shabd-logo

श्री सम्मेद शिखर की पवित्रता

8 जून 2023

7 बार देखा गया 7

सांगानेर में विराजितसुज्ञेयसागर जी महाराज ने अपने आस्था के सर्वोच्च केंद्र श्री सम्मेद शिखर की पवित्रता को सुरक्षित रखने हेतु पिछले २५ दिनों से अनवरत आमरण-अनशन पर बैठे हुए थे, अंतत: उन्होंने स्वय का बलिदान दे दिया और "प्राण दे दिया परन्तु अपने सर्वोच्च आस्था के केंद्र के साथ राज सरकार के द्वारा किये जा रहे व्यवहार को बर्दास्त नहीं किया।"

अब मित्रों यंहा पर जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि आखिर ये " श्री सम्मेद शिखर जी" कि महिमा क्या है और झारखण्ड की राज्य सरकार ने ऐसा क्या कर दिया कि उसका निर्णय हमारे पवित्र " जैन समाज" के आस्था को चोट पहुंचाने जैसा हो गया।

आइये सर्वप्रथम हम देखते हैं कि:- " श्री सम्मेद शिखर जी" कंहा पर विराजमान हैं और इनकी महिमा क्या है?

सम्मेद शिखरजी को हम श्री शिखरजी या पारसनाथ पर्वत के नाम से भी जानते हैं। हमारे देश के झारखंड राज्य के गिरिडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक स्थल है जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल भी है। जैन धर्म के अनुसार जैन धर्म के २४ तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान 'आदिनाथ' अर्थात् भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, १२वें  तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी, २२वें  तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ ने गिरनार पर्वत और २४वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया। शेष २० तीर्थंकरों ने इसी श्री सम्मेद शिखर में मोक्ष प्राप्त किया।यहीं २३ वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था।

इसलिए यह 'सिद्धक्षेत्र' कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात् 'तीर्थों का राजा' कहा जाता है। जैन ग्रंथों के अनुसार सम्मेद शिखर और अयोध्या, इन दोनों का अस्तित्व सृष्टि के समानांतर है। इसलिए इनको 'शाश्वत' माना जाता है। यही कारण है कि जब सम्मेद शिखर तीर्थयात्रा शुरू होती है तो हर तीर्थयात्री का मन तीर्थंकरों का स्मरण कर अपार श्रद्धा, आस्था, उत्साह और खुशी से भरा होता है।

इस क्षेत्र की पवित्रता और सात्विकता के प्रभाव से ही यहाँ पर पाए जाने वाले शेर, बाघ आदि जंगली पशुओं का स्वाभाविक हिंसक व्यवहार नहीं देखा जाता। इस कारण तीर्थयात्री भी बिना भय के यात्रा करते हैं। संभवत: इसी प्रभाव के कारण प्राचीन समय से कई राजाओं, आचार्यों, भट्टारक, श्रावकों ने आत्म-कल्याण और मोक्ष प्राप्ति की भावना से तीर्थयात्रा के लिए विशाल समूहों के साथ यहाँ आकर तीर्थंकरों की उपासना, ध्यान और कठोर तप किया।

गिरिडीह स्टेशन से पहाड़ की तलहटी और मधुवन तक कि दुरी क्रमशः १४ और १८ मील है। पहाड़ की चढ़ाई और उतराई तथा सम्पूर्ण यात्रा करीब १८ मील की है।यह समुद्र के तल से ५२० फ़ीट की ऊँचाई पर लगभग ९ किलोमीटर की परिधि में फैला है। श्री सम्मेद शिखर तीर्थ पारसनाथ पर्वत की उत्तरी पहाडिय़ों एवं प्राकृतिक दृश्यों के बीच स्थित तीर्थ स्थान है। यहाँ पर प्राकृतिक हरियाली और प्रदूषण मुक्त वातावरण के मध्य स्थित गगनचुम्बी मंदिरों की श्रृंखला लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस तरह यह तीर्थ क्षेत्र भक्तों के मन में भक्ति व प्रेम की भावना को जगाता है तथा उनको अहिंसा और शांति का संदेश देता है।

झारखंड राज्य का निर्णय:-

दिनांक २ अगस्त २०१९ को केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा पारसनाथ पहाड़ी स्थल क्षेत्र के एक हिस्से को ‘वन्य जीव अभ्यारण्य और पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसेटिव ज़ोन) घोषित किया गया। इसके पश्चात दिनांक २ जुलाई २०२२ को झारखंड सरकार ने भी इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा कर दी। इसे पर्यटन स्थल घोषित करना हि जैन समुदाय के दुःख का सबसे बड़ा करन है।

