श्रवण वापस से उस लडकी की ओर देखकर खुद से बोला " जिसके बारे में जानना है उसी से डायरेक्ट पूंछ लेता हूं न । " इतना कहकर श्रवण उस लडकी की ओर कदम बढ़ाने लगा । वर्कर्स वहां से जा चुके थे और वो लडकी अपनी फाइल्स को टटोल रही थी । श्रवण उसके बेहद करीब पहुंच चुका था । इतना करीब की जमीन को छू रहा उस लडकी का दुपट्टा श्रवण के पैरों के नीचे कब चला आया उसे पता ही नहीं चला । वो लडकी जैसे ही पलटी खिंचाव की वजह से वो दुपट्टा जमीन पर जा गिरा । साथ ही श्रवण से टकराने की वजह से वो नीचे गिरने लगी । इसने घबराकर श्रवण की शर्ट को अपनी मुट्ठियों में भींच लिया । श्रवण ने उसे संभालने के लिए अपना एक हाथ उसकी कमर पर रखा हुआ था और दूसरे हाथ से उसकी बाह पकडी हुई थी । उस लडकी का चश्मा सरककर आंखों से थोडा से नीचे यानी की नाक पर जा टिका था । उसकी झिलमिलाती पलके श्रवण को एकटक उसकी ओर देखने के लिए मजबूर करने लगी । श्रवण अपने मन में बोला " फिगर ख़राब नही है । थोडा सा लुक चेंज कर ले तो बहन जी टाइप की कैटिगरी से बाहर निकल सकती है ।
श्रवण का एकटक उसे घूरना उस लडकी को बिल्कुल पसंद नही आया । उसकी नज़र अपने दुपट्टे पर गई जो श्रवण के कदमों के नीचे था । वो खुद को संभालते हुए श्रवण से दो कदम दूर हुई और एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गालों पर जड़ते हुए बोली " बदतमीज ....... "
थप्पड़ काफी जोरदार था जिससे श्रवण की गर्दन दाई और झुक गई । वो अपना हाथ गालों पर रख सदमे में जा पहुंचा । वही वो लडकी नीचे झुकी और अपना दुपट्टा उसके पैरो से निकालते हुए बोली " हटाओ अपने पैर । "
श्रवण ने अपने पैर साइड कर लिए । उस लड़की ने अपना दुपट्टा ओंढा और जमीन पर गिरी अपनी फाइलों को उठाने लगी ।
" तुमने मुझे थप्पड़ मारा " श्रवण अपने गालों पर हाथ रख उसे देखते हुए बोला । वो लडकी अपनी फाइलें उठाते हुए खडी हुई और एक दूसरा थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर जड दिया ।
" अब तुम मुझसे यही सवाल दोबारा नही पूछोगे । " उस लडकी ने इतना कहा तो श्रवण अपने दोनों गालों पर हाथ रख हैरानी से उससे बोला " तुम ये प्रसाद मुझे किस खुशी में चढा रही हो देवी जी । "
" तुम्हारी ही पूजा का प्रसाद है । तुम जैसे लड़कों की यही आदत है लड़कियां देखी नही की बस अपनी छिछोरों वाली हरकतें शुरू कर देते हो । " उस लडकी ने जवाब दिया ।
" इसने तो मुझे बडी जल्दी पहचान लिया । " श्रवण ये मन में सोच ही रहा था की तभी उसे ध्यान आया कि उस लडकी ने अभी अभी उसे दो थप्पड़ मारे है और उसने चुपचाप खा भी लिए । श्रवण ने अपने गालों पर से अपने दोनों हाथ हकाए और गुस्से से बोला " क्या कहा तुमने छिछोरों वाली हरकतें । ....... ओ मैडम ऐसा तो मैंने कुछ किया भी नही जब करूगा तब क्या बोलोगी ? और वैसे भी तुम जैसी बहन जी टाइप को कोई देखे भी न । "
" वो मैंने अभी थोडी देर पहले ही देख लिया कौन मुझे किस नज़र से देख रहा था । आगे से मुझे नज़र मत आ जाना वरना आज गालो पर दो थप्पड़ जड़े है । अगली बार चाकू पेट के अंदर डालकर सारा नक्शा बिगाड़ दूगी । " ये कहते हुए उस लडकी ने अपना चश्मा ठीक किया और गुस्से से पैर पटकते हुए वहां से चली गई ।
श्रवण अभी भी यहां हैरान खडा उसकी धमकियों के बारे में सोच रहा था । " ये लडकी मेरे ही मूंह पर मेरी बेइज्जती करके चली गई आखिर कौन थी मैं इसे छोडूगा नही । " श्रवण ये सब मन में सोच ही रहा था कि तभी रूद्र ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा " क्या बात है श्रवण भाई सा ? किसके बारे में सोच रहे है आप ? "
