समय बहुत बलवान है। समय वह चीज है,जिसे इंसान हमेशा से ही अपने अनुसार चलाना चाहता है, किंतु समय पर किसी की नहीं चलती अपितु समय सबको अपने अनुसार चलाता रहता है।
अगर किसी प्रकार हम समय को अपने अनुसार चला सके तो कितना रोमांचक होगा। समय यात्रा कर हम अपना भविष्यफल या भूतकाल ,सब कुछ पलक झपकते ही जान सकते हैं।
जी हां! मैं उसी समय यात्रा की बात कर रही हूं जिसके ऊपर ना जाने आप सब ने कितनी ही फिल्म देखी होंगी और ना जाने कितने ही लेख पढ़े होंगे।
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपनी " थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" में टाइम ट्रेवल की बात करी थी। उसी बात को सिद्धांत मानते हुए वैज्ञानिकों ने ना जाने कितनी ही खोज करी और आज भी टाइम ट्रैवल करने के लिए कई अविष्कार किए जा रहे हैं।
वह दिन दूर नहीं जिस दिन हम किसी कैप्सूल जैस मशीन में बैठकर अपने वर्तमान व भविष्य की यात्रा का सुखद अनुभव प्राप्त कर सकेंगे।
यह माना जाता है, कि अगर इंसान रोशनी की गति से ट्रेवल कर सके तो वह समय को पीछे छोड़ सकता है। किंतु वर्तमान समय में ऐसी मशीन अभी तक नहीं बनी जो इंसान के शरीर को इस गति से ट्रैवल करने में सक्षम हो।
मैं सोचती हूं ,अगर मुझे टाइम ट्रेवल करने का मौका मिला तो मैं निसंदेह अपने बचपन में लौट जाना चाहूंगी। वो मस्ती के दिन सहेलियां ,माता पिता का प्यार ,भाई की फटकार , दादी मां का सर में मन भर तेल थोप कर दो करेले जैसी मुड़ी हुई चोटिया बनाना और नीचे लाल रिबन के बड़े-बड़े फूल बनाना; हां जी, जो कि मुझे उस समय तो बहुत अखरता था, वही यादें आज मेरे मन को भाती हैं । और मैं दौड़ के अपनी दादी मां की गोद में बैठकर ढेर सारी कहानियां सुनना चाहती हूं। अपनी मां के हाथ की बनी रोटियां खानी चाहती हूं और उन्हीं गलियों में मस्त पतंग सी सरपट उड़ना भी चाहती हूं।
काश! किसी तरह यह टाइम ट्रेवल संभव हो जाए और हम सभी अपने अपने सपनों की दुनिया में पहुंच सके। कितना अच्छा होगा ना?
मेरे छोटे बेटे का तो बस एक ही सपना है, अगर उसे टाइम ट्रैवल करने का मौका मिलेगा, तो वह बड़ा होकर अपने पापा जैसे खूब घूमने जाया करेगा और बहुत सारी चॉकलेट्स खरीदेगा, रात दिन वीडियो गेम खेलेगा, खूब मस्ती करेगा ।और उसे लगता है यह आजादी उसे टाइम ट्रैवल करके बड़े हो जाने पर ही मिल सकती है ,क्योंकि अभी तो उसकी मां उसे हिटलर प्रतीत होती है।
सोचने पर ही कितना सुंदर लगता है "टाइम ट्रेवल". समय को मुट्ठी में कर लिया तो समझो, दुनिया मुट्ठी में कर ली। ना तो बच्चों को स्कूल में देरी से जाने की टेंशन, ना ही ऑफिस में देर से पहुंचने पर बॉस की डांट खाने की टेंशन। और कोई काम बिगड़ जाए तो भूतकाल में जाकर उसे सुधार लेने का अवसर। वाह! क्या बात होगी। जीवन सफल हो जाएगा।
मुझे तो लगता है समय पर उपलब्धि मतलब ब्रह्मांड पर विजय पा लेने के बराबर होगा। तब तो उन सारी बातों और कहावतें के मायने ही बदल जाएंगे, जो हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं। और जब भी बच्चों को समय व्यर्थ करते देखते हैं ,तो खरी खोटी सुनाने के लिए उन्हीं का प्रयोगकर दिया करते हैं, जैसे कि
"कल करे सो आज कर ,
आज करे सो अब ,
पल में प्रलय होएगी ,
बहुरि करोगे कब।
कभी- कभो सोचती हूं, हर चीज के कुछ अच्छे पहलू व बुरे पहलू दोनों ही होते हैं। जैसे कि टाइम ट्रेवल कर यूं तो हम अपनी कई मुश्किलों का समाधान कर सकते हैं।
दूसरी तरफ अपने बच्चों को समय की अहमियत समझाना तो बहुत ही कठिन हो जाएगा, क्योंकि टाइम ट्रैवल के साथ समय की तो कोई अहमियत ही ना रहेगी। वह तो बस एक बिंदु से दूसरे बिंदु के बीच की एक क्षणिक भर की दूरी रह जाएगी, जो पलक झपकते ही तय कर ली जा सकेगी।
खैर! आधुनिक युग की तेज रफ्तार देखते हुए मैं यह अडिग विश्वास से कह सकती हूं, कि वह दिन दूर नहीं है, जब आप और मैं टाइम ट्रेवल का लुफ्त उठा जिंदगी के हर अच्छे क्षण को दोबारा या शायद कई बार जी सकेंगे।