नई दिल्लीः कई साल से पाकिस्तान की लखपत जैल में कैद रहने के दौरान ही निर्मम पिटाई से मौत के घाट उतारे गए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की बहन अचानक भाजपा में शामिल हो गईं। वे कांग्रेस और अकाली दल की राजनीति कर अब भगवा खेमे में पहुंचीं हैं। उनके भाजपा में शामिल होने से पंजाब की सियासत में सरगर्मी बढ़ गई है। अचानक दलबीर कौर को सदस्यता दिलाकर अगले साल होने जा रहे चुनाव में भाजपा फायदा उठाने की कोशिश में है। क्योंकि आज भी पंजाब के घर-घर में सरबजीत के दर्द को महसूस किया जाता है।उनकी बहन दलबीर कौर ने जिस तरह से भाई की रिहाई की लड़ाई लड़ी, उसने वह किसी के परिचय की मोहताज नहीं हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि सरबजीत की बहन के जरिए पंजाबियों को इमोशनल किया जा सकता है।
सहानुभूति का लाभ उठाने की कोशिश
पाकिस्तान में फांसी की सजा पाए सरबजीत को रिहा कराकर स्वदेश वापसी की पूरे देश में मुहिम चली थी। जिस पर भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू हुई। नतीजा था कि 2008 में पाक सरकार ने सरबजीत की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी। मगर, जब पूरे देश को यकीन हो चला था कि अब सरबजीत की रिहाई हो जाएगी, तभी अप्रैल 2003 में छह कैदियों ने सरबजीत पर ईंट और धारदार हथियार से हमला कर दिया था। सिर में गंभीर चोट लगने से दो मई 2013 को सरबजीत की मौत हो गई थी। तब पूरा देश सरबजीत की याद में रो उठा था। पंजाब में भाजपा के एक बड़े नेता 'इंडिया संवाद' से कहते हैं कि सरबजीत की रिहाई के लिए लड़ाई लड़ने वालीं बहन दलबीर कौर व उनके परिवार के प्रति पंजाब की जनता खासी सहानुभूति रखती है। माना जा रहा है कि दलबीर को पार्टी में शामिल कर अगले साल के चुनाव में सहानुभूति की लहर का लाभ भाजपा उठाना चाहती है।
टिकट मिल सकता है या प्रचारक के तौर पर होगा इस्तेमाल
पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि दलबीर कौर को भाजपा से टिकट मिल सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी उन्हें पंजाब में प्रचारक के रूप में इस्तेमाल करेगी। बता दें कि सरबजीत पंजाब के तरनतारन जिले के गांव भिखीविंड के रहने वाले थे। 1984 में सुखप्रीत से शादी के बाद पूनम और स्वप्नदीप नामकी दो बेटियां पैदा हुईं। 30 अगस्त 1990 को भूलवश पाक सीमा में प्रवेश कर जाने पर वहां की आर्मी के हत्थे चढ़ गए। लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोपी बनाकर सरबजीत को जेल में ठूस दिया गया। ब से पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद रहे। 1991 में पाकिस्तान की एक अदालत ने सरबजीत को आतंकी हमलों और जासूसी करने का दोषी ठहराया था और मौत की सजा दी थी। लेकिन 2008 में पाक सरकार ने उसकी फांसी पर रोक लगा दी थी। - अप्रैल 2013 में छह कैदियों ने सरबजीत पर ईंट और धारदार हथियार से हमला किया। हमले में उसके सिर में गंभीर चोटें आईं।
- बाद में 2 मई 2013 को सरबजीत की लाहौर के जिन्ना अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
फिल्म भी बन चुकी है सरबजीत पर
चूंकि सरबजीत का मामला पूरे देश में कई साल तक चर्चा-ए-खास रहा। वहीं पाकिस्तानी जेल में हत्या होने पर पूरा देश आक्रोशित की आग में उबल पड़ा। ऐसे में इस पूरी घटना को लेकर ऐश्वर्या राय और रणदीप हुड्डा अभिनीत फिल्म भी बनी। जिसका नाम सरबजीत रहा। इस फिल्म को ऑस्कर के लिए चुना गया है।