नई दिल्ली : तीन तलाक़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पांचवे दिन भी इस पर बहस जारी रही। केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा कि तलाक इस्लाम का मौलिक हिस्सा नहीं है। तीन तलाक मुस्लिम समुदाय में पुरुष और महिला के बीच का मसला है। इस समाज में पुरुष महिलाओं की तुलना में शक्तिशाली और पढ़ा लिखा है।
अदलात में चौथे दिन मंगलवार को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि- ''तीन तलाक 1400 साल पुरानी प्रथा है और यह स्वीकार की गई है। यह मामला आस्था से जुडा है, जो 1400 साल से चल रहा है तो ये गैर-इस्लामिक कैसे है'' सिब्बल ने कहा था ''मान लीजिए मेरी आस्था राम में है और मेरा यह मानना है कि राम अयोध्या में पैदा हुए। अगर राम को लेकर आस्था पर सवाल नहीं उठाए जा सकते तो तीन तलाक पर क्यों?
पांचवे दिन क्या हुआ अदालत में ?
तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पांचवे दिन हुई बहस में सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अपना पक्ष रखा। और बहस ऐसे हुई।
AG मुकुल रोहतगी : यह मामला बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का नहीं है। यह टकराव मुस्लिम समुदाय में ही है।
CJI खेहर : लेकिन सिब्बल कह रहे हैं कोई टकराव नहीं है।
मुकुल रोहतगी : यह टकराव समुदाय में ही महिलाओं और पुरुषों के बीच है। इसकी वजह यह है कि पुरुष कमाने वाले हैं, ज्यादा शिक्षित हैं।
जस्टिस कुरियन : एक बार फिर आपसे पूछ रहे हैं कि तीन तलाक रद्द कर दिए जाएं तो क्या होगा
AG मुकुल रोहतगी : अगर कोर्ट ऐेसा फैसला देता है तो सरकार कानून लाने को तैयार है।
CJI खेहर - यह काम आप पहले क्यों नहीं करते? हमारे आदेश का इंतजार क्यों ?
AG मुकुल रोहतगी : यहां सवाल सरकार का नहीं बल्कि ये है कि कोर्ट इस मामले में क्या करता है। हलफनामे में पर्सनल लॉ बोर्ड खुद कह रहा है कि तीन तलाक पाप है, अवांछनीय है तो ऐसे में साफ है कि तीन तलाक इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है, जो अनिवार्य नहीं है उसे संविधान द्वारा प्रोटेक्शन कैसे दिया जा सकता है?
जस्टिस कूरियन : कपिल सिब्बल कह रहे हैं कि यह पर्सनल लॉ का मामला है इसे संवैधानिक अधिकारों की कसौटी पर टेस्ट नहीं जा सकता?
AG मुकुल रोहतगी : तीन तलाक का मामला भी संवैधानिक अधिकार के तहत ही देखा जाना चाहिए। पर्सनल लॉ भी संविधान की कसौटी पर टेस्ट होते हैं, क्योंकि ये धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है इसलिए इस मामले में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हवाला नहीं दिया जा सकता।
CJI खेहर : बोर्ड कह रहा है कि यह 1400 साल पुरानी परंपरा है जो आस्था है। इसमें कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए?
AG मुकुल रोहतगी : यहां परंपराओं की बात है तो सती प्रथा, छूआछूत और विधवाओं के पुनर्विवाह जैसी परंपराएं खत्म की गईं
जस्टिस कूरियन : आप इनका जिक्र कर रहे हैं लेकिन ये तो विधायिका द्वारा कानून बनाकर खत्म किया गया
AG मुकुल रोहतगी : लेकिन पंरपरा के नाम पर क्या कोई भी समुदाय यह कह सकता है कि नरबलि हमारी परंपरा है?
जस्टिस कूरियन: लेकिन क्या यह बात पशुओं की बली में भी लागू होती है?
AG मुकुल रोहतगी : मैंने जानबूझकर नरबलि का जिक्र किया है ये संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा मामला है।
CJI खेहर : लेकिन संविधान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी देता है?
AG मुकुल रोहतगी : धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अपने आप में संपूर्ण नहीं है। उदाहरण के तौर पर संविधान कहता है कि कोई भी शख्स अपनी मर्जी से किसी भी मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ सकता है, लेकिन कोई ताजमहल में जाकर नमाज नहीं पढ़ सकता क्योंकि ये पब्लिक आर्डर का मामला है।