्राह्मण नेता पकड़ कर लाये जाने लगे। कांग्रेस के गराज में भी ब्राह्मणवाद के नाम पर बेकार पड़े नेताओं को दूसरे दल वाले उठाकर ले जाने लगे। भाजपा रीत बहुगुणा जोशी,विजय बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी को ले आई। अब इस रणनीती की सारी चर्चाएँ पानी में बह चुकी हैं। कितने पन्ने बर्बाद किये गए। कितना फुटेज खाया गया।
यही नहीं कांग्रेस उन दो महीनों की तमाम राजनीति भूल गई है। राहुल गांधी जमकर किसान विरोधी नीतियों के कारण प्रधानमंत्री मोदी पर हमला कर रहे थे। नोटबंदी पर घेरते घेरते उन्हीं माँगों को लेकर पीएम के सामने बैठ गए। कांग्रेस के कमज़ोर दिखने की उस समय की तस्वीर भयावह है। बाद में नेता सफाई देते रहे कि हम किसानों की मांग के लिए गए हैं।
यही नहीं कांग्रेस ने वन रैंक वन पेंशन का मामला उठा कर छोड़ दिया है। जंतर मंतर के पास ज़हर खाकर जान देने वाले पूर्व सैनिक के घर भी गए मगर पूर्व सैनिकों के गढ़ उत्तराखंड में सर्वे नहीं कराया कि वहाँ के कितने पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन और सातवें वेतन आयोग का पैसा मिलने लगा है। जिस वक्त ये मुद्दे उठते हैं तब लगता है कि यही ज़रूरी हैं। दरअसल नेताओं के लिए हर मुद्दा प्लास्टिक का खिलौना है। थोड़ी देर खेल ो, फिर फेंक दो। नया ले आओ।