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अगर मेरे हाथ में, तेरा हाथ हो, तो दुनिया हंसी लगती है ।       अगर तेरा साथ न हो, तो ये, जिन्दगी सजाये मौत लगती है ।प्यार  क्या होता है ? ये तुमने सिखा दिया हमें ।   

युद्ध राजनैतिक बुलबुला, अनसुलझे सपनों की खेप ।    रॉकेट लॉन्चर सब निगल गए,       इच्छायें रही  अशेष।।  रक्त चिंगारी में तब्दील,    लपटें धधकती&nb

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मैं तो इक आवारा बादल ।   न मेरा कोई घर है ।और न कोई ठिकाना ।   जहां कहीं भी, प्रेम वर्षा से, असंतृप्त मानव ह्रदयों को‌ देखा ।बस वहीं ठिठक गया, कुछ पल के लिए ठहर गया ।   

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मैं इक कली ,प्रेम के बलिदान का प्रतीक हूं ।    दुनिया की निगाहें, मुझ पर ही टिकी रहती हैं ।कब मैं खिलूं , और दुनिया वाले मुझे तोड़ लें ।     मैं दुनिया वालों की, नीयत जानती हू

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जिंदगी इक सफ़र है ।     हम इसके मुसाफिर है ।जिंदगी का सफर, कब पूरा हो जाये,      हमें, भी पता , नहीं चलता ।कभी-कभी दो रास्ते, जिन्दगी में आते हैं ।      जो

न उड़ो इंसा ,अहं के आसमान में,     ज़मीं पर आने में, वक्त नहीं लगता ।इंसा रिश्ते बनाता है, जन्म भर ,      पर रिश्तों के टूटने में , वक्त नहीं लगता ।लाख मशक्कत करके, इंसा

ऐ ! जुबां , तेरी तो लीला अपार है ।   कभी तो मिठास से, ओत-प्रोत होकर, गैरों को भी, अपना बना देती है ।   कभी इतनी कड़ुवाहट, भर लेती है , कि पल भर में, अपनों को भी पराया कर देती है ।&

जिन्दगी तुमने बहुत परीक्षा ले ली,मेरी ।   फिर भी मेरे हौसलों ने, न आंख फेरी ।मैं मनाता रहा,तुम रूठती रहीं ।   मैं प्यार करता रहा,तुम मुंह फेरती रहीं ।काश ! मेरी खता बता दो,तो मैं म

प्रेम वो नहीं,जिसे वासना की डोर से बांधा जाये ।       प्रेम वो नहीं ,जो कामवासना की पूर्ति के काम आये ।प्रेम तो ,वो इबादत है, जिसमें प्रेमियों को, इक दूसरे की रुह में समा जाने पर,

दुनिया की तस्वीर आज, बदली हुई सी लग रही है ।       प्रेम की भावनाएं आज, सिमटी हुई सी लग रही हैं ।दुनिया के लोग आज कहकहे लगाने में,रुचि रखते हैं ।       किसी गिर

प्रेम की अनुभूति तब हुई,       जब पनप गयी प्रेमा-बेल मन में ।   यूं ,तो मिलना और सम्मान प्रकट करना,         आम बात तो थी, उनसे ।    दिल

जिन्दगी मेरे ख़्वाबों से, क्यूं , खेलती है ?     कोई तो, बता दें हमें ।   पहले सुन्दर ख्वाब सजाने के, सपने दिखा देती है ।फिर पल भर में उन्हें, मिटाकर क्यूं ,हमें रुला देती है

वक्त की करवटों का, हमें कुछ पता नहीं ।       कब क्या घटित हो जाये, कुछ भी, तो पता नहीं ?सुन्दर सुबह होती है, आशाओं के साथ ।         पर शाम कब ढल जाती है, न

जिन्दगी में अब क्षमा याचना का, कोई अस्तित्व न रहा ।         सचमुच जिन्दगी में अब, पश्चाताप का कोई महत्त्व न रहा ।लोग गलतियां करने में, खुद को अक्लमंद समझते हैं ।   

प्रेम पथिक मैं प्रेम पथिक संवर के चला उस गली जहां उसका घर था , खंगालता रहा उनकी खिडकियों को ,लहराते परदे को ,जिसके पीछे मेरा शहर था |मैं प्रेम पथिक पर अनभिग्य थ

क्यूं , मौसम की तरह बदल गये इन्सान  ?      फिर भी क्यूं लेता हूं,वफ़ा का नाम ?वफ़ा के नाम पर, लोगों ने, मेरे दिल को लूट लिया ।       पलट कर ज्यूं देखा, मेरी पीठ

समय के चक्र में, क्या कुछ नहीं हुआ ?        थोड़ा सा कुछ मिला, बहुत कुछ दूर हो गया ।अपनों का साथ न मिला, गैरों का मिल गया ।         गैरों में पनपता प्यार ,

यादों का काफिला ही, मेरे साथ रहा ।     बाकी रिश्ते तो, कांच के खिलौनों की तरह,हर पल टूटते ही रहे ।       अहं की आग में ,क्या-क्या नहीं झुलस गया ?इक पल में ,अपनों का,

अन्तिम जीवन यात्रा में, कोई साथी नहीं मिलता ।     पर शहनाइयों की गूंज में,हर कोई है,दिखायी देता ।इस समाज की विडम्बना में,क्या न कहा जाये ?      जो भी कहा जाये,शब्दों की स

कभी फुरसत में मिलो,      तो कुछ बात हो ।कभी उल्फत से मिलो,     तो इकरार हो ।यूं , तो गिले-शिकवे , जमाने को भी हैं, हमसे ।     तुम गिले-शिकवे कर लोगे,

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