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शेर, ऊंट, सियार और कौवा

18 जनवरी 2022

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किसी वन में मदोत्कट नाम का सिंह निवास करता था। बाघ, कौआ और सियार, ये तीन उसके नौकर थे। एक दिन उन्होंने एक ऐसे उंट को देखा जो अपने गिरोह से भटककर उनकी ओर आ गया था। उसको देखकर सिंह कहने लगा, “अरे वाह! यह तो विचित्र जीव है। जाकर पता तो लगाओ कि यह वन्य प्राणी है अथवा कि ग्राम्य प्राणी” यह सुनकर कौआ बोला, “स्वामी! यह ऊंट नाम का जीव ग्राम्य-प्राणी है और आपका भोजन है। आप इसको मारकर खा जाइए।” सिंह बोला, “ मैं अपने यहां आने वाले अतिथि को नहीं मारता। कहा गया है कि विश्वस्त और निर्भय होकर अपने घर आए शत्रु को भी नहीं मारना चाहिए। अतः उसको अभयदान देकर यहां मेरे पास ले आओ जिससे मैं उसके यहां आने का कारण पूछ सकूं।”
सिंह की आज्ञा पाकर उसके अनुचर ऊंट के पास गए और उसको आदरपूर्वक सिंह के पास ले लाए। ऊंट ने सिंह को प्रणाम किया और बैठ गया। सिंह ने जब उसके वन में विचरने का कारण पूछा तो उसने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह साथियों से बिछुड़कर भटक गया है। सिंह के कहने पर उस दिन से वह कथनक नाम का ऊंट उनके साथ ही रहने लगा।
उसके कुछ दिन बाद मदोत्कट सिंह का किसी जंगली हाथी के साथ घमासान युद्ध हुआ। उस हाथी के मूसल के समान दांतों के प्रहार से सिंह अधमरा तो हो गया किन्तु किसी प्रकार जीवित रहा, पर वह चलने-फिरने में अशक्त हो गया था। उसके अशक्त हो जाने से कौवे आदि उसके नौकर भूखे रहने लगे। क्योंकि सिंह जब शिकार करता था तो उसके नौकरों को उसमें से भोजन मिला करता था।
अब सिंह शिकार करने में असमर्थ था। उनकी दुर्दशा देखकर सिंह बोला, “किसी ऐसे जीव की खोज करो कि जिसको मैं इस अवस्था में भी मारकर तुम लोगों के भोजन की व्यवस्था कर सकूं।” सिंह की आज्ञा पाकर वे चारों प्राणी हर तरफ शिकार की तलाश में घूमने निकले। जब कहीं कुछ नहीं मिला तो कौए और सियार ने परस्पर मिलकर सलाह की। श्रृगाल बोला, “मित्र कौवे! इधर-उधर भटकने से क्या लाभ? क्यों न इस कथनक को मारकर उसका ही भोजन किया जाए?”
सियार सिंह के पास गया और वहां पहुंचकर कहने लगा, “स्वामी! हम सबने मिलकर सारा वन छान मारा है, किन्तु कहीं कोई ऐसा पशु नहीं मिला कि जिसको हम आपके समीप मारने के लिए ला पाते। अब भूख इतनी सता रही है कि हमारे लिए एक भी पग चलना कठिन हो गया है। आप बीमार हैं। यदि आपकी आज्ञा हो तो आज कथनक के मांस से ही आपके खाने का प्रबंध किया जाए।” पर सिंह ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उसने ऊंट को अपने यहां पनाह दी है इसलिए वह उसे मार नहीं सकता।
पर सियार ने सिंह को किसी तरह मना ही लिया। राजा की आज्ञा पाते ही श्रृगाल ने तत्काल अपने साथियों को बुलाया लाया। उसके साथ ऊंट भी आया। उन्हें देखकर सिंह ने पूछा, “तुम लोगों को कुछ मिला?”
कौवा, सियार, बाघ सहित दूसरे जानवरों ने बता दिया कि उन्हें कुछ नहीं मिला। पर अपने राजा की भूख मिटाने के लिए सभी बारी-बारी से सिंह के आगे आए और विनती की कि वह उन्हें मारकर खा लें। पर सियार हर किसी में कुछ न कुछ खामी बता देता ताकि सिंह उन्हें न मार सके।
अंत में ऊंट की बारी आई। बेचारे सीधे-साधे कथनक ऊंट ने जब यह देखा कि सभी सेवक अपनी जान देने की विनती कर रहे हैं तो वह भी पीछे नहीं रहा।
उसने सिंह को प्रणाम करके कहा, “स्वामी! ये सभी आपके लिए अभक्ष्य हैं। किसी का आकार छोटा है, किसी के तेज नाखून हैं, किसी की देह पर घने बाल हैं। आज तो आप मेरे ही शरीर से अपनी जीविका चलाइए जिससे कि मुझे दोनों लोकों की प्राप्ति हो सके।”
कथनक का इतना कहना था कि व्याघ्र और सियार उस पर झपट पड़े और देखते-ही-देखते उसके पेट को चीरकर रख दिया। बस फिर क्या था, भूख से पीड़ित सिंह और व्याघ्र आदि ने तुरन्त ही उसको चट कर डाला। सीख : धूर्तों के साथ जब भी रहें पूरी तरह से चौकन्ना रहें, और उनकी मीठी बातों में बिलकुल न आयें और विवेकहीन तथा मूर्ख स्वामी से भी दूर रहने में ही भलाई है। 

