पारिस्थितिकी संतुलन के लिये जल,जन्गलऔर जमीन पर उपस्थित जीव जंतुओं के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जरूरी होता है।वैसे तो प्रकृति के अपने बनाए नियम इसके लिये पर्याप्त हैं परन्तु प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के चलते ये नियम भन्ग होते हैं।जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदा से हमें जूझना पड़ता है।कभी भाढ़,भूस्खलन,आदमखोर का आतंक,सूखा आदि।वन्यजीव अभयारण्य प्रकृति के सुंदर रूप को बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं।घास और पेड़ पौधों की पत्तियों को खिलाने वाले पशु अन्य बड़े जानवरों का आहार तथा कीट पतन्गे उन पक्षियों का आहार होते हैं जो पेड़ के फल खाकर उनके बीज एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा उस प्रजाति का विस्तार करने में सहायक होते हैं।इस प्रकार वन्यजीव संरक्षण के कई फायदे हैं जो राष्ट्रीय वन्यजीव अभयारण्य में जाकर देखने को मिलते हैं।