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@@@@@ हमारी हिन्दी, हमारा गौरव @@@@@ *********************************************************** कितनी सुन्दर ,कितनी प्यारी ,हमारी हिन्दी भाषा है | सभ्यता और संस्कृति की , मानो यह परिभाषा है || देवनागरी जो लिपि है इसकी , इसका सुन्दर वेश है | हिन्दी हमारी अपनी भाषा ,देती एकता का सन्देश है || कानों
प्रेरक गीत -उन्नति की ठाना कर @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ उन्नति की ठाना कर ,खुद को भी तू जाना कर | खुद्दारी से जीना है तो , प्रेम का रस पीना है तो , अपनी हार न माना कर | उन्नति की ठाना कर |खुद को भी तू जाना कर || सृजन करना तू हटकर,मेहनत करना तू डटकर | कष्टों के संग तू रह कर,जीना चमनों सा खिल कर || जनता मे
@@@@ कौन श्रेष्ठ है नर या नारी @@@@ ******************************************************* कौन श्रेष्ठ है इन दोनों में , एक पुरुष या एक नारी | भरी महफ़िल में इस मुद्दे पर,चल रही थी बहस भारी || हम न होती तो कैसे घर में,नन्हा मेहमान कोई आता ? बोली एक नारी जोश में ,जो पुत्र हमारा कहलाता ?| एक पुरुष तपा
@लाज है नारी का गहना,इसका मत व्यापार करो@********************************************************नारी जिस्म-फ़रोशी का , बन्द यह बाजार करो ।लाज है नारी का गहना,इसका मत व्यापार करो ॥नारी के जिन उरोजों पर,होता शिशुओं का अधिकार।मिलती है जिनसे उनको,उज्ज्वल पावन जीवन-धार॥सरे आम उघाड़ कर उनको, न उन पे अत्या
क्रान्ति-कविता --"हिन्द ने तुम्हे पुकारा है" ********************************************************* भारत की पावन धरती पर ,हर गरीब शरीफ बेचारा है | क्रान्ति का बिगुल बजा तू ,कि हिन्द ने तुम्हे पुकारा है || महँगाई की सुरसा ने , अपना रूप विकराल किया | भ्रष्टाचार के भस्मासुर ने ,जन -जन को बेहाल किया
@@@@ बीवी देवी की आरती @@@@ ********************************************* जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा | माता थांरी महा देवी ,और पिता परम देवा || जेवर चढ़े ,चुनर चढ़े और चढ़े मेवा | मिठाई का भोग लगे और पति करे सेवा || जय बीवी ,जय पत्नी ,जय वाइफ देवा | माता थांरी महादेवी ,और पिता परम देवा || हुक्म कर
@@@@@ सपनों में आ जाना तुम @@@@@ ******************************************************* "नाज"पर हो नाज मुझको ,ऐसा साज बजाना तुम | तुम आज यह क्या जानो ,कितना बड़ा खजाना तुम || जब जरुरत पड़े मुझको तो ,सपनों में आ जाना तुम | बस कर के मेरे दिल में ,नहीं लौट के जाना तुम || मेरे साथ मीठे सुर में , गीत प्रे
सत्ता यानी कुर्सी के बिना एक राजनेता की दशा का चित्रण करता गीत - ************************************************************************ तुम्हे क्या बतलाऊँ ,कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ | तेरे बिन ,तेरे बिन ,अपना हाल | कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ ,कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ | ज्यों अकल बिन इन्सान जिया |ज
@@@@@@ परिस्थिति का प्रभाव @@@@@@ *********************************************************** परिस्थिति किसी काम को ,कितना बदल देती है | एक जगह जो समस्या होती ,हल दूजी जगह कर देती है || जाती -रंजिश से की गयी हत्या,सजा का कारण बनती है | पर सीमा पर दुश्मन की हत्या,सम्मान की वजह बनती है || जो काम निज प
@@@@@@@@@ नीति की बातें @@@@@@@@@ ***************************************************************** सत्य,सेहत और सिध्दान्तों से ,समझौता नहीं करना चाहिए | जितना हो सके हम को ,दुख दूजों के हरना चाहिए || देश हित के लिए सदा ,काम हमें करना चाहिए | सही पथ पर चलते हुए ,हमें नहीं डरना चाहिए || सन्तुलित और स
@@@@@@@ प्यार के अजीब रंग @@@@@@@ ************************************************************** समझ में दम हो तो ,हर समस्या का हल निकल जाता है | प्यार में चरम आँच हो तो ,पत्थर दिल भी पिघल जाता है || रही होगी कोई मजबूरी तेरी दिलरुबा की कोई , वरना चाहत के चरम में तो ,हर मित मिल जाता है || पीला चश्मा
@@@@@ बो विश्वगुरु भारत देश कठे @@@@@ ******************************************************* मानवता है धर्म जकारो ,बे मिनख भलेरा आज कठे | भ्रष्टाचार ने रोक सके , इसो भलेरो राज कठे || पति रो दुखड़ो बाँट सके ,बा सती सुहागण नार कठे| घर ने सरग बणा सके ,बा लुगाई पाणीदार कठे || लुगाई ने सम्भाळ सके ,बो मर्
सत्ता यानी कुर्सी के बिना एक राजनेता की दशा का चित्रण करता गीत - ************************************************************************ तुम्हे क्या बतलाऊँ ,कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ | तेरे बिन ,तेरे बिन ,अपना हाल | कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ ,कुर्सी तुम्हे क्या बतलाऊँ | ज्यों अकल बिन इन्सान जिया |ज
@@@@@@@@- नारी- @@@@@@@@ इस दुनिया की शोभा है , इस दुनिया की रौनक है | खुश रखें सदा इसको ,रचा कुदरत ने है जिसको || जिसकी दीवानी सृष्टि सारी,वो नारी है कहलाती | बुझे -बुझे मर्दों का मन ,नारी ही तो बहलाती || घर में पायल खनकाती ,मन का मोर नचवाती | पतली कमर लचकाती ,प्यार में आकर इठलाती || इस दुनिया की श
@@@@@@@@@ शादी @@@@@@@@@ ****************************************************** शादी के अनूठे सौदे में,बिक जाती अनमोल आजादी | मनाते जश्न जिस गुलामी का ,वो कहलाती है शादी || शादी अगर सादी हो तो,बारातियों को नहीं आता मजा | भोगते हैं स्वेच्छा से जिसको ,शादी है एक ऐसी सजा || कितना अनोखा है ये रिश्ता,जो
