नई दिल्लीः सिर्फ मतभेद होता तो काम चल भी जाता मगर यहां तो नौबत मनभेद की है। मतभेद महज वैचारिक समस्या होती है मगर मनभेद तो दिलों की दूरियां बयां करता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और राजनाथ सिंह के बीच हालिया बढ़े मनभेद ने इन दिनों नरेंद्र मोदी की नींद उड़ा दी है। पार्टी के लोग भी आशंकित हैं कि शाह और सिंह के बीच मनभेद से यूपी चुनाव में भाजपा की लुटिया डूब सकती है। क्योंकि चुनाव लड़ना टीम वर्क है। जबकि दो शीर्ष नेता दाएं-बाएं चलेंगे तो फिर चुनाव पर असर पड़ना तय है। मनभेद की लगातार संकेत देख चिंतित मोदी ने पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं को मध्यस्थता करने का जिम्मा सौंपा है। ताकि राजनाथ और शाह एक साथ काम कर यूपी में जीत की आधारशिला रख सकें। दरअसल मोदी को लगता है कि अगर 2017 का यूपी इलेक्शन हार गए तो मिशन 2019 का ख्वाब भी धरा का धरा रह जाएगा। क्योंकि यूपी में सर्वाधिक सीटें जीतने के बाद ही 2014 में भाजपा सरकार बना सकी।
राजनाथ और शाह के बीच मतभेद के तीन उदाहरण
1-विरोध के बाद भी शाह ने दिया स्वाति को लखनऊ से टिकट
मायावती को गाली देकर सुर्खियों में आए दयाशंकर सिंह कभी राजनाथ के करीबियों में शुमार थे, मगर बाद में उनके बीच 36 का आंकड़ा हो गया था। जब मायावती का मुद्दा गरमाया तो राजनाथ के इशारे पर ही दयाशंकर का निष्कासन हुआ। उधर स्वाति सिंह जिस तरह से बसपा मुखिया मायावती पर हमलावर हुईं तो उनके तेवर भाजपा को रास आए। अमित शाह ने महिला मोर्चा की कमान सौंप दिया। टिकट की बात चली तो राजनाथ को लगा कि स्वाति को बलिया से टिकट मिलेगा तो उन्हें दिक्कत नहीं होगी। मगर पार्टी ने उन्हें लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से उतार दिया। यह विधानसभा क्षेत्र राजनाथ के लखनऊ संसदीय इलाके में आता है। अमित शाह ने बिना राजनाथ से पूछे स्वाति का टिकट फाइनल कर दिया। पार्टी सूत्र बताते हैं कि यह घटना दोनों नेताओं के बीच मतभेद व मनभेद की खाई को काफी चौड़ा कर गई।
2-कद के हिसाब से नहीं मिल रहा पार्टी में ट्रीटमेंट
यूपी में फिलहाल राजनाथ सिंह के कद का कोई नेता भाजपा के पास नहीं है। केंद्र सरकार में भी बतौर गृहमंत्री नंबर दो की हैसियत है। बावजूद इसके राजनाथ को लगता है कि उनकी वरिष्ठता और कद को देखते हुए पार्टी में तवज्जो नहीं मिल रही है। हद तो तब हो गई जब अमित शाह यूपी में 10 सीटों का हेलीकॉप्टर लेकर घूम रहे तो राजनाथ के लिए सिर्फ पांच सीटों का हेलीकॉप्टर बुक किया गया है। जबकि गृहमंत्री होने के नेता राजनाथ के साथ स्पेशल सुरक्षाकर्मी रहते हैं। ऐसे में उनके स्टाफ को राजनाथ के साथ चलने में दिक्कत हो रही है।
3-टिकट वितरण में खुलकर राजनाथ जता रहे विरोध
केंद्रीय कार्यालय पर मोदी की मौजूदगी में पहले चरण के प्रत्याशियों की सूची तैयार हो रही थी तो उस वक्त राजनाथ के करीबियों को नजरअंदाज कर दिया गया। इतना ही नहीं नोएडा में पंकज सिंह के टिकट को लेकर भी अमित शाह ने रोड़े अटकाने की कोशिश की। पार्टी सूत्र बताते हैं कि यह देख राजनाथ सिंह मीटिंग से उठकर जाने लगे तो मोदी ने राजनाथ का हाथ दबाकर बैठा लिया। हाल में मनभेद बढ़ने की यह पहली घटना रही। इसके बाद पार्टी में कई मौके आए जब दोनों नेताओं के बीच दूरियां बढ़ने की बात सामने आई।