असल में यदि आप किसी तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करते हैं तो पर्यटन के साथ साथ पर्यटन से जुड़ी प्रदुषित मानसिकता और तीर्थ से जुड़ी आस्थायुक्त ह्रदय के मध्य अघोषित संग्राम शुरू हो जाता है, जैसे:-

१:- तीर्थ होने पर केवल श्रृद्धालु और अस्थावान हि उस क्षेत्र में आने का प्रयास करते हैं  और पूर्ण श्रद्धा और आस्था से प्रकृति को नुकसान पहुंचाये बिना अपना कार्य सम्पन्न कर वापस ख़ुशी ख़ुशी चलें जाते हैं जबकि

१:-पर्यटन अपने साथ भीड़ लेकर आता है, जिसका मुख्य उद्देश्य आनंद प्राप्त करना होता है।आनंद प्राप्त करने की मानसिकता, भीड़ को जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण और वायु प्रदुषण करने को प्रेरित करती है;

२:- तीर्थ से जुड़ी आस्था उस पूरे क्षेत्र की पवित्रता को बनाये रखने का जीतोड़ प्रयास करती है, इसीलिए जैन लोग १८मिल कि यात्रा नंगे पैर करते हैं, और मल मूत्र का त्याग करना तो दूर की बात उसका ध्यान भी अपने मन में नहीं लाते जबकि

२:-पर्यटन के लिए आने वाली भीड़ से  जल, वायु, ध्वनि के साथ साथ भूमि प्रदुषण भी व्यापक मात्रा में होता है;

३:- तीर्थ से जुड़ी आस्था के कारण यदि किसी भक्त को कंही कोई प्रदुषण दिखाई देता है तो वो उसे अपनी भक्ति के कारण स्वय स्वच्छ करने को तत्पर हो जाता है, और इस प्रकार वो प्रदुषण दूर हो जाता है, जबकि

३:-भीड़ उसी प्रकार प्रदुषण इन स्थानों पर छोड़कर निकल जाती है जैसा वो अपने गांवो या शहरों में करती है;

४:- आस्था से तीर्थ स्थल परिस्थितिक तंत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, जबकि

४:- पर्यटन स्थल पर इस प्रदुषण से उस स्थान का परिस्थितिक तंत्र पूर्णतया बिगड़ जाता है, जिसका कुप्रभाव देखने को मिलता है।

सन्न्यासस्तु महाबाहो दु:खमाप्तुमयोगत: |

योगयुक्तो मुनिर्ब्रह्म नचिरेणाधिगच्छति ||

भक्ति में लगे बिना केवल समस्त कर्मों का परित्याग करने से कोई सुखी नहीं बन सकता। परन्तु भक्ति में लगा हुआ विचारवान व्यक्ति शीघ्र ही परमेश्वर को प्राप्त कर लेता है। और यही भक्ति आस्था के रूप में इस तीर्थ स्थल से जुड़ी हुई है।

धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः।

तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥

धर्म को जाननेवाले, धर्म मुताबिक आचरण करनेवाले, धर्मपरायण, और सब शास्त्रों में से तत्त्वों का आदेश करनेवाले गुरु कहे जाते हैं। और ऐसे एक नहीं अपितु २० तीर्थंकर को मोक्ष प्रदान करने वाले स्थल की तो महिमा हि अपरम्पार है।

हम अपने जैन भाइयों के साथ हैं और इनके सम्पूर्ण विरोध का समर्थन करते हैं। भारत को सबसे अधिक राज्स्व प्रदान करने वाले समाज को शत शत प्रणाम। झारखंड राज्य सरकार अपने निर्णय को वापस लेकर श्री सम्मेद शिखर जी को " तीर्थ स्थल" घोषित करें।

लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

10
रचनाएँ
क्या कहता है कानून?
0.0
वैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत हि समाजिक, आर्थिक और धार्मिक चेतना का विकास होता है। विधि भी अध्यात्म की भांति संतुलन, समन्वय और सहकार्य में रमती है। इस किताब में हम कुछ महत्वपूर्ण विधिक पहलुओं का काँट छांट और विच्छेदन करेंगे।
1

२०२४ के चुनाव से पूर्व मनीपुर को दंगो में झोंक दिया!