भ्रूणहत्या पर कटाक्ष करती कविता - @@@@@@ अजन्मी कन्या के मार्मिक वचन @@@@@@ ********************************************************************* भ्रूण -परीक्षण से गुजर चुकी गर्भवती नारी, गहरी नींद में स्वप्न देखते सुन रही है , उदगार अपने गर्भ में पल रही बेटी के | जो कह रही है उससे , मम्मा में नहीं
@@एक दिन मानेगा तुझे,ये सारा संसार@@ ********************************************* पवित्र तुम्हारा प्यार है ,पवित्र तुम्हारे विचार | एक दिन मानेगा तुझे ,ये सारा संसार || अभावों के रेगिस्तान में ,तुम मीठा जल बनो | दबी-कुचली नार का , तुम मजबूत सम्बल बनो || देश की हर समस्या का ,तुम सटीक हल बनो | भारत क
@@@@@@ किया नेता ने घोटाला @@@@@@ ********************************************************* किया नेता ने घोटाला ,दौलत के लिए | न कोई पुल बना नदी पर ,न कोई सड़क बनायी | बिना बने ही टूट गये दोनों ,घूस की जिनकी खायी || किया नेता ने घोटाला ,ऐश के लिए | भुगतान कर दिया उस खाद का ,जो कभी नहीं आयी | खा गये न
@ये भ्रष्टाचार तेरा,तुझे बर्बाद कर देगा @ ******************************************* ये भ्रष्टाचार तेरा , तुझे बर्बाद कर देगा | गरीब की आँखों में,ये आँसू भर देगा || कभी सोचूँ चुप रहूँ,कभी दुनिया से डरूँ | आज मेरी आत्मा विद्रोह कर रही है | जब से जाना है तुझको,तब से ही मन में , क्रान्ति की एक भावना भ
नेता और आम आदमी की तुलना करता व्यंग गीत - @@@@@@@@@@@@ कबूल @@@@@@@@@@ कान्वेंट तू है मैं हूँ सरकारी स्कूल ,कैसे मेरा साथ तू करेगा कबूल | तू मोटा काठ के मूसल की तरह ,मैं दुबला हूँ एक सींक की तरह | तू रहता ठाठ से राजा की तरह,मैं रहता कष्ट में कंगाल की तरह || कंगूरा तो तू है मैं हूँ देश की धूल,कैसे मे
कन्या भ्रूणहत्या के चलते लड़कियों की दिनोंदिन कम होती संख्या के कारण कुछ वर्ष बाद एक अमीर युवक अपनी कन्या मित्र को शादी के लिए राजी करने के लिए क्या - क्या वादे करेगा ,उसका नमूना बताती हास्य कविता - @@@@@@@ देवी तेरा क्या कहना @@@@@@@ ************************************************************** मैं
@@@@@@@@ वाह रे तर्क वीर @@@@@@@@ ********************************** एक वकील गया एक दिन ,मिठाई की दूकान पर | रहते हैं कोरे कुतर्क , जिसकी बद जुबान पर || पूछा था उसने हलवाई से ,कि रसगुल्लों का क्या भाव है | हँस कर बोला हलवाई ,जिसका सरल स्वभाव है || किलो के रुपये सौ लगेगें , अगर खाने का चाव है | वकील
@@@@@@@@ नकारे नेता @@@@@@@@ ********************************************************** पाचन शक्ति इनकी देख कर ,लगता ये इन्सान नहीं हैं | चारा,कोयला ,खाद यूरिया , इन्सानों का खान नहीं हैं || इनके बयानों को सुनकर ,लगता इनको ज्ञान नहीं है | हक़ की बातें करते सारे ,कर्त्तव्य की पहचान नहीं है || कायरता इ
@@@@@@@@ कोई - कोई @@@@@@@@ ************************************************************ सूरत और सीरत देख कर ,परख करता हर कोई | पर इन्सानी कोहिनूर को ,पहचान पाता है कोई कोई || काया और माया के मोह में ,फंस सकता है हर कोई | पर जो मुक्त रहे इन दोनों से ,वो पुरुष होता है कोई -कोई || क्या भला है ,क्या बु
सृष्टि और समाज की कमियों व विसंगतियों पर कटाक्ष करती हास्य कविता -@@@-अनूठा सपना-@@@ ************************************** झूठ -कपट और बेईमानी देख ,मैं बहुत उदास था | भ्रष्टाचार भरा संसार मुझको ,आया नहीं रास था || उड़ जाते हैं बाल सर के ,पर बेकार बाल तंग करते | ढल जाता तन बुढ़ापे में ,वैज्ञानिक बेचार
@@@@@@ इच्छा शक्ति का प्रभाव @@@@@@ **************************************** पत्थर समझा जाकर जो, हीरा ठोकरे खाता है | पहचाना जाने पर वो , ताज में सजाया जाता है || नामी लोगों की अकविता भी ,छप जाती अखबार में | पर छुपे विश्व -कवि की रचना ,मिलती है भंगार में || आँख उठा कर नहीं देखता कोई ,चाहे प्रतिभा भर
सभी गृहिणियों को सदर समर्पित कविता -- "गृहिणी" ******************************************************** गृहिणी जो घर को सम्भालती है, गृहिणी जो सबको पालती है, गृहिणी जो अपनी इच्छाओं को टालती है , गृहिणी जो खुद को नये परिवार के साँचे में ढालती है | वो उठती है सुबह सबसे पहले , पर सोती है रात को सबके बा
@@@@@@@@ जश्न निगोड़ी शादी का @@@@@@@@ ******************************************************************** पूछा एक दिन किसी ने मुझको ,कि शादी में क्यों नहीं जाते हो ? बराती बनने से आप सदा ,क्यों इतना घबराते हो ?? मैं बोला जश्न शादी का ,मुझे नहीं सुहाता है | मौज करता जो पहले आदमी ,वो शादी कर पछताता ह
@@@@@@@## शादी ##@@@@@@@ **************************************************** शादी रुपी सौदे में , बिक जाती अमूल्य आजादी | जिस बरबादी पर जश्न होता ,कहलाती है वो शादी || शादी अगर सादी हो तो ,मित्रों को नहीं आता मजा | भोगते हैं स्वेछा से जिसको ,शादी है एक ऐसी सजा || कितना अनोखा है यह रिश्ता ,जो जोड़ता
@@@@@@@ भ्रष्टाचारी चौपट राज @@@@@@@ ************************************************************* कुपात्र के सिर पे रखा है ताज ,अन्धेरनगरी चौपट राज | बिना घूस के होता नहीं काज ,हरामखोरी -हरामी राज || बढ़ती बेकारी कोढ़ में खाज ,बढ़ते जुर्म -जुर्मी राज | घूस खाने पर करते नाज ,लूटखसोट - डाकूराज || लूट रह
@@@@@@@ पत्नी बनाम प्रेमिका @@@@@@@ ************************************************************ पत्नी है घर का खाना ,प्रेयसी है होटल का भोजन| बीवी है नौकरी -धन्धा,प्रेयसी है उत्सव-आयोजन || पत्नी है भारत देश अपना , प्रेमिका इंगलिस्तान है | बीवी है गर्मी का मौसम, प्रेमिका बसन्त समान है || पत्नी है भर
