नई दिल्लीः यूपी में विधानसभा चुनाव में महज पांच महीने बाकी हैं। चुनावी चौसर बिछ चुका है, चालें चलीं जा रही हैं। मगर इस बीच यूपी को दंगों में झुलसाने की कोशिश हो रही है। ताकि चुनाव में इसका लाभ उठाया जा सके। पिछले दो दिन के बीच सूबे के कई जिलों में हुए सांप्रदायिक बवाल की घटनाओं से यह साफ जाहिर होता है। आखिर इऩ दंगों के पीछे है कौन। वहीं शासन और जिला प्रशासन पर्दे के पीछे वालों की शिनाख्त न कर कुछ छोटे लोगों को अंदर कर ही कर्तव्य की इतिश्री क्यों समझ बैठता है। जिससे बाद में मामला गरमा जाता है।
बहरहाल चुनाव तक जनता होशियार रहे, क्योंकि दंगों में हमेशा आम आदमी ही मारा जाता है।
दंगों पर हर दल को मिलता है रोटी सेंकने का मौका
जब राजनीति क मुद्दे कमजोर पड़ते हैं तो कई राजनीतिक दल सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का काम करते हैं। यूपी में मजबूत पकड़ रखने वालीं पार्टियां इस मामले में खासी बदनाम हैं। मुजफ्फरनगर दंगे में जस्टिस सहाय कमेटी की रिपोर्ट ने दंगे के लिए भाजपा और सपा को जिम्मेदार ठहरा चुकी है। राजनैतिक विश्लेषको व बरेली कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. डीआर यादव इंडिया संवाद से कहते हैं कि नेताओं को किसी से सहानुभूति नहीं होती। दंगों में हमेशा आम हिंदू या मुस्लिम ही मारा जाता है। मरे किसी के भी पक्ष का। फायदा दोनों ओर के नेताओं का होता है। एक जहां अपने वर्ग में अपनी पीठ थपथपाता है तो दूसरा उस घटना का खौफ दिखाकर एक वर्ग को हमेशा अपनी शरण में आने का दबाव डालता है। लाशों पर रोटियां सेकने
पिछले 48 घंटे में सूबे में सुलग रही चिंगारी
मुहर्रम और दशहरा एक साथ पड़ने को सांप्रदायिक ताकतों ने अपने लिए मुफीद समझा। मुहर्रम के मातमी जुलूसों के बीच सूबे के कई जिलों को दहलाने की कोशिश हुई। वहीं दुर्गा पूजा प्रतिमाओं के विसर्जन और दशहरा के दिन कई जगह खूनी संघर्ष हुए।
बवाल रोकने में एसपी समेत कई खाकीवाले घायल
कौशांबी में हुए बवाल को रोकने में एसपी, सहित सीओ व अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सांप्रदायिक तत्व कितने दुस्साहसी हैं।
इऩ जिलों में हुए विवाद
मुरादाबाद के बाद बरेली के बहेड़ी तहसील में खूनी संघर्ष हुआ। खुद डीएम और एसपी मौके पर घंटों डटे रहे तब जाकर जिले को अशांत होने से बचाया जा सका। कौशांबी के मजरा कटरा और रामपुर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के रास्ते में ताजिए रखने पर पथराव की घटना हुई। पुलिस के छह वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। अमराहा में ताजिए रोके जाने को लेकर विवाद हुआ। मारपीट और पथरवा की घटना में 35 नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। चित्रकूट, अमेठी, गोंडा मे भी दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशहरा, मातमी जुलूस के आयोजन के दौरान संघर्ष हुआ। महोबा में मूर्तियों के विसर्जन के दौरान ताजिए पर गुलाल गिरने से बवाल हुआ। बुलंदशहर में मातमी जुलूस के दौरान लड़की को घूरने को लेकर प्रधान और पूर्व प्रधान पक्ष के बीच फायरिंग हो गई।