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रचनाएँ
सम्पूर्ण पंचतंत्र भाग 1
5.0
पंचतंत्र नीति, कथा और कहानियों का संग्रह है जिसके मशहूर भारतीय रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा है। पंचतंत्र की कहानी में बच्चों के साथ-साथ बड़े भी रुचि लेते हैं। पंचतंत्र की कहानी के पीछे कोई ना कोई शिक्षा या मूल छिपा होता है जो हमें सीख देती है। पंचतंत्र की कहानी बच्चे बड़ी चाव से पढ़ते हैं तथा सीख लेते हैं। बच्चों के कोमल मन में बातों को गहराई तक पहुंचाने का तरीका कहानियों से बेहतर और क्या हो सकता है। खासकर, पंचतंत्र की कहानियां, जिसमें बेहतर सीख, संस्कार व जीवन में अच्छी चीजों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मौजूद होती है। पांच भागों में बंटी पंचतंत्र की कहानियां ही हैं, जो दोस्ती की अहमियत, व्यवहारिकता व नेतृत्व जैसी अहम बातों को सरल और आसान शब्दों में बच्चों तक पहुंचा कर उन पर गहरी छाप छोड़ जाती हैं। शायद यही वजह है कि अक्सर बचपन में सुनी कहानियां और उनकी सीख जीवन के अहम पड़ाव में मार्ग दर्शक के रूप में भी काम कर जाती हैं। हम कौआ-उल्लू के बीच का बैर, दोस्ती-दुश्मनी, दोस्तों के होने का लाभ, कर्म न करने से होने वाली हानि, हड़बड़ी में कदम उठाने से होने वाले नुकसान जैसी कई पंचतंत्र की कहानियां आप तक इस प्लेटफॉर्म के जरिए लेकर आ रहे हैं।
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मित्रभेद

18 जनवरी 2022
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महिलारोप्य नाम के नगर में वर्धमान नाम का एक वणिक्‌-पुत्र रहता था । उसने धर्मयुक्त रीति से व्यापार में पर्याप्त धन पैदा किया था; किन्तु उतने से सन्तोष नहीं होता था; और भी अधिक धन कमाने की इच्छा थी । छः

