लखनऊ: सौतेली माँ साधना गुप्ता से तो उम्मीद नही थी लेकिन बूढे मुलायम सिंह अगर आगे बढ़कर अखिलेश का हाथ पकड़ लेते तो शायद बेटा घर छोड़कर ना जाता. लेकिन जीवन भर छल की राजनीती करने वाले मुलायम जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर में खुद छले गए. अपमानित करके घर से निकाला गया अपना ही बेटा आज मुलायम के लिए खुली चुनौती बन गया है.
इससे बड़ी विडम्बना और क्या होगी कि सपा चुनाव अखिलेश के चेहरे पर लड़ रही है लेकिन चेहरा पार्टी से अलग हो चुका है. अब अखिलेश अपने उम्मीदवार अलग से खड़ा कर रहा है और इरादा मुलायम के खिलाफ 200 से ज्यादा सीटों पर लड़ना है. अब समझौते की गुंजाईश ना के बराबर है क्योंकि मुलायम झुकने को तैयार नही है. शायद साधना गुप्ता यही चाहती थीं कि झगड़ा ऐसा हो कि समझौते की गुंजाईश ना रहे.
चौधरी चरण सिंह से लेकर चंद्रशेखर और वीपी सिंह से लेकर कांशीराम को पटकनी देने वाले चक्रवर्ती नेता मुलायम सिंह यादव ज़िन्दगी के आखिरी दिनों में अपने बेटे से पटकनी खा गए शायद यही उनके राजनैतिक जीवन के अंतिम अध्याय में लिखा था.
अगर मुलायम आज रात चाह ले तो इस काले अध्याय को खुद मिटा सकते हैं . बस कल सुबह तक उन्हें बेटे का हाथ पकड़ना है . उन्हें सिर्फ एक सूची फाड़कर दूसरी सूची स्वीकार करनी है. काम बहुत मुश्किल नही है ..बस एक निर्णेय भर का प्रश्न है.
लेकिन जीवन भर का छल जब अंतिम समय छलकता है
तो खुद के चिराग से कोई खुद के घर को बुझाता है
...देश के इतिहास में छल की राजनीती करके छले जाने वाले शासकों में अब सबसे
ताज़ा उदहारण हैं
मुलायम सिंह यादव.