नई दिल्ली : भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल डील को लेकर कांग्रेस पार्टी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये कई सवाल उठाये हैं। पूर्व यूपीए सरकार के रक्षा मंत्री एके एंटनी और कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि एनडीए सरकार को फ्रांस के हुए राफेल सौदे का हिसाब किताब और डील के नियमों को जनता के सामने रखना चाहिए, क्योंकि इस डील को लेकर कई बुनियादी सवाल उठ रहे है। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान जब सौदा तय होने की कगार पर था तब इसमें प्रति राफेल विमान की कीमत सवा 7 सौ करोड़ तय की गई थी और उस कीमत पर भी कई लोगों ने सवाल उठाये थे।
मनीष तिवारी ने कहा कि सवाल उठाने वालों में खुद बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा भी शामिल थे, जिसके बाद यह मामला वित्त मंत्रालय को भेजा गया था। तिवारी ने कहा कि एनडीए सरकार द्वारा की गई राफेल डील में अभी तक जो बात सामने आयी है उसके अनुसार प्रति राफेल की कीमत 1600 करोड़ रूपये तय की गई है। जो कि पहले की कीमत से 123 प्रतिशत ज्यादा है। गौरतलब है कि भारत ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 7.87 अरब यूरो (करीब 59000 करोड़ रूपये) के सौदे पर आज हस्ताक्षर किये है ।
डील के क्लॉज़ पर भी सवाल
कांग्रेस पार्टी ने यह भी सवाल उठाये हैं कि भारतीय एयरफोर्स को 126 लड़ाकू विमानों की जरूरत थी इसलिए सरकार को यह भी स्पष्ठ करना चाहिए कि 36 राफेल क्या भारतीय एयरफोर्स के लिए पर्याप्त होंगे। मनीष तिवारी ने कहा कि इस सौदे के क्लोज से पता चलता है कि फ्रांस के साथ अभी यह समझौता कीमत के लिहाज से भी सिर्फ 36 विमानों का हुआ है, यदि भारत को और राफेल विमानों की जरूरत पड़ी तो फ्रांस के साथ फिर नया समझौता करना पड़ेगा।
ये लड़ाकू विमान नवीनतम मिसाइल और शस्त्र प्रणालियों से लैस हैं और इसमें भारत के हिसाब से परिवर्तन किये गए हैं। ये लड़ाकू विमान मिलने के बाद भारतीय वायुसेना को अपने धुर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के मुकाबले अधिक ‘‘ताकत’’ मिलेगी।
इस अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भारत की यात्रा पर आये फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां यीव ल द्रियों ने किये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 महीने पहले फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान तुरंत उपयोग में लेने लायक 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना की घोषणा की थी।