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सीख लो

7 सितम्बर 2021

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गमों में मुस्कराना सीख लो
अपने आंखों के आसूओ को आंखों में ही दफनाना सीख लो.. 
अभी तुम नए - नए आशिक हो तुम्हें एक सलाह देता हूँ 
कि अब तुम प्यार में धोखों खाना सीख लो.. 
बदलाव तो प्रकृति की गोद में पलता है 'शिवांश' 
इस बदलती दुनियाँ के साथ तुम भी बदल जाना सीख लो... 

20 दिसम्बर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

22 दिसम्बर 2021

आभार🙏

Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

बढिया लिखा है 😊 😊 😊 राधे राधे 🌹 🙏🏻 🌹

8 नवम्बर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

22 दिसम्बर 2021

राधे राधे 🙏❣️

8 सितम्बर 2021

Babita

Babita

बहुत ही सुन्दर

7 सितम्बर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

7 सितम्बर 2021

आभार मैम

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रचनाएँ
मैं अनपढ़ तू मत पढ़
5.0
इस किताब में आपको मेरी कुछ रचनाओं का संकलन मिलेगा मैने इस पुस्तक में अपना परिचय , प्रेम, वियोग, फिर खड़े होकर लडना, वैराग्य और बुढ़ापे तक के जीवन की कल्पना करके लिखा है आशा है आप सब को पंसद आएगी और सबसे महत्वपूर्ण मेरे आराध्य श्री राम के लिए भी कुछ लिखा गया है आज तक जो कुछ टूटा फूटा लिख पाया हूँ वो सब इस पुस्तक में है मैं किसी भी रचना में किसी भी धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुचाना चाहता हूँ धन्यवाद🙏💕 आप सभी पाठक पढकर समीक्षा दीजिएगा
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मेरा परिचय

7 सितम्बर 2021
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<h5><em><strong>साधारण सा परिचय मेरा ना कोई बात लम्बी </strong></em></h5> <h5><em><strong>ना हू

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सीख लो

7 सितम्बर 2021
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<h6><em><strong>गमों में मुस्कराना सीख लो</strong></em></h6> <h6><em><strong>अपने आंखों के आसूओ को आ

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बचपन

7 सितम्बर 2021
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<h6><em><strong>मुझे मेरे बचपन के दिन याद आ रहे है </strong></em></h6> <h6><em><strong>आँगन मे

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कण - कण में रहते हैं मेरे राम

7 सितम्बर 2021
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<blockquote><strong>कण कण मे बसते है भगवान <br> कण कण मे रहते है मेरे राम <br> <br> जीवन जय अविराम

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तुुलसीदास का जीवन परिचय काव्य रूप में

11 सितम्बर 2021
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<p>तुलसीदास का परिचय काव्य रूप मे <br> <br> राजापुर गाव मे था जन्मा 1589 सन वो था <br> जब प्रभु ने

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शारदे वन्दना

11 सितम्बर 2021
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2

<blockquote><strong>शारदे वर दे और जगा दे मुझे <br> बहुतों की नैया सवारी तूने <br> मुझ पापी पर इतना

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मुसाफिर

18 जनवरी 2022
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विधा - गीत  विषय - मुसाफिर जाग मुसाफिर मुसाफिर जाग मुसाफिर राह कठिन जब आएगी तब तेरे पग भी डोलेगे  थक जाएगें बैठकर तुझसे अब मत चल यह बोलेगे  हिम्मत अपनी बांध खडा हो ताकना अपनी राह मुसाफिर  जा

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