पंजाब : आम आदमी पार्टी ने मतदान के 48 घंटे पहले अपने सभी बड़े चेहरो को पंजाब में उतार दिया है. हर घंटे कोई न कोई आप का लीडर पंजाब के किसी मैदान या बाजार में सभा कर रहा है. अरविन्द केजरीवाल जहाँ ताबड़तोड़ बड़ी रैलियां कर रहे हैं वहीँ भगवंत मान, घुग्गी, सिसोदिया और संजय सिंह की एक के बाद एक सभाएं हो रही हैं जिन्हें आप के सोशल मीडिया नेटवर्क पर लाइव दिखाया जा रहा है.
गोरिल्ला छाप इस चुनावी अभियान ने अकालियों के साथ साथ प्रशांत किशोट और कप्तान अमरेंदर सिंह को चौंक दिया है. भ्रष्टाचार से घिरे बादल परिवार पर खुला हमला करके और ड्रग्स के धंधे में लिप्त पंजाब के मंत्री विक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी की तारीख का अभी से ऐलान करके केजरीवाल आक्रामक राजनीती का ऐसा उदाहरण दे रहे हैं जो प्रदेश की युवा और गरीब जनता को प्रभावित कर रहा है
मुफ्त पानी, सबसे सस्ती बिजली और लाखों रोजदार देने के वायदे ने भी पंजाब की त्रस्त जनता को केजरीवाल की तरफ खींचा है. आप के समर्थक मानते हैं की यहाँ की जनता बादल और अमरिंदर को कई बार आजमाने के बाद अब "एक बार ट्राई" करने के सिंड्रोम से ग्रसित होकर आप को मौका देना चाहती है जिसके मैनिफेस्टो में लोकलुभावन वायदों की झड़ी बाकियों से कहीं ज्यादा है.
निम्न मध्यम वर्ग आप की ओर आकर्षित
पहली बार मगवंत मान और घुग्गी की अगुवाई में मालवा इलाके के गांव-गांव मे फैल गये. कार्यकताओं ने कहा गांव में घर-घर जाकर बादल की नीतियों को बेनकाब किया है उसके चलते निम्न मध्यम वर्ग का एक बड़ा तबका आप की और आकर्षित हुआ है.
इस विधानसभा चुनाव में पंजाब की राजनीति क्या परिणाम लेकर आएगी, इस बारे में कोई भी दावा नही किया जा सकता है लेकिन पंजाब में लगभग 30 फीसदी दलितों है, जो कभी कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक हुआ करते थे. फिर बहुजन समाज पार्टी के आने के बाद इस वोटबैंक में अकाली दल की सेंध लगी और आज सबसे नई दावेदार आम आदमी पार्टी इस तबके के मतों पर अपना हक़ जता रही है.
AAP का प्रभाव क्षेत्र
पंजाब में विधानसभा की 117 सीटें हैं. जो कि तीन क्षेत्रों में बंटा है मालवा, माझा और दोआबा सबसे बड़े क्षेत्र मालवा है जहां सबसे ज्यादा 69 सीट हैं दो अन्य क्षेत्र माझा, दोआब में से प्रत्येक से 27 सदस्य आते हैं.
इसमें कोई शक नहीं कि मालवा में AAP बेहतर प्रदर्शन करेगी. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि यह प्रदर्शन कितना अच्छा होगा. दिल्ली की तरह क्लीन-स्वीप जैसा? या फायदा कांग्रेस के साथ बंट जाएगा? मालवा के बठिंडा और पटियाला क्षेत्र बादल और अमरिंदर सिंह परिवारों के गढ़ माने जाते हैं. मतदाता अकालियों से बहुत खफा है. इसलिए अकाली क्षेत्र में AAP के बेहतर प्रदर्शन की संभावना है.
माझा और दोआबा में ढांचा खड़ा नहीं कर पाने की खामी उन बिंदुओं में शामिल है जिन पर AAP को विचार मंथन करना होगा. ये नहीं कहा जा सकता कि AAP इन क्षेत्रों में पूरी तरह साफ हो जाएगी. अगर इन दोनों क्षेत्रों से AAP कुछ सीटों को भी जीतने में कामयाब रही तो AAP का रास्ता आसान हो जाएगा. मालवा में AAP के बेहतर स्थिति में होने की चर्चा माझा और दोआबा तक पहुंच रही है, इससे इन दोनों क्षेत्रों के मतदाताओं के प्रभावित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
बदलों के लिए 2014 के यूपीए चुनाव जैसी स्थिति
बादलों के लिए पंजाब में स्थिति कुछ कुछ वैसी ही है जैसे कि 2014 चुनाव से पहले केंद्र में यूपीए की थी. सुखबीर सिंह बादल के पास दावा करने के लिए कुछ विकास प्रोजेक्ट हैं जैसे अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में 'टूरिस्ट प्लाजा'.
पंजाब के लोगों की पहचान जोखिम लेने वालों के तौर पर होती है. इसका सबूत दुनिया भर में बसे प्रवासी सिखों की कामयाबी की कहानियां हैं. कई मतदाता AAP को वोट देने के अपने फैसले को कुछ इस तरह बयां करते हैं- 'जुआ खेल के देखते हैं.' मतदाता कहते हैं कि अकालियों और कांग्रेस को दशकों तक आजमा कर देखा, इसलिए नई पार्टी को मौका देकर उनके पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है.
आरक्षित सीटों पर किस पार्टी को कितनी मिली जीत
वर्ष 2002
आरक्षित सीटें : 29
कांग्रेस 14
अकाली दल 12
आजाद 01
सी.पी.आई. 02
वर्ष 2007
आरक्षित सीटें : 29
अकाली दल 17
भाजपा 03
कांग्रेस 07
आजाद 02
वर्ष 2012
आरक्षित सीटें : 34
अकाली दल 21
भाजपा 03
कांग्रेस 10