मित्रों जिस प्रकार मणिपुर में अचानक इतने बड़े पैमाने पर हिंसा और आगाजनी हुई, ये एक सुनियोजित षड्यंत्र की ओर इशारा करती है। अत्यंत हि अल्पावधी में "हिन्दु माइति" समुदाय को ST अर्थात Schedule Tribes वर्ग में सम्मिलित करने वाले ऐतिहासिक फैसले को आधार बनाकर नागा कुकी समुदाय (जो मुख्यत: ईसाई हैँ) को भड़काकर ये दंगो की फसल काटी गयी है।
आप स्वयं सोचे कि इतने बड़े पैमाने पर इतनी कम अवधि में इतनी भयानक हिंसा कैसे हो सकती है कि इस समुदायिक हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट, हत्या से.हालात इतने भयावह हो गये कि इंटरनेट बंद करना पड़ा, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश देना पड़ा, हजारों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर पड़ोसी राज्य असम में पलायन करना पड़ा। बड़ी तादाद में आर्मी और असम राइफल्स के जवानों को तैनात करना पड़ा।
मणिपुर की राजधानी इम्फाल से लगभग ६३ किलोमीटर पर स्थित चुराचंदपुर जिला है जंहा से इस षड्यंत्र का सूत्रपात किया गया। ये चुराचंदपुर आज भी हिंसा का केंद्र बना हुआ है।
अब प्रश्न ये है मित्रों कि आखिर ऐसी स्थिति पैदा कैसे कर दी गयी? क्यों सुलगा दिया गया मणिपुर जिसे उत्तर पूर्व भारत का गहना भी कहते हैँ?
हे मित्रों इसे समझने के लिए हमें मणिपुर के समुदायिक सरंचना , उनकी जनसंख्या और उनके हिस्से में आयी मणिपुर की धरती के साथ साथ हमें बड़े पैमाने पर बंगलादेशी और रोहंगिया मुसलमानो की घुसपैठ और उससे होने वाले खतरे को समझना होगा।
पूर्वोत्तर के इस राज्य मणिपुर में तीन प्रमुख समुदाय हैं- १:-बहुसंख्यक माइती जो हिन्दु समुदाय है। इनकी जनसंख्या लगभग ५३% है। ये मणिपुर के मैदानी अर्थात पहाड़ियों के बिच में जो समतल मैदान होता है, वंहा बसे हुए हैँ और इनके कब्जे में केवल १०% धरती है। अब चुंकि ये हिन्दु समुदाय है अत: इन्होने शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास पर विशेष ध्यान दिया अत: इनका समुदाय विकासशील समुदाय के रूप में मान और सम्मान प्राप्त करता है।वर्तमान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी इसी समुदाय से संबंधित हैं।
इनके अतिरिक्त दो आदिवासी समुदाय- कुकी और नागा। ये अधिकांशत: ईसाई समुदाय से हैँ जो मणिपुर के पहाड़ो और जंगलो में निवास करते हैँ। ये जंगल में, पहाड़ो पर रहने वाले समुदाय हैँ जिनमें शिक्षा का अत्यंत अभाव है और इसीलिए इनका समुदाय पिछड़ा हुआ है। इनकी आबादी करीब ४०% है और ९०% धरती पर इनका कब्जा है।
शिक्षा और विकास के आभाव में नागा और कुकी समुदाय के
ये इलाके लंबे समय से उग्रवादी गतिविधियों के केंद्र रहे हैं। एक समय तो लगभग ६० हथियारबंद उग्रवादी समूह इस इलाके में सक्रिय थे।
अब यंहा पर घुसपैठी समुदाय अर्थात बंगलादेशी और रोहंगिया घुसपैठियों ने भी अपनी पकड़ बना रखी है और ये मणिपुर के डेमोग्राफी को परिवर्तित करने की क्षमता रखते हैँ।आपको बताते चलें की उत्तर पूर्व भारत की लगभग १६४३ किलोमीटर लम्बी सीमा म्यांमार से लगती है। ज्ञात सूत्रों के अनुसार, म्यांमार से ५२००० के करीब शरणार्थी पूर्वोत्तर के राज्यों में बसे हुए हैं। इनमें से अकेले मणिपुर में ७८०० शरणार्थी हैं। इसके अलावा भी बड़ी संख्या में म्यांमार और बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी मणिपुर में बसे हुए हैं।
अब इन घुसपैठियों के कारण प्रत्येक क्षेत्र में अशांति फैलने का खतरा बना रहता है। जंहा ये घुसपैठिये होते हैँ, वंहा हत्या, चोरी, लूट, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों का बोलबाला होता है।
अब आइये देखते हैँ कि किन कारणों को आधार बनाकर ये सुनियोजित दंगा फैलाया गया है:-
१:- पिछले महीने मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह 4 हफ्ते के भीतर मेइती समुदाय को एसटी (ST) का दर्जा देने की मांग पर केंद्र सरकार को अपनी सिफारिश भेजे।
"मित्रों नागा और कुकी को तो स्वतन्त्रता के समय हि (ST) वर्ग में सम्मिलित कर दिया गया था, परन्तु माईति हिन्दु समुदाय था, इसलिए इनके साथ छल करते हुए इन्हें (ST) का दर्जा नहीं दिया गया, निष्के कारण ये केवल १०% भूमि तक हि सिमट कर रह गये। एक लम्बी लड़ाई के पश्चात अब जाकर उनकी सुनवाई हुई है और मांग पुरी की जा रही है।"
