नई दिल्ली : एनजीओ कॉमन कॉज़ की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है जिसमे कहा गया है कि सहारा और बिड़ला ग्रुप के यहाँ इनकम टैक्स के छापों में मिले दस्तावेजों की जांच की जाए। कॉमन कॉज़ के वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गई इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली बेंच करेगी। ख़बरों की माने तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर सुनवाई करने को तैयार होने के बाद बीजेपी आलाकामान में इस बात की बैचैनी बढ़ गई है कि इस मामले न्यायलय उन्हें नोटिस जारी कर सकता है। बीजेपी का डर इसलिए भी कुछ ज्यादा बढ़ हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीज जस्टिस ऑफ़ इंडिया टीएस ठाकुर एक दूसरे से जजों की नियुक्ति मामले में आमने-सामने हैं।
एक रिपोर्ट की माने तो इन दस्तावेजों में कई ऐसे सबूत थे जिनसे पता चलता है कि देश के कई दिग्गज नेताओं को सहारा समूह ने चंदा दिया। इन सबूतों पर इनकम टैक्स विभाग ने क्या कार्रवाई की अभी तक कोई नही जानता लेकिन सहारा समूह से जब्त दस्तावेजों में जिन नेताओं के नाम थे उनके अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई की कोषाध्यक्ष शायना एनसी और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम भी शामिल हैं।
जांच न करके आयकर विभाग कर रहा है कानून का उल्लंघन
एक रिपोर्ट के अनुसार 'जैन हवाला डायरी' मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसे दस्तावेज किसी सरकारी एजेंसी से मिलते हैं जिनमें किसी गैरकानूनी लेन-देन का जिक्र है तो उसकी पूरी और निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि सरकार की इतनी संस्थाओं के पास ये दस्तावेज है लेकिन सब इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। इन दस्तावेजों में चन्दा लेने वाले नेताओं के नाम साफ़ हैं। बल्कि हर नाम के सामने हिंदी और अंग्रेजी में यह स्पष्ट तौर पर लिखा है कि किसे कितने पैसे दिए गए. इसके अलावा इन दस्तावेजों में बाकायदा तारीख भी दर्ज है और यह भी कि पैसे किसके जरिए भेजे गए।
एक रिपोर्ट के अनुसार आयकर विभाग ने 15 अक्टूबर 2013 को आदित्य बिरला ग्रुप की कंपनी के परिसर से रेड के दौरान जब्त किया था। इस दस्तावेज में एक जगह लिखा था - ‘गुजरात सीएम - 25 करोड़ (12 डन - रेस्ट?)‘ इस बीच मीडिया में कुछ दस्तावेज सामने आये हैं। इस दस्तावेजों में दिखाया गया है कि 10 महीनो में 115 करोड़ रूपये के भुगतान किया गया।