
नई दिल्ली ; देश में हुई नोटबंदी के चलते टूटे पैसों की मारामारी आ गयी है. जिसके चलते भिखारियों की आमदनी मंदी हो गयी है. यही नहीं उनका धंधा भी पूरी तरह से चौपट हो गया है. जिसके चलते कई भिखारियों के घर में खाने के लाले पड़ गए हैं.
कोई भीख देने को नहीं तैयार
देश के कई बड़े शहरों में एक भिखारी की प्रतिदिन की आमदनी कम से कम हजार रुपये बताई जाती है. लेकिन जब से 500 और हजार रुपये की नोटें बंद हुई हैं, तभी से लोगों से मिलने वाले पैसे भिखारियों को नहीं मिल रहे हैं. बताया जाता है की एक तो बैंक से मात्र गिनी चुनी रकम ही लोग निकाल पा रहे हैं और अगर जिनके पास पैसे हैं भी तो वह रेजगारी के संकट के चलते अपने पास पड़े पैसों को भिखारियों को देने से कतरा रहे हैं.
दिल्ली समेत कई बड़े शहरों का यही हाल
यह हाल केवल देश की राजधानी दिल्ली का ही नहीं बल्कि मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों का भी यही हाल है. दिल्ली की सड़कों पर भीख मांगने का काम करने वाले भिखारी अशरफ का कहना है क़ि नोटबंदी से पहले उसकी प्रतिदिन की आमदनी1000 रुपये हो जाती थी. लेकिन जब से 500 और 1000 रुपये की नोटबंद हुई है, तब से 50 -100 रुपये भी जुटाना मुश्किल हो गया है.
भिखारियों का धंधा चौपट
मुंबई शहर के भिखारियों की भी इन दिनों यही दशा है. बताया जाता है कि देश के कई बड़े महानगरों में रोजाना 2000 रुपये तक भीख से कमा लेते थे. लेकिन जब से नोटबंदी हुई है लोगों ने भिखारियों को भीख देना बंद कर दिया है. और तो और जो लोग भीख मांगने का धंधा करते थे. अब वो भी रोजगार की तलाश में जुट गए हैं. दरअसल कमाई बंद हो जाने से उनके घरों में चूल्हा तक नहीं जल पा रहा है. बहरहाल एक तरफ जहां नोटबंदी को लेकर लोग परेशान हैं वहीँ मोदी की इस पहल से देश में भिखारियों का धंधा चौपट होने की कगार पर है.