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बन्दर और लकड़ी का खूंटा

18 जनवरी 2022
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एक समय शहर से कुछ ही दूरी पर एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा था। मंदिर में लकड़ी का काम बहुत था इसलिए लकड़ी चीरने वाले बहुत से मज़दूर काम पर लगे हुए थे। यहां-वहां लकड़ी के लठ्टे पडे हुए थे और लठ्टे व शहत

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सियार और ढोल

18 जनवरी 2022
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एक बार एक जंगल के निकट दो राजाओं के बीच घोर युद्ध हुआ। एक जीता दूसरा हारा। सेनाएं अपने नगरों को लौट गईं। बस, सेना का एक ढोल पीछे रह गया। उस ढोल को बजा-बजाकर सेना के साथ गए भाट व चारण रात को वीरता की क

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व्यापारी का पतन और उदय

18 जनवरी 2022
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वर्धमान नामक शहर में एक बहुत ही कुशल व्यापारी दंतिल रहता था। राजा को उसकी क्षमताओं के बारे में पता था जिसके चलते राजा ने उसे राज्य का प्रशासक बना दिया। अपने कुशल तरीकों से व्यापारी दंतिल ने राजा और आम

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दुष्ट सर्प और कौवे

18 जनवरी 2022
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एक जंगल में एक बहुत पुराना बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर घोंसला बनाकर एक कौआ-कव्वी का जोड़ा रहता था। उसी पेड़ के खोखले तने में कहीं से आकर एक दुष्ट सर्प रहने लगा। हर वर्ष मौसम आने पर कव्वी घोंसले में अं

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मूर्ख साधू और ठग

18 जनवरी 2022
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एक बार की बात है, किसी गाँव के मंदिर में देव शर्मा नाम का एक प्रतिष्ठित साधू रहता था। गांव में सभी लोग उनका सम्मान करते थे। उसे अपने भक्तों से दान में तरह- तरह के वस्त्र, उपहार, खाद्य सामग्री और पैसे

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लड़ते बकरे और सियार

18 जनवरी 2022
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एक दिन एक सियार किसी गाँव से गुजर रहा था। उसने गाँव के बाजार के पास लोगों की एक भीड़ देखी। कौतूहलवश वह सियार भीड़ के पास यह देखने गया कि क्या हो रहा है। सियार ने वहां देखा कि दो बकरे आपस में लड़ाई कर रहे

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बगुला भगत और केकड़ा

18 जनवरी 2022
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एक वन प्रदेश में एक बहुत बड़ा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकड़े निवास करते थे। पास में ही बगुला रहता था, जिसे

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चतुर खरगोश और शेर

18 जनवरी 2022
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किसी घने वन में एक बहुत बड़ा शेर रहता था। वह रोज शिकार पर निकलता और एक ही नहीं, दो नहीं कई-कई जानवरों का काम तमाम देता। जंगल के जानवर डरने लगे कि अगर शेर इसी तरह शिकार करता रहा तो एक दिन ऐसा आयेगा कि

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खटमल और बेचारी जूं

18 जनवरी 2022
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एक राजा के शयनकक्ष में मंदरीसर्पिणी नाम की जूं ने डेरा डाल रखा था। रोज रात को जब राजा जाता तो वह चुपके से बाहर निकलती और राजा का खून चूसकर फिर अपने स्थान पर जा छिपती। संयोग से एक दिन अग्निमुख नाम का

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रंगा सियार

18 जनवरी 2022
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एक बार की बात है कि एक सियार जंगल में एक पुराने पेड़ के नीचे खड़ा था। पूरा पेड़ हवा के तेज झोंके से गिर पड़ा। सियार उसकी चपेट में आ गया और बुरी तरह घायल हो गया। वह किसी तरह घिसटता-घिसटता अपनी मांद तक पहुं

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शेर, ऊंट, सियार और कौवा

18 जनवरी 2022
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किसी वन में मदोत्कट नाम का सिंह निवास करता था। बाघ, कौआ और सियार, ये तीन उसके नौकर थे। एक दिन उन्होंने एक ऐसे उंट को देखा जो अपने गिरोह से भटककर उनकी ओर आ गया था। उसको देखकर सिंह कहने लगा, “अरे वाह! य

