लखनऊ: सरकारी कार्यालयो,अर्ध सरकारी कार्यालयों,स्कूलों, विद्यालयो एवं विश्वविधालयो के अधिकारियों, कर्मचारियो और शिक्षकों को साधारण पहनावे की जगह जीन्स,टीशर्ट या अन्य किसी प्रकार की फैन्सी ड्रेस पहनकर आने में पूर्ण प्रतिबंध लगाने का मन प्रदेश के मुख्यमंन्त्री योगी आदित्य नाथ ने बना लिया है।
प्रायः यह देखा गया है कि प्रदेश के शीर्षस्थ पदों पर बैठे अधिकारी भी जीन्स और टीशर्ट पहन कर ड्यूटी पर आ जाते है। इसके अतिरिक्त विभिन्न कार्यालयो में आने वाले द्वितीय श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के लोग साधारण कपड़ो के स्थान पर जीन्स,टीशर्ट के अलावा रंगीन और फैन्सी कपड़े पहन कर कार्यालय चले आते है, जो एक प्रकार की अनुशासनहीनता है। ऐसा लगता है कि यह लोग कार्यालय न आकर किसी मार्केट या सिनेमाघर में दोस्तो के साथ सिनेमा देखने जा रहे हो।
सरकारी ड्यूटी में ड्रेस कोड न होने के कारण आफिस का वातावरण ही दूषित नही होता बल्कि ऐसे कसे और तंग कपड़े पहनने से कार्य के निस्तारण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शारीरिक लाभ की दृष्टि से भी 8-10 घंटे तक ऐसे कपड़े पहनना नुकसानदेह भी है। अधिकारियों द्वारा अनुचित पहनावे से दूसरे अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियो को भी ऐसे कपड़े पहनने हेतु प्रोत्साहन मिलता है।
अनेको मामलो में उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों द्वारा टीशर्ट, जीन्स और रंगीन कपड़े पहन कर न्यायालयों में उपस्थित होने वाले अधिकारियो को डांटने के अलावा दंडित भी किया है।इसी कारण फैन्सी ड्रेस पहनने वाले अधिकारी न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने पर कोर्ट के ड्रेस कोड के अनुरूप पूरी बाह की सफेद कमीज या बंद गले का कोट पहनकर जाते है।
सुल्तानपुर जनपद के एक अधिकारी तथा कुछ अन्य अधिकारियों को बैठकों में फैन्सी ड्रेस में आया देख मुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर की है और ऑफिस, स्कूल,विद्यालयो तथा विश्व विद्यालयो में साधारण कपड़े पहन कर आने के निर्देश देने का मन बना लिया है। वास्तव में आफिस,स्कूल या विद्यालयो में कपड़े ऐसे पहनने चाहिये जिनसे शिष्टाचार झलकता हो।