@@@@@@@ प्रकृति-वधु का श्रृंगार @@@@@@@ ************************************************************** पिया बसन्त के स्वागत खातिर ,प्रकृति-वधु ने श्रृंगार किया | प्रदेशवासी पिया बसन्त ने ,जब आने का सन्देश दिया || हरी -भरी मखमली सेज को ,सुमनों से सजा दिया | शबनम के मोतियों को ,धरा -सेज पर लगा दिया ||
अपने ऐयाश प्रेमी के संग, सवच्छंद रंगरेलियां मनाने की हवस में अंधी, एक कलयुगी माँ द्वारा ,अपने मासूम बच्चों की तकिये से गला घोंट कर निर्मम हत्या करने की खबर से आहत होकर लिखी गयी और खरे कटु सत्य को उजागर करती कविता - ************************************************************** @@@@@@@ काश कमीना काम
शासन प्रशासन एवं समाज की कुव्यवस्था पर करारी चोट करती हास्य कविता- @@@@@@@ टूटना हसीन ख्वाबों का @@@@@@@ ****************************************************************** एक हसीन ख्वाब मुझको आया |पत्नी ने प्यार से बुलाया | अपने सीने से लगाया |अपनी पलकों पर बिठाया | बोली वो मुझसे मीठी बोली |जिसकी जु
@@@@@ निज नाम अमर कर दो @@@@@ ****************************************************** आकाश को छूलो तुम ,मेरी ऊँची नजर कर दो | मसीहा बन के जग में ,निज नाम अमर कर दो || न जुर्म की सीमा है , न जमीर का बन्धन | जब घूस खाये कोई , तो देखे केवल धन || तुम ईमान जगा कर के ,पाक मंजर कर दो | आकाश को छूलो तुम ,मेर
@@ दिन में होली रात दीवाली ,बारह माह त्यौहार है @@ *************************************************************** जिसने खुशियाँ देना सीखा ,और दीन-दुखियों की पीर हरी | नेकी करी बढ़-चढ़ कर के ,और करी कमाई खरी -खरी || उस व्यक्ति की खुशियों का ,नहीं रहता कोई पार है | दिन में होली रात दिवाली ,बारह माह त्य
@@@@@@@ विचारों का एक्स-रे @@@@@@@ ************************************************************* ठगा जा चुका हूँ मैं दोस्तों ,सज्जन से दिखते लाला से | लुट चुका हूँ मैं साथियों ,मासूम सी दिखती बाला से || नहीं ठगा जाता मैं उनसे ,यदि विचार उनके पढ़ लेता | ठोकर खाने के बाद सदा ही ,मैं अनाड़ी था चेता || दू
@@@@@@@@ प्यार का चमत्कार @@@@@@@@ ***************************************************************** तुकबन्दिया तो मैं पहले ही था ,पर उसने तो शायर बना दिया | उसके प्यार के जादू ने ,मुझे ढंग से जीना सीखा दिया || एक परी ने जीवन में आकर ,मुझे उड़ना सीखा दिया | स्वर्ग कैसा होता है ,उसने जीते जी मुझे दिखा
@@@@@@@-अनमोल आजादी -@@@@@@@ ************************************************************ सन अठारह सौ सतावन का .वो वक्त बहुत अनूठा था | जन -विद्रोह का ज्वालामुखी ,जब भारत में फूटा था || भारतीयों ने अंग्रेजों के संग ,जब खुनी होली खेली थी | अंग्रेज जिसको ग़दर कहते ,वो आजादी की जंग पहली थी || सुहागिनों
@@@@@ काम करो , कुछ नाम करो @@@@@ ********************************************************** काम करो ,कुछ नाम करो ,पर नहीं देश बदनाम करो | भय को दूर भगाओ तुम ,जमीर को जगाओ तुम | दुखियों का तुम दुःख हरो | काम करो ,कुछ नाम करो ,पर नहीं देश बदनाम करो || धन खूब कमाओ तुम ,पर पूरा कर चुकाओ तुम | ईमान से त
@@@@@@ पपीहा बोले पीहू-पीहू @@@@@@ ********************************************************** जान लिया जीवन का सार ,लोग कहते हैं इसको प्यार | सार बहुत ही गहरा है ,जिस पे हो गये सभी निसार || क्यों बचे फिर मैं और तू ,पपीहा बोले पीहू पीहू | बसन्त की बहारों में,सावन की फुवारों में | गाने वाले गाते गाते
@@@@@@@@ ओ नैना ,ओ नैना @@@@@@@@ ***************************************************************** रसों के सागर में डुबकी लगाकर ,साहित्य के मोती चुनता रहूँ | मेरी तमन्ना छन्दों में यूँ ही ,गीतों की रचना करता रहूँ || पहन संगीत का गहना |ओ नैना ,ओ नैना || कठिन कंटीली राहों पे चलकर ,मन की मंजिल पाता रहू
@@एक दिन मानेगा तुझे,ये सारा संसार@@ ********************************************* पवित्र तुम्हारा प्यार है ,पवित्र तुम्हारे विचार | एक दिन मानेगा तुझे ,ये सारा संसार || अभावों के रेगिस्तान में ,तुम मीठा जल बनो | दबी-कुचली नार का , तुम मजबूत सम्बल बनो || देश की हर समस्या का ,तुम सटीक हल बनो | भारत क
पहलवान पत्नी और नेनो कार ******************************* अपनी पहलवान पत्नी के खातिर ,खरीदी उसने नेनो कार | खुश होकर उसकी पत्नी ,हुई नेनो में तुरन्त सवार || चीत्कार कर उठी जोर से ,तब नाजुक नेनो कार | चरमरा गया चेसिस उसका ,जब सह सकी न भार || बोनट खोला उसने जब उसका ,तो आवाज इन्जिन से आयी | नाजुक नारी क
@ये भ्रष्टाचार तेरा,तुझे बर्बाद कर देगा @ ******************************************* ये भ्रष्टाचार तेरा , तुझे बर्बाद कर देगा | गरीब की आँखों में,ये आँसू भर देगा || कभी सोचूँ चुप रहूँ,कभी दुनिया से डरूँ | आज मेरी आत्मा विद्रोह कर रही है | जब से जाना है तुझको,तब से ही मन में , क्रान्ति की एक भावना भ
@@@@@@@ किसका करें विश्वास अब @@@@@@@ ******************************************************************* सोचता है क़ुछ,बोलता है क़ुछ ,करता है क़ुछ ,पर लिखता है क़ुछ | इन्सान की फितरत है कैसी ,होता है क़ुछ , पर दिखता है क़ुछ || दहेज को दानव कहने वाला ,दहेज दुगना लेता है | वफा की कसमें खाने वाला
@@@@@हमारे अरमां आंसुओं में बह गये @@@@@ ************************************************************** रोमांस की हमारी जवां उम्र में,दिलरुबा की जगह थी खाली | पर न जाने क्यों किसी बाला ने , हमको घास न डाली || हुस्न देख कर एक बाला का, प्यार हमको हो गया | दिल हमारा उसी दिन से ,ख़्वाबों में उसके खो गया
