23 दिसम्बर 2016
बिन आँखों के भी अश्क निकलते हैंपत्थरों से पुछा तो जवाब आयाहम बिना दिल के भी धङकते हैबिन आँखों के भी अश्क निकलते हैं,समझते हैं चलने वाले समझ करऔर करे भी क्या बुझ करचकाचौंध लाइट मेंभागती भगाती जिन्दगी मेंइंसान