*आदिकाल से इस धरा धाम पर मनुष्य अपने संस्कारों , संस्कृति एवं मर्यादा को अवलंब बनाकर निरंतर विकास करता चला गया | यहां प्रत्येक मनुष्य की (नर एवं नारी दोनों की ) मर्यादा निर्धारित थी परंतु धीरे धीरे संपूर्ण समाज पुरुष प्रधान होता चला गया और पुरुष प्रधान समाज ने मर्यादा पालन का सारा दायित्व नारियों क
*इस धराधाम पर मनुष्यों का दिव्य इतिहास रहा है | मनुष्य जहां जन्म लेता है वह परिवार एवं राष्ट्र उसके लिए सर्वोपरि होता है , राष्ट्र की सेवा एवं सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर देने वाले महावीरा से हमारा इतिहास भरा पड़ा है | जब देश पर कोई संकट आता है तो प्रत्येक देशवासी का एक ही धर्म होता है
*परमपिता परमात्मा द्वारा बनाई गई इस सृष्टि में चौरासी लाख योनियाँ भ्रमण करती हैं , इन चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ कही गई है मानवयोनि | अनेक जन्मों की संचित पुण्य जब उदय होते हैं तो जीव को मनुष्य का जीवन मिलता है | गोस्वामी तुलसीदास जी मनुष्य जीवन को दुर्लभ बताते हुए अपने मानस में लिखते हैं :-
*इस धरा धाम पर मानव समाज का एक दिव्य इतिहास रहा है | मनुष्य ने संगठित होकर ऐसे ऐसे कार्य किए हैं जिसकी जितनी बड़ाई की जाए उतना ही कम है | मनुष्य का सबसे बड़ा बल होता है इसका आपस में संगठित होना , संगठित होकर के मनुष्य ने बड़े से बड़े संकटों का सामना भी बड़ी सरलता से किया है | आज तक का इतिहास देखा जा
*इस पृथ्वी पर अनेकों छोटे बड़े जीव हैं सबका अपना - अपना महत्त्व है | इन जीवों के अतिरिक्त अनेक जीवाणु एवं विषाणु भी पृथ्वीमण्डल में भ्रमण किया करते हैं जो कि मवुष्य जैसे बलवान प्राणी के लिए घातक सिद्ध होते रहे हैं | हाथी से लेकर चींटी तक कोई भी महत्वहीन नहीं है , पृथ्वी का सबसे विशलकाय प्राणी हाथी ज
बारिश का मौसम हल्की भीगी सी धरा , अनन्त नभ से बरसता अथाह नीर, उठती गिरती लहरें झील में, आनंद उठाते नैसर्गिक सौंदर्य का, सरसराती हवाओं के तेज झोके, सूखी नदी लवालव हो गई, सिन्चित हुए तरू, छा गई हरियाली, बातें करती तरंगिणी बहती जाती, प्यास बुझाती, जीवो को तृप्त करती, घनी हरियाली से झांकते, आच