
नई दिल्लीः परिवार की लड़ाई के बाद अपनी कथित साफ-सुथरी छवि बनाने में जुटे अखिलेश क्या इस सवाल का जवाब देंगे कि उन्होंने किस मजबूरी में नगीना विधानसभा सीट से मनोज पारस को टिकट दिया। पारस और उनके तीन साथियों पर गांव की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज है।
पहले टिकट काटा फिर दबाव में दिया
नगीना विधानसभा सुरक्षित सीट से पहले पूर्व सांसद यशवीर सिंह धोबी को टिकट दिया गया था। मगर दो घंटे बाद ही सूची में संशोधन करते हुए मनोज पारस को प्रत्याशी बना दिया गया। इससे मनोज पारस के सपा में रसूख का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है।
सत्ता हो तो जेल क्यों जाना
2006 में मनोज पारस व तीन साथियों पर गांव की महिला ने सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। कोर्ट ने 18 अक्तूबर 2013 को मंत्री को कोर्ट में पेश न होने पर गिरफ्तारी की चेतावनी दी थी। नहीं तो पुलिस मंत्री को गिरफ्तार करेगी।
इसके बाद से मंत्री के ऊपर 18 अक्तूबर 2013 के बाद से गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी थी। मगर पारस हाजिर नहीं हुए। 2012 में विधायक बनने के बाद स्टांप शुल्क राज्य मंत्री पद भी मिला। बाद में 2014 में मंत्री पद भले छीन लिया गया मगर सत्ताधारी दल का विधायक होने के कारण मनोज जेल जाने से बचे रहे। गैंगरेप जैसे संगीन मामले में मुकदमा झेलने के बाद भी मनोज को टिकट देने पर अखिलेश के कथित साफ-सुथरी छवि की पोल खुल रही है।