श्रवण की नजरें अभी भी उस जाती हुई लडकी पर थी । उसने बिना रूद्र की ओर देखे पूछा " वो लडकी कौन है ? " रूद्र सामने की ओर देखकर बोला " अरे वो ....... वो तो वसुंधरा जी है यहा की अकाउंटेंट । बेहद ही सिंपल और इनोसेंट टाइट । "
" कितनी इनोसेंट है वो तो मैंने अभी अभी देखा । " श्रवण ने कहा तो रूद्र नासमझी से बोला " क्या कहा आपने अभी ? "
" कुछ नही काका सा के पास चलते है रूहान भी वही होगा । " श्रवण ने कहा तो रूद्र ने हां में सिर हिला दिया और दोनों ऊपर की ओर चले आए । यहा रूहान बाकी सबसे मिल चुका था । उसने विजय जी की ओर देखकर कहा " चले काका सा ...... । "
" हां चलो " ....... विजय जी ने कहा और दोनों आगे बढ गए । उन्हें सामने से आते रूद्र और श्रवण दिखाई दिये । वो चारो वापस नीचे चले आए । रूहान ने श्रवण का हाथ पकड़कर रोक लिया ।
" क्या हुआ ..... ? " श्रवण ने पूछा तो रूहान बोला " ये सवाल तो मुझे मुझसे करना चाहिए । " श्रवण नासमझी से उसकी ओर देखने लगा तो रूहान उसका छूकर बोला " तेरे गालों पर ये उंगलियों के निशान किसके है । किसने तुझे ये प्रसाद दिया । " श्रवण उसका हाथ हटाते हुए बोला " किसी ने नही ........ वो यहा मच्छर बहुत है न इसलिए मेरी उंगलियों के निशान मेरे गालों पर चले आए । " श्रवण ने इतना कहा ही था कि तभी उसे किसी की हंसने की आवाजें सुनाई दी । रूहान और श्रवण दोनों ने ऊपर की ओर देखा तो वहां वसुंधरा खडी थी । उन दोनों को अपनी ओर देखते हुए वसुंधरा ने जब पाया तो अपनी हंसी रोकते हुए बोली " सॉरी " ........ इतना कहकर वो अपना चश्मा संभालते हुए वहां से तेज कदमों के साथ निकल गई । श्रवण गुस्से से उसे ही घूर रहा था । रूहान श्रवण की ओर देखकर बोला " अब चले वरना और मच्छर आ गए तो चेहरे का हूलिया और भी ज्यादा बिगड़ जाएगा । " इतना कहकर रूहान आगे बढ गया और श्रवण भी उसके पीछे चल दिया । दोनों बाहर आए तो गार्ड ने आकर उनके लिए गाडी का दरवाजा खोला । आगे वाली गाडी में रूद्र और विजय जी बैठे हुए थे और पीछे वाली गाडी में रूहान और श्रवण । उनकी गाडी के पीछे और भी दो गाड़ियां थी । उनका काफिला निकला और आगे बढा । कुछ दूरी पर रास्ता रेत के टीलों के बीच से होकर गुज़रा । दोपहर का वक्त और सूरज की प्रचंड गर्मी । इसके साथ ही रेत के कण उडाती हवाए । राजस्थान का बेहद ही लुभावना दृश्य होता है ये ।
ड्राइवर ने अचानक से गाड़ी रोकी । उनके रोकते ही सामने से आ रही गाडी यो ने भी ब्रेक लगाया । दोनों ही ओर से गाड़ीयों का दरवाजा खुला । एक ओर से विजय जी और रूद्र बाहर आए , ठीक उनके पीछे रूहान और श्रवण भी बाहर आए ।
यहां दूसरी तरफ गाडी से दो आदमी बाहर आए । ये है श्रीधर सिंह रावत और उनका बेटा अनुप सिंह रावत । इन्हें विजय जी के दुश्मनों में नंबर वन पर माना जाता है । रावत साहब मुस्कुराते हुए बोला " अहो भाग्य हमारे जो आज हुकुम सा के दर्शन हो गए । "
" इस तरह रास्ता रोकने का क्या मतलब है रावत ? " विजय जी ने कहा तो रावत साहब बोले " हुकुम सा थम के बोले हो । रास्ता तो थमने मारा रोक रका से । मै थारे रास्ता में न आया , हा लेकिन थम जरूर मारे रास्ते में आ गए । "
" कौन किसके रास्ते में आया है ये आने वाला वक्त बताएगा । " विजय जी कह ही रहे थे कि तभी रूहान उनके पास आकर बोला " काका सा कौन है ये ? " विजय जी इससे पहले रूहान से कुछ कहते रावत साहब ने कहा " अच्छा तो जे है रूहान सिंह शेखावत शेखावत परिवार का वारिस जिसे थम हुकुम बा बनाना चाहते हो । बहुत खूब खाली शेखावत परिवार का खून बन जाने से हुकुम सा का पद हासिल नहीं होता । जो को पाने के लिए जिगर और हिम्मत दोनों चाहिए । "
