रांची : प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा हर छात्र की नीव होती है और अगर यह नीव ही कमजोर हो तो इमारत भी कमजोर हो जाती हैं. शिक्षा की सुनहरी तस्वीर बस झारखंड के सरकारी बाबुओं के टेबल तक हैं. सरकारी बाबुओं ने झारखंड सरकार के नियमों को ताख पर रखकर 41 शिक्षकों कि नियुक्ति कर दी.
ब्लैक लिस्टेट यूनिवर्सिटी के छात्र भी हुए नियुक्त
राज्य में प्राथमिक और मध्यमिक विधालयों में शिक्षक नियुक्ति में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट रांची के कलक्टर मनोज कुमार को सौंप दी हैं. रिपोर्ट में कहा गया हैं कि गैर योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी भी रांची के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में शिक्षक बन गये हैं. जांच के दौरान संदिग्ध पाए गए 41 अभ्यर्थियों में एक दर्जन ऐसे अभ्यर्थी हैं जिनकी नियुक्ति नियम के विरुद्ध की गई हैं. रिपोर्ट के अनुसार ब्लैक लिस्टेड घोषित विद्यापीठ से स्नातक पास अभ्यर्थियों को भी नियुक्त कर दिया गया. ऐसे अभ्यर्थियों की भी नियुक्ति कर दी गयी, जिन्होंने इंटर में 45 फीसदी से भी कम अंक पाए थे. इसके अलावा कई कोटे में तय सीटों से अधिक अभ्यर्थी को आरक्षण का लाभ दे दिया गया. जांच में संदेहास्पद पाए गए सारे अभ्यर्थियों के वेतन पर रोक लगा दी हैं.
रांची के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में पदस्थापित हैं सभी
1. पुष्पा कुमारी, मंजू टोप्पो, बीरेंद्र प्रसाद महतो : इंटर में तय मापदंड से कम अंक, स्नातक की योग्यता देवघर विद्यापीठ की.
2. शिवेश्वर हजाम,अनिल कुमार, पंकज कुमार महतो, गिरिश कुमार कश्यप,तपेश्वर महतो, राजू हाजरा : निर्धारित सीमा से अधिक आरक्षण के तहत हुई नियुक्ति
3. कौशर परवीन,बसंती कुमारी : टेट में 60 फीसदी से कम अंक पर, सामान्य श्रेणी में हुई नियुक्ति
4. रूथ कच्छप : सरकार द्वारा निर्धारित उम्र सीमा से आयु अधिक होना.
5. पवन कुमार: इंटर में 45 फीसदी से कम अंक
6. रश्मि कुमारी: न्यूनतम दो वर्ष अटूट पारा शिक्षक की सेवा नहीं
7. मधुसूदन मंडल : शैक्षणिक योग्यता ही मान्य नहीं.
8. स्नेहाशीष दास : स्नातक में 50 % से कम अंक.
9. मो इरशाद : टेट में
अक्सर हम स्कुल में शिक्षकों के स्तर पर बहस करते हैं लेकिन स्कुलों को रोजगार भर्ती का माध्यम बनाया जा रहा हैं.