आदर्श नारी के गुण बखान करती कविता - ******************************************** @@@@@@@@ सुलखण नार @@@@@@@@ ************************************************************ घर -मन्दिर की जो हो देवी ,पूजे जिसको उसका भरतार | जीवन में ही स्वर्ग मिल जाए ,पाकर पत्नी सुलखण नार || जान हो जो अपने बच्चों की ,पत
@@@@शक्ल तो है बन्दर जैसी@@@@ ************************************************ पत्नी बोली एक दिन , हो आप बड़े बेवकूफ | मैंने कहा तुरन्त उससे ,क्या है इसका प्रूफ || पत्नी बोली की आपने ,मुझसे आदर्श शादी | कौड़ी मोल बेच डाली,आपने अपनी आजादी || आठ नहीं देते हो लेकिन , दे देते हो साठ | ओरों की गलतियों से ,
@@@@@ अगर अस्तित्व ईश्वर का होता @@@@@ ************************************************************* ईश्वर होते अगर जगत में ,तो क्या कुकर्म कोई करने देते ? तीर्थ यात्रा की दुर्घटना में , भक्तों को क्या वो मरने देते ?? चोरी नहीं होती मन्दिरों में , न होता कहीं पर दुराचार |@@@@@ अगर अस्तित्व ईश्वर का
@@@@@ अनूठा हवाई अड्डा @@@@@ -------------------------------------------------- एक सुनहरे सफ़र की , मैं बता रहा हूँ यह बात | ट्रेन के उस सफ़र में , एक सुन्दरी थी मेरे साथ || सुन्दरी ने पहन रखा था हवाई जहाजी लॉकेट | और सामने की सीट पर बैठा था युवक एक || मेरी नजर तो उस प्लेन पे ,सिर्फ एक बार थी पड़ी | पर
@@@@@@ मुझे सच कहने दो @@@@@@ ********************************************************** भ्रष्टाचार में डूबे नेता ,कौन देश की नाव है खेता | ऐसे नेताओं को धिक्कार ,आज मुझे करने दो | मुझे रहना सच के साथ ,मुझे सच कहने दो || पाखण्डी बाबा करते ठगी हैं ,मूर्ख जनता पीछे लगी है | ऐसी जनता को धिक्कार ,आज मुझ
@@@@@ निज नाम अमर कर दो @@@@@ ********************************************************** आकाश को छूलो तुम ,मेरी ऊँची नजर कर दो | मसीहा बन के जग में ,निज नाम अमर कर दो || न जुर्म की सीमा है , न जमीर का बन्धन | जब घूस खाये कोई , तो देखे केवल धन || तुम ईमान जगा कर के ,पाक मंजर कर दो | आकाश को छूलो तुम
पाश्चात्य संस्कृति ने भारतीय जनमानस को विशेष रूप से युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है | बाजारवाद की बाढ़ में नैतिक मूल्य बह गए हैं | इन्सानियत लुप्त सी होने लगी है | अनाचार,दुराचार,भ्रष्टाचार,अत्याचार व्यभिचार रुपी दुशासन भारतीय संस्कृति रुपी द्रोपदी का चीर हरण करने लगे हैं | रिश्तों में मिठास की
हास्य कविता -ऑपरेशन पत्नी - सेवा *************************************** जब -जब होता पेट -दर्द ,पत्नी मुझ पर झल्लाती थी | जाँच पेट की करवाने खातिर ,डांट बहुत पिलाती थी || डॉक्टर की सलाह पर जब ,जाँच पेट की करवायी | तिल्ले में पत्थरी होने की ,तब बात सामने थी आयी || यह जानकार मेरा चेहरा ,चिन्ता से मायू
भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करती लघु कथा -शान (सत्य घटना पर आधारित) *********************************************************************** बैंक मैनेजर नन्दा साहब साईकिल पर बाजार जा रहे थे |रस्ते में उनके परिचित बैंक मैनेजर प्रवीण साहब ने अपनी कार रोक कर नन्दा साहब को नमस्कार करने के बाद कटाक्ष पूर्ण अंदाज
रिश्वतखोरी पर कटाक्ष करती व्यंग कविता - @@ रिश्वत महान जी,रिश्वत महान है @@ ************************************************ सुबह शाम मंदिरों में, रिश्वत थोड़ी दीजिये | फिर चाहे मनचाही ,रिश्वत आप लीजिये || रिश्वत ही तो देश की ,आन बान शान है | रिश्वत महान है जी ,रिश्वत महान है || ईमान का दामन पकड़ ,जीव
एक पत्नी -पीड़ित पति की व्यथा को व्यक्त करता हास्य गीत - @@@@@ मैंने पाली जब से एक बीमारी रे @@@@@ *********************************************************** मुझे चढ़ी रहती खुमारी ,मेरा दिल रहता है भारी | मैं भूल गया हेकड़ी सारी ,मैंने खायी ऐसी चोट करारी रे | मैंने पाली जब से एक बीमारी रे || बड़-बड़ बोल
@@@@@@@ बेटियाँ @@@@@@@@ संयोग को सौभाग्य में, बदलती है बेटियाँ | सुसराल के साँचे में , ढलती है बेटियाँ || मत कोसो अज्ञानी लोगो ,बेटी के माँ -बाप को , धन्य है वो घर आँगन ,जहाँ पलती है बेटियाँ || ************************************************* दो कुनबों को आपस में , जोड़ती हैं बेटियाँ | अपनी जीवन धा
@@@@@@@ बुजुर्गों का सम्मान @@@@@@@ ************************************************************ जिनकी मेहनत के फल खाये,उनका जीते जी सम्मान करें| न कि मरने पर उनके , दस्तूरी पिण्ड-दान करें || मीठी नीन्द सुलाने हमको , जो जगे थे हमारे खातिर | सेवा करें हम उनकी ऐसी ,कि जिक्र हर मेहमान करे || बुजुर्ग है
@@@@@@फेसबुक का कमाल@@@@@ अपनी बहिन -बेटी को ,रखिये आप सम्भाल | इन्टरनेट की फेस बुक , करती खूब कमाल || करती खूब कमाल , ऐसा है इसका जाल | सफाचट खोपड़ी पर , ऊग आते है बाल || गौरी -चिट्टी बन जाती ,काली -कलूटी खाल | मिटा रही है भेद-भाव , ये फेस बुक की वाल || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@ सतर साल की नारी भी ,यहाँ ब
@@@@@@ तेरे प्यार के धोखे में @@@@@@ ********************************************************* मैं भूला घर - परिवार ,तेरे प्यार के धोखे में | सच की ठोकरे थी खायी ,पर अकल मुझको नहीं आयी | पर अकल मुझको नहीं आयी , तू मेरे पर थी छायी || मुझे जीवन लगा था गुलजार ,तेरे प्यार के धोखे में | मैं भूला घर - परि