" रहने दो बाबा सा ये परिवार तो उसे बहुत पहले ही खो चका है । बाकी कसर हम पूरी कर देंगे । " अनुप ने कहा तो रावत साहब मुस्कुराने लगे । उनकी बातें सुनकर रूहान ने गुस्से से अपनी मुट्ठियां भींच ली । इससे पहले वो अपने कदम आगे बढाता विजय जी ने उसका हाथ पकड़ रोक लिया । रूहान ने उनकी ओर देखा तो विजय जी ने आंखों के इशारे से उसे शांत रहने के लिए कहा ।
रावत साहब आगे बोला " लगता है छोरे ने गुस्सा आ गयो । जे ठंडा खून से हुकुम सा राजस्थान का शेर न । वक्त की गलतफहमी थ्हारे को है वो भी वक्त रहते दूर हो जावेगी । " रावत साहब कह ही रहे थे की तभी अनुप ने आकर कहा " बाबा सा हमें देर हो रही है चलना चाहिए । " रावत साहब विजय जी की ओर देखकर बोले " अभी तो म्हारे को जाना पडेगा हुकुम सा । कभी हमारी हवेली पर आईए इतमिनान से बाते करेंगे और शेखावत परिवार के इस चिराग को भी लेकर आइएगा । " इतना कहकर रावत साहब अपनी गाडी में आकर बैठ गए । उनके आदमी भी गाड़ियों में आकर बैठ गए । उन लोगों के जाते ही रूहान ने विजय जी की ओर देखकर पूछा " काका सा वो हमारे मूंह के सामने ही हमें इतना कुछ सुनाकर चला गया और आपने मुझे उन्हें जवाब देने से क्यों रोका ? आखिर कौन था ये बदतमीज इंसान ? "
" बेटा गाडी में बैठिए हम आपको सब बताते है । रूद्र आप श्रवण के साथ दूसरी गाड़ी में आ जाइए । " इतना कहकर विजय जी और रूहान आगे वाली गाडी में चले आए और रूद्र श्रवण के साथ पीछे वाली गाडी में ।
अंदर बैठते ही विजय जी ने ड्राइवर से गाडी स्टार्ट करने के लिए कहा । रूहान अभी भी विजय जी के कुछ बोलने का इंतजार कर रहा था । विजय जी रूहान की ओर देखकर बोले " बेटा ये श्रीधर सिंह रावत थे और उनके साथ उनका बेटा अनुप सिंह रावत । ये हमारे वो दुश्मन है जो सब जगह हमारे परिवार को नीचा दिखाने का काम करते है । इन्हें जब मौका मिले ये हम पर वार करने से पीछे नहीं हटेंगे । आगे आप यहां रहेंगे तो धीरे धीरे इन्हें अच्छे से समझ जाएंगे । "
रूहान सामने की ओर देखकर बोला " मतलब ये वो सांप है जो कभी भी हमें ढस सकते है । "
" कुछ ऐसा ही समझ लीजिए बेटा । " विजय जी ने कहा तो रूहान आगे कुछ नहीं बोला ।
पीछे गाडी में श्रवण और रूद्र बैठे हुए थे । श्रवण ने रूद्र की ओर देखकर कहा " कौन थे ये दोनों नमूने ? "
" बस यूं समझ लीजिए श्रवण भाई सा इनकी गिनती हमारे दुश्मनों में नंबर वन पर होती है । इनके बेटे को तो आप देख ही चुके है । एक नंबर का अय्याश किस्म का इंसान है । न तो बड़ों से बात करने की तमीज और न ही औरतो की कोई इज्जत करना जानता है । ये तो कुछ भी नहीं । एक नकचडी बेटी भी है । तमीज तो उसमें भी बिल्कुल नही । खैर छोड़िए कहा हम इन लोगों की बातों में लग गए । " रूद्र ने कहा तो श्रवण हंसते हुए बोला " तुम्हें उनकी बेटी की बहुत जानकारी है कही दिल विल तो नहीं आ गया उसपर । "
" ऐसा कुछ नहीं है भाई सा फिलहाल तो ऐसी कोई नज़र ही नहीं आई जो मेरी आंखों को भा जाए । जिसे देखने के बाद नजरे किसी और को देखने की जहमत ही न उठाए । " रूद्र कह ही रहा था कि तभी श्रवण उसे टोकते हुए बोला " बस कर मेरे भाई मुझसे ऐसे शब्द संभाले नही जाते । " श्रवण के ये कहने पर रूद्र मुस्कुराने लगा ।
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श्रवन का बेहद ही करारा जवाब मिला । क्या लगता है वो इससे बाज आएगा ?
आपको क्या लगता है रूद्र के लिए कोई ऐसी बनी है ? खैर जब आना होगाइ तब आ जाएगी । आगे क्या होता है कहानी में जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी नोवल
सागर से गहरा इश्क पियाजी
( अंजलि झा )
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