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टिटिहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान

18 जनवरी 2022
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समुद्रतट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोडा़ रहता था । अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिये कहा । टिटिहरे ने कहा - "यहां सभी स्थान पर्याप्त सुरक्षित हैं, तू

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मूर्ख बातूनी कछुआ

18 जनवरी 2022
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किसी तालाब में कम्बुग्रीव नामक एक कछुआ रहता था। तालाब के किनारे रहने वाले संकट और विकट नामक हंस से उसकी गहरी दोस्ती थी। तालाब के किनारे तीनों हर रोज खूब बातें करते और शाम होने पर अपने-अपने घरों को च

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तीन मछलियां

18 जनवरी 2022
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एक नदी के किनारे उसी नदी से जुड़ा एक बड़ा जलाशय था। जलाशय में पानी गहरा होता हैं, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं। ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं। उस जलाशय मे

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हाथी और गौरैया

18 जनवरी 2022
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किसी पेड़ पर एक गौरैया अपने पति के साथ रहती थी। वह अपने घोंसले में अंडों से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। एक दिन की बात है गौरैया अपने अंडों को से रही थी और उसका पति भी रोज की तरह खा

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सिंह और सियार

18 जनवरी 2022
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वर्षों पहले हिमालय की किसी कन्दरा में एक बलिष्ठ शेर रहा करता था। एक दिन वह एक भैंसे का शिकार और भक्षण कर अपनी गुफा को लौट रहा था। तभी रास्ते में उसे एक मरियल-सा सियार मिला जिसने उसे लेटकर दण्डवत् प्रण

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चिड़िया और बन्दर

18 जनवरी 2022
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एक जंगल में एक पेड़ पर गौरैया का घोंसला था। एक दिन कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। ठंड से कांपते हुए तीन चार बंदरो ने उसी पेड़ के नीचे आश्रय लिया। एक बंदर बोला “कहीं से आग तापने को मिले तो ठंड दूर हो सकती हैं।”

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गौरैया और बन्दर

18 जनवरी 2022
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किसी जंगल के एक घने वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ा-चिडी़ का एक जोड़ा रहता था । अपने घोंसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे सर्दियों का मौसम था । एक दिन हेमन्त की ठंडी हवा चलने लगी और साथ में बूंदा-बांदी भी शुरु

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मित्र-द्रोह का फल

18 जनवरी 2022
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दो मित्र धर्मबुद्धि और पापबुद्धि हिम्मत नगर में रहते थे। एक बार पापबुद्धि के मन में एक विचार आया कि क्यों न मैं मित्र धर्मबुद्धि के साथ दूसरे देश जाकर धनोपार्जन कर्रूँ। बाद में किसी न किसी युक्ति से उ

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मूर्ख बगुला और नेवला

18 जनवरी 2022
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जंगल के एक बड़े वट-वृक्ष की खोल में बहुत से बगुले रहते थे । उसी वृक्ष की जड़ में एक साँप भी रहता था । वह बगलों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था । एक बगुला साँप द्वारा बार-बार बच्चों के खाये जाने पर बह

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जैसे को तैसा

18 जनवरी 2022
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एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिये का लड़का रहता था । धन की खोज में उसने परदेश जाने का विचार किया । उसके घर में विशेष सम्पत्ति तो थी नहीं, केवल एक मन भर भारी लोहे की तराजू थी । उसे एक महाजन के पास धरोहर

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मूर्ख मित्र

18 जनवरी 2022
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किसी राजा के राजमहल में एक बन्दर सेवक के रुप में रहता था । वह राजा का बहुत विश्वास-पात्र और भक्त था । अन्तःपुर में भी वह बेरोक-टोक जा सकता था । एक दिन जब राजा सो रहा था और बन्दर पङखा झल रहा था तो बन्

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