8 जून 2023
1
0
0

मित्रों जिस प्रकार मणिपुर में अचानक इतने बड़े पैमाने पर हिंसा और आगाजनी हुई, ये एक सुनियोजित षड्यंत्र की ओर इशारा करती है। अत्यंत हि अल्पावधी में "हिन्दु माइति" समुदाय को ST अर्थात Schedule Tri

2

अरे अदालते तो उस समय भी थी संविधान तो उस समय भी था।

8 जून 2023
0
0
0

मित्रों जब से अतिक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या होने पर  तथा उसके बेटे असद अहमद का पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर, इस देश के तथाकथित संविधानवादी (जिनका संविधान से कोई लेना देना नहीं) और अदाल

3

हिडनबर्ग का अडानी प्रेम - किसका षड्यंत्र- किसको लाभ।

8 जून 2023
0
0
0

हे मित्रों आखिर एक बार फिर भारत में छुपे भारत के विरोधी देशद्रोहियों ने अल्पज्ञानी पर धूर्तता और मक्कारी में परांगत अंग्रेजो से मिलकर हमारे एक विश्वशनीय और ईमानदार उद्योगपति को निशाना बनाया, जिसने

4

गणतंत्र और संविधान।

8 जून 2023
0
0
0

२ वर्ष ११ महीने १८ दिन में  १८६ घंटे काम करके एक ऐसा संविधान का निर्माण किया गया, जिसमें २६ नवम्बर १९४९  ई॰ को अंगिकार करने तथा २६ जनवरी १९५० को लागू  किये जाने का पश्चात १०० से ज्यादा बार संशोध

5

श्री सम्मेद शिखर की पवित्रता

8 जून 2023
0
0
0

सांगानेर में विराजितसुज्ञेयसागर जी महाराज ने अपने आस्था के सर्वोच्च केंद्र श्री सम्मेद शिखर की पवित्रता को सुरक्षित रखने हेतु पिछले २५ दिनों से अनवरत आमरण-अनशन पर बैठे हुए थे, अंतत: उन्होंने स्वय का ब

6

अमेरिका का षड्यंत्र लीबिया और इराक के बाद अब भारत के विरुद्ध |

8 जून 2023
0
0
0

"We Came , We Saw , He Died" मित्रो जब हिलेरी क्लिंटन  ने बड़े ही वीभत्स तरीके से हँसते हुए  ये शब्द कहे, तब तक लीबिया के कुछ भटके हुए लोगों  ने NATO की सहायता से  अपने सबसे बड़े नेता कर्नल गद्दाफी को ब

7

NDTV के बिकने का सच।

8 जून 2023
1
0
0

जी हाँ मित्रों आजकल एक शोर चारों ओर मचाया जा रहा है कि NDTV को अडानी समूह असंवैधानिक प्रक्रिया अपनाकर खरीद रहा है। आइये देखते हैं इसके पीछे का सच क्या है? जी हाँ मित्रों आजकल एक शोर चारों ओर मचाया

8

सत्य की जीत:- श्री एकनाथ शिंदे।

8 जून 2023
0
0
0

जी हाँ मित्रों, दिनांक १९जुन १९६६ को जब स्व. बाळासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का गठन हुआ, तो इसके पीछे केवल २ उद्देश्य थे, जिसमें से एक था भूमिपूत्रों का विकास और दूसरा था हिंदुत्व की अवधारण

9

गब्बर सिंह - "जो डर गया समझो मर गया"। माननीय मुख्यमंत्री- "पियोगे तो मरोगे"।

8 जून 2023
0
0
0

आदरणीय गब्बर सिंह जी अपने जमाने के मशहूर डाकू थे। वे अपने गिरोह के सरदार थे। वे अपने डकैति वाले व्यवसाय में पूर्ण रूपेण समर्पित थे। वे अपने गिरोह के "गुडविल" और "ब्रांड" के बाजार मूल्य (Market Val

10

धर्म और अंधविश्वास

11 जुलाई 2024
0
0
0

धर्म और अंधविश्वास। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के पश्चात हुई भगदड़ में लगभग १२१ मनुष्यों की असमय मौत हो गई (जिसमें स्त्रियाँ, बच्चे और पुरुष सम्मिलित हैं)। मित्रों इस घटना ने एक बार पुनः बुद

---

किताब पढ़िए