नई दिल्ली : सरकार ने आज एशिया प्रशांत व्यापार करार (एपीटीए) के तहत आयात शुल्क रियायत के आदान प्रदान को मंजूरी दे दी है। इस कदम का मकसद भारत और चीन सहित छह सदस्य देशों के बीच व्यापार बढ़ाना है। फिलहाल एपीटीए के सदस्यों में बांग्लादेश, चीन, भारत, लाओ पीडीआर, कोरिया गणराज्य तथा श्रीलंका आते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आयात शुल्क रियायत के आदान प्रदान को मंजूरी दी गई। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एपीटीए की चौथे दौर की वार्ता और संबंधित संशोधन के तहत तरजीही आधार पर यह छूट दी जाएगी। एपीटीए को पूर्व में बैंकॉक समझौते के तौर पर जाना जाता रहा है। यह एशिया प्रशांत क्षेत्र के विकासशील सदस्य देशों के बीच शुल्क रियायत के जरिये व्यापार विस्तार को प्रोत्साहन देना है। यह एशिया प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग की पहल है।
इसमें कहा गया है कि चूंकि यह तरजीही व्यापार करार है इसकी व्यापार वार्ताओं के दौरान इसमें शामिल वस्तुओं तथा शुल्क छूट का दायरा बढ़ जाता है। ये वार्तायें समय-समय पर होती हैं। आज की तारीख तक कुल तीन दौर की व्यापार वार्ताएं हो चुकी हैं। तीसरे दौर की वार्ता तक भारत ने 23.9 प्रतिशत के औसत तरजीही मार्जिन (एमओपी) के तहत 570 उत्पादों को शुल्कों में तरजीह दी है। अल्पविकसित देशों के लिए 39.7 प्रतिशत के एमओपी पर 48 और उत्पादों पर शुल्क छूट दी गई है।
कंेद्रीय मंत्रिमंडल ने एपीटीए की प्रस्तावना में संशोधन को भी मंजूरी दे दी है। इससे एपीटीए में मंगोलिया को सातवे देश के रूप में शामिल किया गया है। बयान में कहा गया है कि एपीटीए की मंत्रिस्तरीय परिषद का चौथा सत्र जल्द होगा जिसमें औपचारिक तौर पर सभी फैसलों को क्रियान्वित किया जाएगा।