*इस धरा धाम पर मानव समाज का एक दिव्य इतिहास रहा है | मनुष्य ने संगठित होकर ऐसे ऐसे कार्य किए हैं जिसकी जितनी बड़ाई की जाए उतना ही कम है | मनुष्य का सबसे बड़ा बल होता है इसका आपस में संगठित होना , संगठित होकर के मनुष्य ने बड़े से बड़े संकटों का सामना भी बड़ी सरलता से किया है | आज तक का इतिहास देखा जाय तो यही देखने को मिलता है कि संगठन की शक्ति को कोई भी परास्त नहीं कर सकता है | इतिहास साक्षी है त्रेतायुग में सर्वशक्ति संपन्न एवं अनेक प्रकार के अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित रावण की विशाल सेना को बिना किसी साधन के भगवान राम के रामादल ने परास्त करके विजय प्राप्त की | रामादल यदि विजयी हुआ तो उसका एक ही कारण था बंदर भालू की आपस में एकता व संगठन | वहीं द्वापर युग में संगठित होकर के ग्वाल बालों ने भगवान श्याम सुंदर कन्हैया को अगुआ बनाकर के विशाल गोवर्धन पर्वत को उठाकर समस्त ब्रजमंडल को इंद्र के कोप से बचाया | यहां भी एकता व संगठन का सुंदर उदाहरण देखने को मिलता है | हम जिस युग में जीवन यापन कर रहे हैं उसे कलियुग कहा जाता है , जहां सब अपने मन के मालिक हैं किसी के ऊपर किसी का अधिकार नहीं रह गया है | परंतु यदि संगठन की शक्ति का उदाहरण देखा जाए तो सबसे ज्वलन्त उदाहरण है भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ! जहां एक और अंग्रेजों की सेना के पास आधुनिक हथियार थे वही हमारे पूर्वजों के पास मात्र संगठन की शक्ति थी , और उस और संगठन की शक्ति से परास्त होकर अंग्रेजों को हमारा देश छोड़ना पड़ा | कहने का तात्पर्य यह है कि शत्रु कितना भी बलवान क्यों न हो , संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो यदि मनुष्य एक नायक के आदेश व निवेदन पर संगठित हो जाय तो वह उस प्रबल शत्रु को परास्त करके उस संकट से छुटकारा पाया जा सकता है | यह मनुष्य का दिव्य इतिहास रहा है जिससे हमें शिक्षा लेनी चाहिए |*
*आज मात्र हमारा देश ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व एक बलवान व अदृश्य संक्रमण (कोरोना) से युद्ध कर रहा है | अनेक उपाय करने के बाद भी आज यह प्रबल शत्रु परास्त नहीं हो रहा है इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि आज लोग अपने नायक के निवेदन पर संगठित नहीं हो पा रहे हैं | यह शत्रु ऐसा है जिससे लड़ने के लिए हमें न तो सीमा पर जाना है और न ही युद्ध करना करना है इसे परास्त करने का एक ही मार्ग व एक ही उपाय है कि आज लोग एकत्र व संगठित होकर अपने घरों में बैठे रहें | परमतु हम यही नहीं कर पा रहे हैं जिसका परिणाम स्पष्ट दिखायी पड़ रहा है | कुछ लोग कहते हैं कि संगठन से क्या होगा ? उनको मैं आचार्य अर्जुन तिवारी" बताना चाहूँगा कि उनको हमारे धर्मग्रन्थों का अध्ययन करना चाहिए जहाँ स्पष्ट लिखा है कि :-- "बहूनां चैव सत्तवानां रिपुञ्जयः ! वर्षान्धाराधरो मेधस्तृणैरपि निवार्यते !! अर्थात :- शत्रु चाहे कितना बलवान हो यदि अनेक छोटे-छोटे व्यक्ति भी मिलकर उसका सामना करे तो उसे हरा देते हैं, छोटे-छोटे तिनकें से बना हुआ छपर मूसलाधार बरसती हुई वर्षा को भी रोक देता है ! वास्तव में एकता में बड़ी भारी शक्ति है परंतु हम उस शक्ति को पहचान नहीं पा रहे हैं और घरों से बाहर निकलकर शत्रु को स्वयं व समाज के ऊपर आक्रमण करने का अवसर प्रदान कर रहे हैं | अभी भी समय है कि हम संगठित व एकत्रित होकर अपने घरों में बैठकर इस संक्रमण से युद्ध करने वाले चिकित्सकों व पुलिस वालों का उत्साहवर्धन करते रहें | यही संगठन हमें इस प्रबल शत्रु से विजय दिला सकता है | यदि हम घरों में एकत्रित व संगठित न हुए तो यह महामारी विनाश का पर्याय बन जायेगी इसे कोई भी नहीं रोक पायेगा | अत: हमें विचार अवश्य करना चाहिए |*
*पूर्व के दिव्य इतिहास को देखते हुए आज मानवमात्र को अपने नायक के निवेदन पर एकत्रित व संगठित होने की आवश्यकता है , तभी हम विजयी हो सकते हैं |*