@@@@@ हम सच्चाई कहते हैं @@@@@ *************************************************** झूठ के इस दौर में भी ,हम सच्चाई कहते है | इसलिए हर जन की ,रुसवाई हम सहते है || हम गुमराह लोगों को ,सन्मार्ग दिखाते हैं | इसलिए हमने उनसे ,तन्हाई ये पायी है || अपने हर हमराही से,हम वफ़ा ही निभाते हैं | इसलिए हमने उनसे ,
*********धार मित्र का वेश********* @@@@@@@@@@@@@@@@@@@ दुनियादारी आज तक , नहीं समझ में आयी | बहिन की इज्जत से खेले ,बन धर्म के भाई || बन धर्म के भाई , खिलाते खूब मिठाई | ऐसे भाइयों की होती,आखिर खूब पिटाई || आखिर खूब पिटाई ,कहता कवि दुर्गेश | धोखा दे रहे दुश्मन तेरे, धार मित्र का वेश || @@@@@@@@@@@@@
**********************गन्दे बन्दें********************* @@@@@@@@@@@@@@@@@@@ दुर्गेश तेरे देश में ,बहुत हैं ऐसे बन्दें | चलातें हैं जो जीवन अपना ,लेकर लोगों से चन्दे || लेकर लोगों से चन्दे ,करते फिर काले धन्धें | आंतकवाद का जाल बुनते , डाल हत्या के फन्दें || डाल हत्या के फन्दें ,रगड़ रेप के रन्दें | अ
@@@@@दहेज़-दानव की काल-कटारी@@@@@ ********************************************************** पहले तो विधवा जलती थी,पर आज सुहागन जलती है | दहेज़-दानव की काल-कटारी,क्यों भारत में चलती है ? टीवी ,फ्रीज और स्कूटर की , कमी सबको खलती है | सास ,ननद ,ससुर ,पति की ,जुबाँ कैंची सी चलती है || तन पर खाती मार पति
नेताओं पर व्यंग बाण चलाता हास्य गीत - @@@@@@ नेताजी करे शोर @@@@@@ चुनाव का है मौसम ,नेताजी करें शोर | चमचे नाचें ऐसे जैसे ,सूने में नाचे चोर || कितने रंग दिखाए ,ये गिरगिटिया | घर सम्भालो अपना ,सम्भालो अपनी बिटिया || जागीर है उनकी ,वो खाएँ जिस ओर | चमचे खाएं ऐसे जैसे ,भूखे मुफ्तखोर || चुनाव का है म
@@@@@@ पप्पू पास ,पापा फेल @@@@@@ ********************************************************* मम्मी से अलग सोने को ,जब पप्पू हुआ नहीं राजी | पापा को उसे समझाने की , सूझ आयी तरकीब ताजी | बोले ,मम्मी के संग सोने वाले ,छोटे बच्चे होते हैं | नहीं समझ होती जिनको ,जो बिन बात के रोते है || पप्पू बोला, पापा आ
एक घोटालेबाज जुर्मी नेता के जेल जाने पर गाया जाने वाला हास्य गीत - @@@@@@@@@जनता की हाय तू लेता जा@@@@@@@@@ जनता की हाय तू लेता जा ,जा तुझ को दुःख अपार मिले | रिश्वत की याद न आये कभी ,जनता से ऐसी दुत्कार मिले || जितने भी घोटाले किये तुमने ,उन सबका तुझे हिसाब मिले | तेरे जीवन के गुलशन में कभी ,खुशी क
कुर्सी से चिपके कबाड़ बनते नेताओं पर कटाक्ष करती कविता @@@@@@@@@-कबाड़ नेता -@@@@@@@@@ **************************************************************** काली अंधेरी एक रात को ,देखा एक भयानक सपना | बता कर मैं उसे आपको ,साँझा कर रहा हूँ दुःख मैं अपना || अच्छा ख़ासा मैं आदमी ,बन गया मैं सपने में कबाड़ | पत्
राष्ट्र भक्ति से परिपूर्ण कविता - @@@@@@@@भारत का नव निर्माण@@@@@@@@ पाखंडियों की पोल खोले हम ,सज्जनों का हम कल्याण करें | आओ साथियों हम सब मिलकर ,भारत का नव निर्माण करें|| सीमाओं को हम खून से सींचे ,और सींचे खेत पसीने से | दुश्मन को हम धूल चटा दें ,दोस्त को लगाए सीने से || बलात्कारी को बधिया करदे ,
पति के प्रेम -प्रसंग से भड़की बीवी का पति के नाम धमकी भरा हास्य गीत- ---------तुम तो ठहरे प्रेमी जी------------- तुम तो ठहरे प्रेमी जी, घर क्या बचाओगे ? दिल्ली वाली छोरी से, तुम रास रचाओगे ॥ तुम तो ठहरे गप्पी जी, सच क्या बताओगे ? टूर के बहाने से, सौत संग चले जाओगे || अब तो बहानों का, स्कोर भी काफ
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ 24 केरेट के शुद्ध सोने से, गहना गढ़ा नहीं जाता | बिना झूठ बोले ,व्यावहारिक बना नहीं जाता || पर क्या करूँ साथियों ,झूठ मुझसे बोला नहीं जाता | और खरा सच, लोगो से सुना नहीं जाता || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@@@@@@ नेता के यार @@@@@@@@ ********************************************************** छ हजार की थाली परोसी |छ हजार की थाली परोसी | खाए नेता के यार |गरीब तरसे ,भूख बरसे | भीगे पलक वाली ,आँसू बरसे || अस्सी करोड़ का प्लेन मंगाया |अस्सी करोड़ का प्लेन मंगाया | चढ़े नेता के यार |पब्लिक तरसे ,धूल बरसे | भ
@@@@ अपने हुनर को तराश इतना @@@@ **************************************************** अपने हुनर को तराश इतना ,कि तू दुनिया का सरताज हो जाये | हर ताज रहे तेरी ठोकर में ,और तू बादशाह बेताज हो जाये|| अपने इल्म को निखार इतना, कि हर नजर दीदार को बेताब हो जाये | छू ले तू हर बुलन्दी को , और सच्चे तेरे ख्वा
@बाला से पड़ा पाला@ ************************** एक चुलबुली बाला से , पड़ा हमारा पाला है | हालांकि उसने अब तक , घास हमें नहीं डाला है || उसके ठौर -ठिकाने का , हमने पत्ता लगाया है | मिलने के हर मौके को, हर बार उसने टाला है || हुस्न के फंदे में उसने , हमें ऐसे फंसाया है | कि भाई उस बाला का अब , लगने लगा
@@@@@मैं भारत का आम आदमी@@@@@ ****************************************************** मैं भारत का आम आदमी,धीरे-धीरे जाग रहा हूँ | हे हिन्द के प्रधान सेवक, उत्तर तुम से माँग रहा हूँ || बहुत गरजे थे भाषणों में , मैं भ्रष्टाचार भगा दूँगा| सुधर जायेंगें बेईमान सारे,ऐसा खौप जगा दूँगा || डींगें मारी बढ़-चढ़
@@@@@@@@@@@@@@@@@@ गुरु गुङ ही रह गया , पर चेला हो गया शक्कर | मदारी देखो दे रहा , अब जादूगर को टक्कर | अब जादूगर को टक्कर ,ये कैसा ज़माना आया ? ठोकर मार उसे गिराया,जिसने चलना सीखाया || झूठ -प्रचार की आँधी का , आया है ऐसा दौर | चोर-चोर का शोर मचाकर ,बना चोर सिरमोर || @@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@ देह -दर्शना वेश ,करवाता क्लेश- @@@ **************************************************** क्यों कोई नारी होठों पे ,रंग लाल लगाती है ? क्यों अपने उघड़े अंगों से,वासना भड़काती है ?? चुस्त टॉप -जीन पहन कर ,क्यों मर्दों को ललचाती है ? क्यों वो नंगी टाँगे लेकर , टी.वी.शो में आती है ?? प्रसिध्दि के चक्कर
@@@@@ देख असर ये होलीका @@@@@ **************************************************** गूँज रहा है स्वर फिजा में, होली की ठिठोली का । घाव भरने लगा है मानो,कड़वे बोल की गोली का ॥ रंग बदल रहा है मौसम , गौरी सूरत भोली का । छायी बहार हर चमन में ,देख असर ये होली का ॥ गीत गूँजने लगा कानों में, मस्तानों की टोली
रिश्वत खोरी पर व्यंग करती कविता -लूट की छूट ******************************************************* लूट कर यात्रियों को लूटेरों ने ,लौटा दिया सारा धन -माल | सोचने लगे यात्री सारे ,क्या है यह कोई इनकी चाल ?| डर रहे थे सब यात्री ,पर एक बालक बोला करते खाज | डाकू सर प्लीज बताओ , इस दया का क्या है
भूख से बेहाल, बेसहारा, गरीब बच्चे की दारुण दशा का कारुणिक चित्रण प्रस्तुत करती कविता - @@@@@@@@@ भूखा बचपन @@@@@@@@@ ********************************************************************* रोटी की सही कीमत जानता है , भूख से बिलबिलाता बदहाल बेसहारा बच्चा , ढूंढ रहा है जो होटल के पास पड़ी झूठन में रोटी क
पाखण्ड की पोल खोलती कविता - @@@@@@@@@ प्रसाद @@@@@@@@@ ******************************** अरब पति एक उच्च अधिकारी ,करते थे दावा ऐसा | नहीं लेते कभी हाथ में , वे रिश्वत का पैसा || महल जैसा था बंगला उनका ,और थी लग्जरी गाड़ियाँ | उनकी पत्नी हर हफ्ते , लाती थी महंगी साड़ियाँ || फार्म हाउस था उनका अपना ,था ब
@@@@@@@ नाम हिंदुस्तान का @@@@@@@ जिस भारत को दुनिया कभी, सोने की चिड़िया कहती थी, जिस भारत में प्रेम -प्यार की, घर -घर नदियाँ बहती थी, उस भारत की दुर्गत हुई ऎसी,इस बलात्कार की आंधी से, जाना जाता दुष्कर्मों से , न कि महात्मा गांधी से | सम्भल जाओ ओ भारतीयों,यह सवाल है देश की शान का, ' रेपिस्तान ' न
@@@@@@अंध विश्वास का अंधेरा@@@@@@ ********************************************************* दुर्घटना में पलट गयी थी ,एक मारुति कार | उस मारुति कार में ,मेरा साथी था सवार || साथी के एक हाथ में ,गहरी चोट थी आयी | पास के एक हॉस्पिटल से ,पट्टी थी करवायी || शाम को वो साथी घर पर ,मिठाई लेकर आया | और
@@@@@@@@@@ गलती @@@@@@@@@@ **************************************************************** इन्सान है गलती का पुतला ,गलती इन्सान से होती है | इन्सान की पैदाइश भी तो ,'गलती' से ही होती है || होती नहीं अगर गलती तो ,इन्सान धरती पर नहीं आता | आता भी अगर कहीं तो , शीघ्र मुक्ति पा जाता || आम इन्सान हर मोड़
@@@@@@ हिंदुस्तान तब और अब @@@@@@ ************************************************************* सुनो कहानी तुम साथियों ,भारत के स्वाभिमान की | कितनी इज्जत थी दुनिया में ,हमारे हिन्दुस्तान की || न कोई यहाँ दास था ,न कोई उदास था | संत और सज्जनों का, पावन यहाँ वास था || चौड़ी होती माँ की छाती ,हुनर उनका
@@@@@@ इन्सान @@@@@@ ********************************************* सृष्टि का सबसे विचित्र , प्राणी है इन्सान | जीता है वो जिन्दगी,दिखा कर झूठी शान || नहीं जी पाता वो कभी,सीधी सहज जिन्दगी | झूठ और कपट की ,करता उम्र भर बन्दगी || बड़ा होना चाहता बचपन में, पचपन में चाहता फिर बचपन | अजीब है इन्सान की फितर
@@@@@@@ कमाई @@@@@@@ ************************************************* एक तरफ वेतन वाली,एक तरफ घूस वाली | एक कहे मैं बीवी , दूजी कहे मैं साली || धर्मपत्नी सी वेतन वाली,रखेल जैसी घूस वाली | एक दिलाए इज्जत ,दूजी दिलाए गाली || एक तरफ वेतन वाली,एक तरफ घूस वाली | एक कहे मैं बीवी , दूजी कहे मैं साली || शर
@@@@@@ हाँ रे मिनख जग जा @@@@@@ ********************************************************* हाँ रे मिनख जाग जा ,क डूबण रो खतरों नेड़े आग्यो रे | क मिनख जाग जा | नेता लुटे अफसर लुटे,मिलकर सारा लूटे रे |(2) क अंग्रेजां री लूटपाट ,अब फीकी पड़गी रे || क मिनख जाग जा | हाँ रे मिनख जाग जा ,क डूबण रो खतरों नेड़े
पाखण्ड पर कटाक्ष करती कहानी - लुटेरे -लुटेरे भाई -भाई ************************************************************ एक शहर की सीमा पर स्थित एक मंदिर के विशाल प्रांगणमें एक पंडा पंडाल में बैठे जन -समूह को प्रवचन देते हुए यह बता रहा था कि ईश्वर सर्वशक्तिमानहै |ईश्वर की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं होता |य
@@@@ अन्धविश्वास का अन्धेरा @@@@ ************************************************** दुर्घटना में पलट गयी थी ,एक मारुती कार | उस काली कार में , मेरा साथी था सवार || साथी के एक हाथ में ,गहरी चोट थी आयी | पास के हॉस्पिटल से उसने,पट्टी थी करवायी || शाम को वो साथी घर पर,प्रसाद लेकर आया | और दुर्घटना में
@@@@@राम अगर भगवान होते तो @@@@ ******************************************************* राम अगर भगवान होते तो,त्याग सीता का नहीं करते | सीता को जंगल में भेज ,महलों में मौज नहीं करते || राम अगर ईश्वर होते तो ,झूठी शान पर मरते क्यों ? गर्भवती सती पत्नी को,घर से बाहर करते क्यों ?? राम अगर भगवान् होते त
@@@@@@@@एतराज किन्नरों का@@@@@@@@ ***************************************************************** विश्व किन्नर सम्मलेन में ,किसी किन्नर ने एक बात कही | लगी थी जो अटपटी सबको ,पर थी वो बिलकुल सही || हम सब छक्के है कुदरत के मारे ,नहीं बन सकते हम जीवनसाथी | बकसीस पर गुजर करतें हैं हम ,नहीं हमारा कोई प
