राष्टीय महिला दिवस के अवसर पर भारत की महिलाओ को हार्दीक बधाई एवं शुभकामना समर्पित करता हुँ ! भारत महिला राजपाल सरोजनी नायडु जी के जन्म १३फरवरी १८७९को हुई ! उन्होने बचपन से ही कविता लिखा करती !उन्होने कविता को बहुत ही मधुर स्वर में कविता कहा करती थी
नमस्ते दोस्तों 🙏🙏 ये किताब एक औरत की कहानी है । जिसने एक ख्वाब देखे थे जो ख्वाब अधूरे ही रह गए और अपनों के द्वारा बेरहम तरीके से तोड़े गए । देखते तो सभी हैं ख्वाब , पर पूरा कहां हो पाता है । कुछ ख्वाब अधूरे ही रह जाते हैं या फिर कुछ ख्वाबों को रि
प्यार..... क्या हैं ये प्यार.... समझों तो सब कुछ....और ना समझों तो कुछ भी नहीं....। प्यार करना कोई गलत नहीं हैं.... लेकिन किसी और से प्यार करने से पहले खुद से प्यार करो... खुद के बारे में जानो....।।।
आपके अपने हीं हैं वो, होतें हैं...जो देखते हैं सबसे सुंदर सबसे अलग, सबसे बेहतर सपने आपके लिये.. वो हो सकते आपके सबसे करीब आपके.. सबसे अपने.. आपके... ऐसे हीं सुन्दर सपने देखने बालों को देखे इस रचना में...
परियां होती बेटियां जानने के लिये आगे पढ़ते रहें.. परियां आपको आसमां के सैर कराते मिलेगी.. औऱ आप आसमां में खोते... हुये.. 🌸🌸
हिन्दी स्वचरित पंक्तियां व विचार।
नारी शक्ति स्वरूपा नमन कीजिए। अपने भावों को थोड़ा मनन कीजिए।। नारी अबला बेचारी अब नहीं रह गई। इनको उड़ने के खातिर चमन दीजिए।। सम्मान होता रहा जिनका वैदिक काल से। बाद आई विसंगतियों का शमन कीजिए।।
इस शीर्षक के साथ मैं अपनी कुछ चुनिंदा कहानियों की एक शृंखला का प्रकाशन मैं कर रहा हूँ जो मेरे दिल के बेहद करीब है । ये कहानियाँ समाज को संदेश देती है नारी के सम्मान के प्रति । आशा है पाठकों को संदेश देगीं और समाज को एक नई दिशा ।
ग्रामीण परिवेश की एक सामान्य लड़की को अपनी पढ़ाई करने के सुबह से रात तक कितना कठिन समय देखना पड़ता है । समाज में जब भी कोई धारा विपरीत दिशा में बही है उसने हमेशा ही ऐसी परिस्थिति देखी है ।
साहित्य समाज से पैदा होकर समाज के विभिन्न रुपों को चित्रित कर उसे पुनः उसी को सौंपता है।इस तरह साहित्य निर्माण हो जाता है।मेरी लघुकथाओं में आपको यही दिखेगा।
जीवन के वो पल जिन्हें हम रोज जीते हैं, उन्हीं भावनाओं को शब्द देने का प्रयास है यह किताब।
ये कहानी है धरा की.. किस प्रकार उसने अपने माँ बाप को खोया और किस तरह उसे प्यार मे धोखा मिला.. और एक दिन उसकी मुलाक़ात होती है अनय से कौन है ये अनय और क्या दोनों का मिलना बस एक इत्तीफाक है या बदलने वाली है, धरा की ज़िन्दगी.. पढ़ने के लिए फॉलो करें..
मैं यह पुस्तक स्त्री की आत्मिक बेदना के बारे में लिख रही हूं। इस पुस्तक में मैंने स्त्री को बेबकूफ बनाये और कहे जाने के बारे में उनकी भावनाओं को व्यक्त करना चाहा है।
मन के उद्गार नामक इस पुस्तक में मैं ने, नारी, समाज ,भावनाओं, कुप्रथाओं को संदर्भ मे रख कर ।अपनी काव्य रचनाओं को संग्रहित किया है ।
किस मिट्टी से तुझे बनाया , रब्ब दी कसम तुझे अपना बनाया ! बादल जैसी बाल तेरी हँसी तेरी अजब निराली , बड़ी फुर्सत से तुझे रब्ब ने बनाया , रब्ब दी कसम तुझे अपना बनाया ! गाल तोहर लाल ऐसी जैसे टमाटर लाल हो , मन करे काट कर खा जाऊ , मन मेरा तुझको पाया ,
मन के भावों को शब्द रूप दे बही ह्रदय की शब्द सरिता
कोई शान की बात नही है शर्म की बात है इसलिए बताने योग्य नही है 😥
मेरे बाबाजी ने मुझे अपने जज्बातों को शब्दों में ढालना सिखाया था और मैं उनकी याद में हृदय में उमड़ते घुमड़ते अक्षरों को शब्द बना लेखनी से अपनी आपके समक्ष प्रस्तुत कर देती हूं। यह पुस्तक मैं अपने बाबाजी के चरणों में और प्रत्येक कविता उनके प्यार के हरेक
औरत.....ऊपरवाले का बनाया हुआ एक नायाब किरदार... लेकिन आज तक औरत को कोई समझ नहीं पाया हैं... क्योंकि किसी ने दिल से कभी कोशिश की ही नहीं हैं.... औरत पर व्यंग्य करना.... चुटकुले बनाना ... हंसी मे हर बात उड़ाना तो बहुत आसान हैं..... पर क्या कभी उसे समझन