नई दिल्ली : देश डिजिटल होने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में देश की अदालतों को भी रोज के कागजों के बोझ से राहत मिल जाएगी। एक याचिका के जवाब में चीफ जस्टिस ऑफ़ सुप्रीम कोर्ट जेएस खेहर ने कहा कि अगले 6-7 महीने में सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह पेपरलेस हो जायेगा।
इसके तहत सुप्रीम कोर्ट लोअर कोर्ट से सारे दस्तावेजों की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी लिया करेगा। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब तक लोअर कोर्ट डिजिटल नहीं होते, तब तक इसे लागू कैसे किया जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के रिकॉर्ड ले लिए जाएंगे।
अदालत के पेपरलेस होने के बाद केस की अर्जी करने वालों को रिकॉर्ड पेश करने की कोई जरूरत नहीं होगी। याचिकाकर्ता को सिर्फ ये बताना होगा कि किस आधार पर वह फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहा है।
हर साल औसतन 70,000 मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आते हैं। हर केस में ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी, संलग्नित दस्तावेज और रेफरेंस पेपर मिलाकर औसतन 100 पेज से ज्यादा की फाइल हो जाती है।
इसके अलावा तमाम लॉ फर्म हैं जो लगातार केस फाइल करते रहते हैं। समूह में याचिकाएं आती हैं। ऐसे में ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से इकट्ठा करके फाइलों का बोझ कम करने की तैयारी है। मगर यह होगा तब जब लोअर कोर्ट भी डिजिटल होंगे।