@@@@@@नौकरी का गुरूमन्त्र@@@@@@ ****************************************************** नौ करी पर एक न करी,तो नौ पर फिरता पानी | यह नौकरी की परिभाषा ,बड़े अनुभव से जानी || नौकरी में नो (NO)करी तो ,गया काम से बन्दा| गरदन पर कस जाता , ट्रान्सफर का फन्दा || नौकरी वो ना करे, जो रखे स्वाभिमान | नौकरी तो वो
@@@@@@@ दृष्टि का भेद @@@@@@@ ******************************************************** नहीं समझ पाया कोई मुझ को,मेरे व्यवहार-विचारों से | गहराई नदी की कैसे नपती , भला उसके दो किनारों से || किसी ने तुलना की हिटलर से,किसी ने महात्मा गान्धी से| ज्वालामुखी लगता हूँ उनको ,जो डरते सच की आँधी से || किसी ने
@@@@@@गाथा भारत महान की @@@@@@ ********************************************************** बातें करते बड़ी-बड़ी हम ,नीति आदर्श और शान की | गाथा सुनो तुम साथियों, इस भारत देश महान की || पीने लगी है दूध मूर्ति,यह बात फैली थी गली-गली | विज्ञान के इस युग में भी,यहाँ रूढ़ियाँ फैली हैं सड़ी-गली || कन्या को देव
@@@@@@कोई किसी का नहीं@@@@@@ ****************************************************** मुख्य फसल के बीच पनपा ,वह एक खरपतवार था | मातपिता की सन्तानों में ,उसका नम्बर चार था || माँ की ममता से वंचित ,वो एक ऐसा बच्चा था | युवा हो जाने पर भी ,जो दुनियादारी में कच्चा था || माँ की ममता का प्यासा,भाभी को माँ स
@@@@@@@@ कड़वा सच @@@@@@@@ ********************************************************* माँ कहे मुझे बेटा प्यारा , बेटा कहे मुझे माता प्यारी | यह सब कहने की बातें,स्वार्थ की है यह दुनिया सारी || किस पत्नी ने खाना छोड़ा ,निज पति के अनशन पर | नजर रहती है हर व्यक्ति की ,भोगों के गुलशन पर || भृतहरि जैसा महान
वो कन्या दोस्त हमारी है @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ मृगनयनी मासूम सी बाला ,जो बाथ रूम में गाती है | पर खुले मंच पर न जाने क्यों ,गाने से घबराती है || जिस कन्या के गीतों की ,दीवानी दुनिया सारी है | सुनो कान खोल कर लोगों ,वो कन्या दोस्त हमारी है || किशमिश सी बोली है जिसकी ,पर "किस" को "मिस"करती है | किसी
@@@@@ म्हारो हेलो सुणोजी वोटर वीर जी @@@@@ ***************************************************************** लोकतन्त्र रा धणिया,भारत माँ रा कंवरा,सता देवी रा भरतार , म्हारो हेलो सुणो जी वोटर वीर जी |ओ म्हारो हेलो सुणो जी वोटर पीर जी || चुनाव री चिन्ता में ,म्हाने रोटी नहीं भावे जी | किंया थांने मुण्
@@@@@@@ देश लूट खावेला @@@@@@@ वोटां सू पेला सिर झुकावे ,वोट पङ्या निजर नहीं आवे | आंरी काली है सारी दाळ , ए थांने ठग जावेला | जाणो -समझो आंरी चाल ,नहीं तो देश लूट खावेला || जात पांत रो जहर फैलावे ,हिन्दू -सिक्ख ने ए लड़ावे | काटे -काटे मोटो माल , ए थांने ठग जावेला | जाणो -समझो आंरी चाल ,नहीं तो देश
@@@@ नारी जुबाँ के तीर,दिल को देते चीर @@@ ********************************************************* जब -जब नारी ने नर की ,खिल्ली खूब उड़ायी है | तब - तब दो परिवारों में , हुई गजब लड़ाई है || तन से कमजोर नारी ने , जुबाँ के तीर चलाएँ हैं | मन से कमजोर मर्दों ने , वो तीर दिलों पे खाएँ हैं || तलवार का घा
@@@@ तलाक़ की अनूठी कीमत @@@@ ************************************************** तू -तू ,मैं -मैं के बाद जब ,बढ़ गयी थी तकरार | तो लगने लगा संग रहने में ,नहीं है कोई सार || मर्म भेदी शब्द -बाणों से , दिल में हो गया घाव | रोज-रोज के ताने सुनकर,आ गया मुझको ताव || नहीं किसी काम के मेरे ,बीवी बोली जब ये म
@@@@@ हम सच्चाई कहते हैं @@@@@ *************************************************** झूठ के इस दौर में भी ,हम सच्चाई कहते है | इसलिए हर जन की ,रुसवाई हम सहते है || हम गुमराह लोगों को ,सन्मार्ग दिखाते हैं | इसलिए हमने उनसे ,तन्हाई ये पायी है || अपने हर हमराही से,हम वफ़ा ही निभाते हैं | इसलिए हमने उनसे ,
@@@@@@बीज नेकी के बोना सीख@@@@@@ *********************************************************** केवल अच्छे कर्म कर तू ,हर हाल में खुश होना सीख | कुछ अच्छा पाने के खातिर, कुछ पल्ले से खोना सीख || खुशियाँ बाँट सको तो बांटो ,पर अकेले में तू रोना सीख | नहीं परिणाम की चिंता कर तू,बीज नेकी के बोना सीख || कोश
@@@@@"नाज" का अन्दाज@@@@@ ************************************************ खरी -खरी कहना ही है,"नाज" का अन्दाज | उसके इस अन्दाज पर , हमें हुआ है नाज || मौका मिला है आज तो , बता दूँ यह राज | दिल की घंटी बजी,जब सुना "नाज" का साज || प्रेमी हूँ मैं "नाज" का ,ये कहते आती न लाज | पोल खोल पाखण्ड की ,बन गयी
@ ऐसी "नाज"को मेरा नमन हमेश है @ ******************************************** मन में उमंग नहीं , तन में तरंग नही | दिल से दबंग नहीं,सच के जो संग नहीं || ऐसी नाजुक "नाज" पर आती मुझे लाज है | होठों पर हास नहीं , सच के जो साथ नहीं | गुण कोई ख़ास नहीं ,मिलन की आश नहीं || ऐसी निर्गुण नाज पर कौन मोहताज है
@@@@@ हमारे प्यारे बाबूजी @@@@@ ************************************************* सीधे -सादे ,गौरे -नाटे, मितभाषी थे बाबूजी | थोड़े में संतुष्ट रहने वाले ,थे हमारे बाबूजी || थे अपनी धुन के पक्के ,गृहस्थ-साधू थे बाबूजी | अपने सभी अनुजों के , पितृ-तुल्य थे बाबूजी || बहू को भी बेटा समझा , ऐसे उदार थे बा
खानदान की इज्जत के नाम पर बहन की हत्या करने वाले कलयुगी भाइयों की काली करतूतों का भण्डाफोड़ करती कविता - @@@@@@@@ भेड़िया भाई @@@@@@@@ *********************************************************** जो करते हैं मटरगश्ती ,वो पढ़ते होंगें कोलेज में ख़ाक | पढाई को ताक पर रख कर ,लड़कियों को रहते ताक || दस -दस सह
