नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में एक बड़ा बिजली घोटाला सामने आया है। शिवराज सरकार पर सामान्य दर से 5 रुपए ज्यादा में बिजली खरीदारी करने का आरोप लगा है। मध्यप्रदेश सरकार ने 2013-14 में गुजरात की कंपनी सूजान टोरेंट पॉवर से 9.56 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी। जबकि ओपन मार्केट में बिजली का रेट 4-5 रुपए प्रति यूनिट था। इसके कारण 9000 करोड़ का घाटा हुआ।
कैसे हुआ खुलासा
मध्यप्रदेश का यह बिजली घोटाला तीनों कंपनियों के प्रमुख पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने नियामक आयोग की रिर्पोट पेश करने के बाद सामने आया है। बता दें मामले पर 8 दिसंबर को सुनवाई भी हुई थी।
विधानसभा में उठा मामला
नियामक आयोग की रिर्पोट के आंकड़ों का हवाला देते हुए कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया। कांग्रेस विधायक पटवारी ने कहा कि एक ओर शिवराज सरकार का कहना है कि हमारे पास सरप्लस बिजली है, दूसरी ओर एक कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए इतनी मंहगी बिजली खरीदी जा रही है। इससे लगता है कि सरकार किसी लेन-देन में है।
शिवराज के मंत्री ने दी सफाई
शिवराज सरकार में ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि अभी आयोग की ऑडिट रिपोर्ट आना बाकी है। इसलिए कितना घाटे हुआ यह नही कहा जा सकता और ना ही आंकड़ों के बारे में कुछ कहा जा सकता। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक महंगी बिजली खरीदने का सवाल है, तो 14 साल पहले आपकी (कांग्रेस) ही सरकार ने ही करार किया था। हम तो बस इसे निभा रहे हैं।
कांग्रेस ने दर्ज कराया विरोध
जब ऊर्जा मंत्री ने यह कहा गया तो कांग्रेस विधायक और अन्य नेताओं ने इस पर विरोध दर्ज करवाया। सवाल यह है कि यदि दिग्विजय सिंह सरकार के तमाम अनुबंधों को निभाना ही शिवराज सरकार अपना धर्म मानती है तो जरूरत क्या थी कि मप्र में सरकार बदल दी जाए।