shabd-logo

सुकून

17 मई 2023

11 बार देखा गया 11

जो सुकून चुप रहने में है "दीप",
वो उल्फ़त में भी न होगा नसीब।
Pradeep Tripathi

Pradeep Tripathi

धन्यवाद। जी बिल्कुल।

5 सितम्बर 2023

Meenu Dwivedi

Meenu Dwivedi

बहुत सुंदर लिखा है सर आपने 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

5 सितम्बर 2023

18
रचनाएँ
शेरो-शायरी
0.0
मैं इस किताब में मन में आये विचारों को सूक्ष्म रूप से शेर या शायरी के रूप में लिखने का प्रयास कर रहा हूँ।मुझे उर्दू शब्द काफी आकर्षित करते हैं।कोशिश कर रहा हूँ उन शब्दों के माध्यम से अपने जज्बातों को व्यक्त कर सकूँ।उम्मीद है कि मेरा यह प्रयास आप लोगों को पसंद आएगा।
1

अदावत

17 मई 2023
2
1
0

अर्श से टूटते तारे कभी जमीं तक नहीं पहुँचते,इसलिए अपनों से अदावत मत कर प्यारे।

2

यादें

17 मई 2023
1
1
0

भुलाये न भूलती हैं आपकी यादें,ख्यालों में मुकम्मल साथ रहती हैं।

3

सुकून

17 मई 2023
1
1
2

जो सुकून चुप रहने में है "दीप",वो उल्फ़त में भी न होगा नसीब।

4

अकड़

18 मई 2023
1
1
1

इस तरह भी अकड़ कर न चलिए ज़नाब,कि अपने ही तग्ग़फ़ुल हो जाएं रफ़्ता रफ़्ता।

5

मंज़िल

18 मई 2023
0
1
0

जो बेपरवाह हो ज़माने सेआगे बढ़ते चले गएमंज़िल पा गए वो "दीप"और हम काँटे बचाते रह गए। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर(म.प्र.)

6

मुस्तक़बिल

18 मई 2023
0
1
0

अपने माज़ी से निकल बाहर आओ,"दीप"आगे मुस्तक़बिल तुम्हारा है। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर(म.प्र.)

7

रिवायत

18 मई 2023
0
1
0

रिवायत में न विश्वास कर मेरे बंदे,ये क़ायनात हक़ीक़त से चलती है। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर (म.प्र.)

8

मगरूर फ़लक

24 मई 2023
0
1
0

समंदर की लहरें मचलती रहींआसमान छूने के लिए पर मगरूर फ़लक झुक न सका इश्क़-ए-मोहब्बत में जीने के लिए।©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर (म.प्र.)

9

शुभकामनाएं

25 मई 2023
0
1
0

आप चढ़ें सफलता की नित नई सीढ़ियाँ,यही हैं मेरी दिल से शुभकामनाएं,न हों हताश , न हों निराश,गर आयें मंजिल-ए-दौर में बाधाएं। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" &nbs

10

तहनियत

27 मई 2023
0
1
0

*तहनियत*ये तहनियत है तुम्हारी जो मैं इस मुकाम पर हूँ,वरना इस हयात में मैं इतना मुस्तहिक कहाँ ।© प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर (म.प्र.)

11

दरमांदगी

28 मई 2023
0
1
0

न अपने आप से दरमांदगी महसूस कीजिए,अपने शग़फ़ को बुलंद कर और बुलंदी छू लीजिए। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर(म.प्र.)

12

अक्स-ए-आइना

29 मई 2023
0
1
0

तेरे अक्स-ए-हुस्न में कुछ इस तरह डुबकी लगाऊँकि सज-सँवर के जब तू खड़ी हो आइना के सामनेब-'अक्स-ए-आइना में मैं ही नज़र आऊँ। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"

13

इंसान

30 मई 2023
0
1
0

न तू हिन्दू बन और न बन मुसलमानतू उस्तुवार हो जाएगा जब बन जायेगा इंसान।©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर(म.प्र.)

14

सपने

14 जून 2023
0
1
0

*सपने*बनाये रखने के लिए सपने जिंदा,उड़ने दीजिए मन को मानिंद परिंदा। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर (म.प्र.)

15

सत्य

15 जून 2023
1
2
2

अफवाहें हैं अफवाहों का क्याउड़ जाएंगी इक दिन धूल बनकरमगर सत्य तो सनातन हैचमकता है हीरा बनकर। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर (म.प्र.)

16

रिश्ते

15 जून 2023
0
1
0

कुछ रिश्ते कच्चे होते हैंकुछ रिश्ते अच्छे होते हैंपर वक़्त पर जो साथ देंवो ही रिश्ते सच्चे होते हैं। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वा

17

जफ़ा

16 जून 2023
1
2
2

तेरी इस जफ़ा से बहुत जख़्मी हुआ हूँ मैं,गुज़ारिश है कि एक बार आकर जरा शिफ़ा तो दे जा। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर (म.प्र.)

18

तहम्मुल

22 जून 2023
0
1
0

*तहम्मुल*रख तहम्मुल इक दिन जरूर मुलाकात होगी,तब बैठकर बाँट लेंगे हर गम आधा आधा। ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप" ग्वालियर(म.प्र.) 🇮🇳

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए