28 सितम्बर 2022
हमारे भारतीय चिन्तन में शरीर को धर्म का पहला साधन माना गया है। महाकवि कालिदास की सूक्ति "शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्" और इस हेतु सदैव स्वस्थ रहने को कर्तव्य निरूपित किया है। "धर्मार्थ काममोक्षाणाम् आरो