अब यही बात इन नागा और कुकी रूपी ईसाई समुदायो को पसंद नहीं आ रही है और ये माइती हिन्दु समुदाय को (ST) का दर्जा दिये जाने का विरोध कर रहे हैँ। मित्रों आपको याद होगा की कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाने का विरोध वंहा के कन्वर्ट मुस्लिम कर रहे थे, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि जम्मू कश्मीर में हिन्दुओ को जमीन खरीदने या बसने का मौका मिले। उन्होंने १९९०-९१ में बड़े पैमाने पर इसी प्रकार हिंसा, आगाजनी, हत्या, लूटपाट, बालात्कार और दंगे फ़साद करके बड़े पैमाने पर हिन्दुओ को पलायन करने को मजबूर कर दिया था। उनका यह भी कहना था कि ये हिन्दु लोग पढ़े लिखे और विकासवान लोग है, इन्हे सरकारी नौकरियां आसानी से मिल जाती हैँ और हमारी अनपढ़ नाकाबिल कौम के हिस्से कुछ नहीं आता।
मित्रों ठीक इसी प्रकार के आरोप लगाकर ये नागा कुकी समुदाय के लोग माइति, हिन्दु समुदाय को ST का दर्जा दिये जाने का विरोध कर रहे हैँ, इनका कहना है कि ये लोग शिक्षित, विकासशील और समझदार लोग हैँ, ये पहाड़ो पर कब्जा कर लेंगे जो हमारे अशिक्षित समुदाय के लिए अच्छा नहीं होगा।
मित्रों यंहा पर सबसे बड़ा खतरा ये घुसपैठिये हैँ, जिनके कारण माईति हिन्दु समुदाय को संस्कृतिक, धार्मिक और समाजिक रूप से विशेष खतरा है। ये घुसपैठिये किसी भी राज्य और समाज के लिए कोढ साबित होते हैँ और माईति हिन्दु समुदाय भी इसी डर के साये में जी रहा है।
२:- ये नागा और कुकी ईसाई समुदाय राज्य सरकार की तरफ से कराए गये लैंड सर्वे से भी नाराज है। ये सर्वे चुराचंदपुर- खोउपुम प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट क्षेत्र में किया गया था। यह प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट रीजन लगभग ४९० वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल् लिए मणिपुर के चुराचंदपुर, बिष्णुपुर और नोनी जिलों में फैला हुआ है। ये नागा और कुकी ईसाई समुदाय लैंड सर्वे का विरोध कर रहा है और उसकी मांग है कि सरकार १९६६ के उस आदेश को रद्द करे जिसमें आदिवासी इलाकों को प्रोटेक्टेड/रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन घोषित किया गया है। उनका कहना है कि इसके जरिए उनसे उनका जंगल छीना जा रहा है। कुकी और नगा समुदाय इसे खुद को जंगल से बेदखल किए जाने के रूप में देख रहे हैं।
उपरोक्त दो कारणों को आधार बनाकर इन दंगो की पृष्ठभूमि तैयार की गयी। उपर्युक्त दो कारणों से क्रोधित होकर इसके विरुद्ध कुकी और नागा ईसाई आदिवासियों ने दिनांक ३ मई २०२३ को राज्य के सभी १० पहाड़ी जिलों में 'ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च' यानी 'आदिवासी एकता यात्रा' निकालने की घोषणा की। मार्च का आयोजन ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने किया और जब यह यात्रा हिन्दु माइति समुदाय के पास से गुजरी तो आधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों ने हिंसा भड़का दी और देखते हि देखते वे हिन्दु माइति समुदाय पर टूट पड़े। उनके घर जला दिये, उनकी दुकाने लूट ली, हत्याएं की और पुरी व्यवस्था को तहस नहस कर दिया।
इस सुनियोजित हिंसा में (जैसे दिल्ली मे भड़काई थी) अबतक लगभग ५० से अधिक संख्या में लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। अनगिनत लोगों को घायल कर दिया गया, मरने वालों में इनकम टैक्स अफसर लेमिनथांग हाओकिप भी हैं। लगभग १३००० माइति हिन्दु लोगो को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
दंगा कितने बड़े पैमाने पर फैलाया गया, इसे इस बात से समझ सकते हैँ कि, केंद्र सरकार द्वारा सीआरपीएफ को मैदान में उतारना पड़ा। सेना के जवानो ने पूरे मणिपुर को छावनी बना दिया है। हालांकि उनके एक कोबरा कमांडो की भी हिंसा में मौत हुई है।
मित्रों स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव २०२४ होने वाला है, परन्तु देशविरोधी ताकतें उससे पूर्व हि पूरे देश को समुदायिक दंगो की आग में झोकना चाहती हैँ और इसके लिए उन्होंने सोची समझी चाल के तहत उत्तर पूर्वी भारत से इसकी शुरुआत कर दी है। मणिपुर में हिन्दु और ईसाई समुदाय के मध्य दंगा कराया और अब किसी और राज्य में किसी और समुदाय को हिन्दुओ से लड़ाने का ये देशद्रोही प्रयास करेंगे।
हमें एक जिम्मेसर नागरिक होने के नाते सजग और सावधान रहना है। "नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि"
लेखन और संकलन:- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)
aryan_innag@yahoo.co.in