दन्त मंजन से लेकर कॉस्मेटिक क्रीम बेचने वाली पतंजलि अपने प्रोडक्ट्स के विज्ञापन मनोरंजन चैनल्स की जगह न्यूज़ चैनल पर ही क्यों करती हैं ? आमतौर पर इस तरह के प्रोडक्ट्स, मनोरंजन और फ़िल्मी चैनल पर ज्यादा दीखते हैं जबकि पतंजलि ने अपने धंधे के मापदण्ड पूरी तरह बदल डाले हैं. अभी तक सौंदर्य और घरेलो प्रोडक्ट्स के विज्ञापनों में हिंदुस्तान लीवर और नेस्ले जैसी बड़ी कम्पनियां हमेशा से फ़िल्मी सितारे या पेशेवर मॉडल के चेहरों का सहारा लेती आयी हैं लेकिन पहली बार पतंजलि जैसे बड़ी FMCG कम्पनी ने अपने हर विज्ञापन में बाबा रामदेव को ही हाईलाइट किया है.
न्यूज़ चैनल पर पिछले साल सर्वाधिक दिखने वाले चेहरे
टीवी चैनल के बाजार आंकने-मापने वाली एजेंसी BARC के नए आंकड़ो के मुताबिक बाबा रामदेव 2016 में देश के छोटे परदे पर देखे गए विज्ञापनों में सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. उन्हें पूरे साल लगभग 7221 घण्टे देखे गया जो एक रिकॉर्ड हैं. औसतन बाबा देश के 161 अग्रणी चैनल्स पर 19 घण्टे 43 मिनट रोज़ाना देखे जाते हैं. इनमे 84 प्रतिशत से ज्यादा न्यूज़ चैनल है. इन अंधाधुंध विज्ञापनों के जरिये हिंदी बेल्ट के खबरिया चैनल्स पर आज बाबा सबसे बड़े टीवी स्टार बन गए हैं. हालाँकि कोई भी व्यापार िक कम्पनी अपने विज्ञापन बजट का अधिकतर शेयर एंटरटेनमेंट चैनल पर ज्यादा खर्च करती है लेकिन बाबा ने अपने निजी लाभ के लिए नियम बदल दिए हैं.
पहले न्यूजमेकर जो न्यूज़चैनल के विज्ञापन पर खुद को कर रहे हैं केंद्रित
सूत्रों के मुताबिक एक ख़ास रणनीति के तहत रामदेव अपने चेहरे को विज्ञापनों के ज़रिये बेच रहे हैं. उनके इस प्रचार अभियान पर सालाना 300 से 400 करोड़ रूपए खर्च किया जा रहा है जिसका बड़ा हिस्सा न्यूज़ चैनल के खातों में जा रहा है. बाबा पहले ऐसे न्यूज़मेकर हैं जो समाचार के साथ साथ अखबारों और चैनलों के विज्ञापन पर भी छाए हैं.बाबा के करीबी सूत्रों के मुताबिक रामदेव 2019 से पहले राष्ट्रीय राजनीती में पाँव रखना चाहते हैं. इस दिशा में वो २०१० से सक्रीय हुए जब उन्होंने स्वदेशी के साथ साथ कालेधन पर ज़बरदस्त प्रचार शुरू किया था. उनकी तैयारी 2014 में ही बीजेपी के साथ साथ पचास लोक सभा सीटें लड़ने की थी लेकिन बीजेपी उनकी इस मांग पर सहमत नही थी.
लिहाजा बेहद गोपनीयता के साथ अब बाबा 2019 की तैयारी कर रहे हैं और न्यूज़ चैनल्स पर उनके विज्ञापनों का जबरदस्त प्रभाव उन्हें लगातार चर्चा में बनाये हुए है. सूत्रों के मुताबिक कुछ राष्ट्रीय हिंदी चैनल्स को बाबा 40 से 50 करोड़ रूपए तक का भुगतान करके उनके सबसे बड़े वि ज्ञान प दाता बन गए है. ऐसा कहा जाता है कि जिन न्यूज़ चैनल्स को बाबा ने करोड़ों के पेमेंट करते हैं उनके मालिकों को वे हरिद्वार स्थित अपने मुख्यालय में ज़रूर बुलाते हैं. यानी पतंजलि में जाकर हाज़िरी लगाना, विज्ञापन बांटने के लिए बाबा की कुछ शर्तों में से एक शर्त है.
करोड़ों के विज्ञापन के ज़रिये नेगेटिव न्यूज़ को किया मैनेज
सूत्रों के मुताबिक इस रणनीति से बाबा को एक बड़ा लाभ ये मिला कि उनके खिलाफ अब अखबार और टीवी चैनल में खबर दिखाना एक तरह से बन्द हो गया है. बाबा कुछ साल पहले पतंजलि की दवाइयों में जानवरों की हड्डी मिलाए जाने की खबर से ख़ासा परेशां रहे थे. उनका आरोप था कि उनके खिलाफ मीडिया में दुष्प्रचार किया गया. बहरहाल सच यही है कि आज रतन टाटा के खिलाफ कोई खबर छप सकती है लेकिन बाबा के खिलाफ एक तल्ख लाइन भी लिखना किसी श्रमजीवी पत्रकार के लिए आसान नही. ऐसे परिस्थितियां राजनीती में पर्दार्पण करने वाले को बड़े भाग्य से मिल पाती है.