नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को लेकर न्यायपालिका के अंदर असहमति के सुर पहले से ही रहे हैं। कॉलेजियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पांच प्रमुख न्यायधीशों में शामिल जे चेलामेश्वर ने इस बार कॉलेजियम की बैठक से दूर रहकर अपनी असहमति जताई। इससे पहले भी जस्टिस जे चेलामेश्वर कई बार कॉलेजियम को लेकर सवाल उठा चुके हैं। इस बार कॉलेजियम पर आयोजित बैठक से पहले जस्टिस जे चेलामेश्वर ने पत्र लिखकर बैठक में शामिल ना होने की बात कही।
गौरतलब है कि कोलेजियम पर फैसला देने वाले जजों में चेलामेश्वर अकेले ऐसे जज थे जिन्होंने कोलेजियम को भ्रष्ट बताया था। कोलेजियम और एनजेएसी पर जिन पांच जजों की पीठ ने फैसला सुनाया उनमे एक जे. चेलामेश्वर एक मात्र ऐसे जज थे जिन्होंने जजों को चुनने की कोलेजियम व्यवस्था का समर्थन नही किया। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि केलिजियम की व्यवस्था एकदम अपारदर्शी है इस बारे में जनता कुछ नही जान सकती।
उन्होंने इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद एक जज के विवादित प्रमोशन का भी उदाहरण दिया था। चेलामेश्वर के अनुसार न्यायिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के कई तरीके है। इसमें जजों के चुनने का अधिकार बनाये रखना भी एक है लेकिन यह कार्यपालिका द्वारा सुझाये गए मॉडल को ख़ारिज करने की वजह नही हो सकती जिसमे लोगों की इच्छा भी शामिल होती है। उन्होंने कहा था कोलेजियम की व्यवस्था न तो न्यायपालिका के लिए लाभदायक है और न ही देश हित में।