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नया रास्ता है, कोई हमसफ़र नहीं है ।     महफिलें बहुत हैं,पर अपने मतलब, की नहीं हैं।क्यूं , दिन के उजाले भी, अब रास नहीं आते हैं ?      क्यूं , मेरे सूने मन को, हरपल‌ एहसा

किससे गिला करें, किससे शिकवा करें ।      जब दर्द भी, अपना है ।और दर्द देने वाला, भी अपना है ।     अब क्यूं , ऐसा होता है ?अपनों के, हाथों में ही ,      &nb

क्यूं , बदल गये, जमाने वाले ?        क्यूं , न हम बदल पाये ,खुद को ?यूं , तो वफ़ा के नाम पर ,कसमें खायी जाती हैं ।          वक्त पड़ने पर ,क्यूं , हमें इनक

धन वैभव की, मुझे चाह नहीं ।       जग में शोहरत का ,ख्याल नहीं ।उड़ता हूं परिन्दा, बन निश्छल ।        रहता हूं सक्रिय , मैं अविरल ।जो अश्रुपूरित, असहाय मिला ।&nb

कभी-कभी बिना वजह के भी, मुस्कुरा दिया करो ।        दूसरों के दिलों को, खुश रखने के लिए,कभी-कभी खुद को, हरा दिया करो ।        यूं ,तो हर आदमी, अहं में भरा रहता ह

लोग चंद पैसों के लिए ,आज ईमान बेचने लगे ।     इस कलयुग में लोग,पैसों को, अपना भगवान बनाने लगे ।इंसानियत को ताक पर रखकर, हैवानियत का सबक अपनाने लगे ।   आज परिन्दों की तरह, रिश्

दर्द उभर आया है, दिल में मेरे ।    साथ में वफ़ा का, समन्दर क्यूं है ?जिन्होंने भुला दिया हमको ।      उनको क्यूं, न भुला पाया मैं ?अजीब दास्तां,अजीब सी हालत है, दिल की । 

नींद में कम हो जाते हैं, ग़म ।     इसीलिए नींद से, प्यार हो चला है ।जमाने वाले तो सिर्फ, ताने कसते हैं ।      इसीलिए जमाने से,कुछ अलगाव हो चला है ।नींद आगोश में लेकर, दुः

जिन्दगी बसर हो रही है,      सिर्फ ख्वाबों के सहारे ।हम भी खामोश बैठे हैं,       उम्मीद की, पतवार थामे ।कभी न कभी कश्ती , किनारे लग ही जायेगी ।      &n

इस नन्हीं सी जिन्दगी में, प्यार बांटते चलो ।        यूं , तो हैं, हजार ग़म ,उन्हें जड़ से, उखाड़ने चलो ।          कोई क्या कहेगा अब ?इसे ध्यान से, निकालते

क्यूं, लरजते हैं, आंखों में आंसू ?     जब इनका कोई, मोल न रहा ।क्यूं, तड़पते हैं, अपनों के लिए, जब उनके दिलों में, कोई प्यार न रहा ?      क्यूं, संजो रहे सपने, भविष्

मेरे प्यार में, रुक जाओ इक पल,       तो जिन्दगी संवर सकती है ।अगर बहाना बनाकर, चले गये तुम,        तो जिन्दगी रुक सकती है ।प्यार में ठहरने वाले लोग,   

प्यार क्यूं ,छिप -छिप कर किया जाता है ?       क्यूं, हिंसा सरे-आम की जाती है ?क्यूं, अपराधियों को पनाह दी जाती है ?         क्यूं, बहू-बेटिओं की इज्जत सरे-

सत्य तिलमिलाता है,      कि लोग उसकी , पहचान जान लें ।झूठ कंपकंपाता है,      कि कहीं लोग,उसको पहचान न लें ।कितना विरोधाभास है, दोनोें में,      किसको क्या अ

कोई आज मुझे प्यार करने का ,       अंदाज सिखा दे ।गैरों को अपना बनाने का ब्यौहार,         सिखा दे ।यूं तो नसीहत, देने‌वाले हैं, दुनिया में बहुत ।  &nbs

बुलन्द इरादे हैं।     सार्थक प्रयास है।फिर भी न जाने, क्यूं मेरा प्रारब्ध नाराज हैं ?     क्यूं ,अनदेखा करते हो,मेरे इश्क को ?तुम प्रारब्ध हो ।       

वो मुकर गये, वादा करके,         कोई बात नहीं ।समझ लूंगा, उन्होंंने दी है,          प्यार में, सौगात बड़ी ।अब वादों का, क्या भरोसा ?     

मैं समय के साथ चल रहा हूं ।      या समय से पीछे ।कैसे पता करु ?        मैं समय के आगे हूं ।या, समय मेरे आगे ।         इक अनबूझ सी, पहेली बनी

सुन्दर वक्तब्यों का जहां में, बहुत महत्त्व हो गया है ।     लोग सुन्दर शब्दों को गढ़ने में, प्रवीण हो रहे हैं ।लोगों को अपने शब्द जाल में फंसाने में,     अत्यन्त रंगीन हो

आज लरजते गीतों का ,      संदेश सुनाने आया हूं ।आज महकते फूलों की,        सुगन्ध बिखेरने, आया हूं ।कभी किसी का, दिल न दुखाना,         सबकी मद

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