@@@@@@ हिटलर पत्नी @@@@@@ ************************************************* अपनी पत्नी के राज में ,मैं रहता हूँ मायूस | उसके सामने मैं कभी भी ,नही रहता हूँ खुश || एक दिन मुझे अपनी , प्रेमिका याद आ गयी | और होठों पर मेरे, मुस्कान छा गयी || मेरी मुस्कान देख कर, पत्नी घबरा गयी | नब्ज देखने लगी वो मेरी
@@@@@@ सुस्त सरकार @@@@@@ सरक सरक कर चल रही , ये मोदी सरकार | चलती रही इसी चाल से,तो मिट गया भृष्टाचार || तो मिट गया भृष्टाचार,और ये बढती महंगाई | खात्मे के वादे पे जिनके,ये सरकार मोदी की आयी || सुप्रीम कोर्ट ने कहा जिसको,कुम्भकरण सी सुस्त | उस सरकार के मुखिया है ,भाषणबाजी में चुस्त || कहते थे जो ज
@@@@@@@@ जुबाँ @@@@@@@@ **************************************************** जुबाँ है एक ऐसा अस्त्र,जो घायल दिल को करता है | इससे लगा घाव दिल का ,नहीं कभी भी भरता है || कम न समझो इस जुबाँ को,यह दुघारी तलवार है | मनमुटाव व दुश्मनी की,जुबाँ ही जिम्मेदार है || तन-हत्यारे से भी ज्यादा , मन-हत्यारा पापी
व्यंग लेख--अपने देश की "महानता "के क्या कहने ****************************************************** मैं अपने देश भारत की उदारता को नमन करता हूँ |यही तो वो देश है ,जहाँ एक अनाचारी ,दुराचारी ,भ्रष्टाचारी ,अत्याचारी और बलात्कारी व्यक्ति साधू का वेश धारण कर महाज्ञानी के रूप में विख्यात हो जाता है |करोड़ो
@@@@@@ सबसे बड़ा बेईमान @@@@@@ ****************************************************** एक निकृष्ट व्यक्ति ने मुझ को,सबसे बेईमान बताया | झूठा यह आरोप सुनकर , गुस्सा बहुत ही आया || नहीं कभी रिश्वत खायी , न किया कोई घोटाला | मेरे उज्जवल चरित्र पर,न लगा कोई दाग काला || बहुत कोसा उस व्यक्ति को , पर नहीं चै
@@@@@@ दर्द नहीं,मुस्कान बनो @@@@@@ ********************************************************** न शैतान बनो,न हैवान बनो,भगवान् नहीं इन्सान बनो | न भीड़ बनो, न भेड़ बनो , दर्द नहीं, मुस्कान बनो || दुश्मनी की गाँठे खोलो,मूँह से सोच-समझ कर बोलो | प्रेम-अमृत जीवन में घोलो,नहीं कभी फिजुल में बोलो || न खुदगर
@@@@@@ ताजमहल @@@@@@ *************************************************** ताजमहल को देख कर, पत्नी इतरा कर बोली | बना दो तुम भी मेरे खातिर,ओ मेरे हमजोली || पति बोला इसके खातिर,खरीद लिया भूखण्ड | देर तुम्हारे मरने की है , जुटा रखा है फण्ड || ***************************************************
@@@@@@@@@@@@@@@@@@ कायरता को छोड़ बन्दे , हौसले का गर्जन कर | नाम अमर हो जाये तेरा , ऐसा तू सृजन कर || कूच कर गये लोग करोड़ों बिना किसी पहचान के, कयामत त्तक ख़तम न हो, तू ऐसा अर्जन कर || @@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ जीवन में दुःख -सुख का दौर आता -जाता है | घनी अंधेरी रात के बाद उजाला सुबह का आता है | न घबरा ओ मेरे दोस्त तू इन कष्ट के काँटों से , काँटों से तो फूलों का कुदरती नाता है || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ भार उठाती जो गृहस्थी का , वो भार्या कहलाती है | बदल जाता मकान घर में, जब घरवाली आती है || दर्दे दिल पर प्यार का मरहम , महबूबा लगाती है | तनी रहती जो पति पर , वो पत्नी कहलाती है || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ अनमोल मानव जीवन मिला है,इसका सदुपयोग कीजिये| करके अनूठा काम जगत में , दुनिया को कुछ दीजिये || बीत न जाये ये जिन्दगानी , गुमनामी के अन्धेरे में, मकसद हासिल करके अपना , साबित खुद को कीजिये || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ जिन्दगी की शतरंज में , है नहीं ठिकाना पासों का | बीत जाएगा चन्द दिनों में,ये मौसम मधुमासों का || जो करना है जल्दी करले , ओ अनाड़ी इन्सान , क्या पता कब रुक जाए , ये आना-जाना सांसों का || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ न बढा नजदीकियाँ इतनी ,कि वो दूरियों का आधार बन जाएँ | कस न तू वीणा के तार इतने,कि वो उसके टूटे तार बन जाएँ || सन्तुलन ही है जिन्दगी , बच अतियों से ओ नादान , मनाएँ अगर तू सलीके से , तो रूठा तेरा हर यार मन जाए || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ किसी भी नयी खोज को ,हम अविष्कार कहते हैं | और हर अच्छे सुधार को ,हम परिष्कार कहते हैं || मत कर तलाश ओ बन्दे , तू अच्छे इन्सान की , खुद ही अच्छे बन जाओ,सन्त ये हर बार कहते हैं || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@
@@@@@@@@@@@@@@@ प्यार में धोखा खाने पर नफ़रत होती है | वजह सुगठित शरीर की कसरत होती है|| मत कर बेईमानी ओ नादान इन्सान , ईमान की कमाई में ही बरकत होती है || @@@@@@@@@@@@@@@
@@@@ जगजीत की परिभाषा @@@@ ************************************************ जो संकट में साथ निभाए , उसे मीत कहते है | सुरताल के सरस पद्य को, हम गीत कहते है || जग को जीतने का हठ छोड़ दे,ओ हठी इन्सान, खुद को जीतने वाले को ही ,जगजीत कहते है || *************************************************
@@@@@@@उम्र के हस्ताक्षर @@@@@@@ ********************************************************* जब से चिकने चेहरे पर, उम्र के गढ़े गहराने लगे है | पच्चीस पार के युवा भी ,मुझे अंकल कहने लगे है || मेरी जन्म तारीख तो, आती है चार साल में एक बार | लेकिन उम्र का अहसास मुझे,कराते है लोग बार-बार || हालाँकि बिन चश
@@@@@@ इन्सान @@@@@@ ******************************************** उल-जलूल बातों को, हम बकवास कहते हैं | विन्रम निवेदन को, हम अरदास कहते है || मत ताक ओ नादान , दुसरे के गिरेबान में | संयत-शालीन शख्स को,संत खास कहते हैं || @@@@@@@@@@@@@@@@@