वर्षा ऋतु में जल संचय हेतु तालाब,गाँव की नालियों से आने वाले मैले पानी के निपटान हेतु तालाब,मछली पालन हेतु तालाब और पशु पक्षियों की प्यास बुझा उन्हें नवजीवन प्रदान करते तालाब।कटते वन ओर पटते तालाब प्राकृतिक आपदा का मुख्य कारण हैं।चैन्नई में बीते दिनों आई भयानक बाढ़ और बुन्देलखण्ड में सूखे के हालात हमारे सामने हैं।तालाब की गाद सफाई से उसकी जल संग्रहण क्षमता बढ़ती है तथा भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होता है।तालाब के चारों ओर पेड़ पौधे सुन्दर प्राकृतिक दृश्य उत्पन्न कर पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूत करने में सहायक होते हैं।सूखे में फसल की सिचाई में भी बहुत काम आने के साथ पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किये जा सकते है।तालाब की गहराई बढ़ाने के लिए खुदाई करते समय यह विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि ऐसा करने से उसके प्राकृतिक रूप में परिवर्तन न होने पाए।अन्यथा उसके जल संग्रहण क्षेत्र में अनावश्यक अवरोध उत्पन्न होने की दशा में जल संचयन क्षमता घट सकती है।कई जगह तालाब की जमीन का गलत पट्टा कर दिया गया है जिसके कारण आधा तालाब पाटकर खेती के लिए जोत डाला और तालाब के प्राकृतिक रूप को नष्ट करने का काम किया गया।सबसे दुखद पहलू यह है कि गाँव का मुखिया भी इस मामले में कोई रुचि नहीं लेता और तालाबों पर अतिक्रमण बदसतूर जारी है।अपने गाँव के तालाब को पटते देख कर मन की मलाल लिखने को बाध्य करती है।