shabd-logo

त्योहारों का सीजन

8 नवम्बर 2022

17 बार देखा गया 17
वैसे तो हमारा मोहल्ला शांत व सुकून वाला था। हमारे घर के पास ही चार घर छोड़कर असलम चाचा रहते थे। उनकी बेटी शबनम मेरी बहुत अच्छी सहेली थी। वे अक्सर हमारे घर आती जाती थी, खासतौर पर मंगलवार को ।जब भी मेरी दादी हनुमान जी को बूंदयों का प्रसाद चढ़ाती थीं, तो शबनम सबसे पहले हाथ जोड़कर प्रसाद के लिए खड़ी मिलती।

दादी भी शबनम को ही सबसे पहले प्रसाद देती थी , क्योंकि उसे हनुमान चालीसा मुंह जबानी रटी हुई थी।

इसके बावजूद भी मेरी दादी को मेरा शबनम के घर जाना बिल्कुल पसंद नहीं था, क्योंकि वह मुसलमान थी। मेरी दादी पुराने विचारों वाली थीं। वह जात-पात और ऊंच-नीच में बहुत विश्वास रखती थीं। दादी का कहना था कि उनके घर का पानी पीने से भी हमें पाप लगेगा क्योंकि ना तो वह मंगलवार मानते थे और ना ही शनिवार…..!

सुबह के 9:30 बज रहे थे, "मीनू उठो सुबह के 10:00 बज रहे हैं। छुट्टी का मतलब यह नहीं होता कि तुम सारे दिन ही बिस्तर में पड़ी सोती रहोगी।" मां रसोई में खड़ी पराठे बनाती हुई जोर-जोर से चिल्लाकर मुझे उठा रही थी। 

"हूं…" मैंने अंगड़ाई ली और बाई आंख खोलकर घड़ी की ओर देखा अभी तो 9:30 ही बजे हैं मां हमेशा ही समय आगे करके क्यों बताती है ? फिर भी मैं बिस्तर से उठ खड़ी हो गई । 

नहीं- नहीं मां की वजह से नहीं वह तो इसलिए क्योंकि आज का दिन बहुत खास था। क्यों खास था, वह तो आपको आगे की कहानी पढ़ कर ही पता चलेगा।

" आउट है , आउट है…" पापा जोर-जोर से तालियां मारते हुए चिल्ला रहे थे। मैंने हॉल में झांका वहां गुप्ता अंकल, मिश्रा अंकल, खन्ना अंकल और शर्मा अंकल ने हो हल्ला मचा रखा था।

सुबह-सुबह यह सब हमारे घर क्या कर रहे हैं और इतना शोर क्यों मचा रखा है? मैं सोच में पड़ गई। तभी कमेंट्री हुई कि पाकिस्तान की बैटिंग खत्म हो गई है ,अब इंडिया की बारी चालू होगी।

"अच्छा तो यह बात है अब समझी कि हमारे घर सारा मोहल्ला क्यों इकट्ठा हो रखा था आखिर आज इंडिया और पाकिस्तान के मैच का जो था। दोस्तों के साथ खुशी बढ़ जाती है और गम बट जाता है शायद इसीलिए आज सारे मोहल्ले के अंकल हमारे घर मौजूद थे।

मैंने मन ही मन सोचा।" चलो अच्छा ही है आज पापा को मेरे पीछे पड़ने का समय नहीं मिलेगा। और बाकी सारे दिन इन्हीं की आवभगत में लगी रहेगी। भगवान आप महान हो " मैं मन ही मन भगवान को धन्यवाद कर रही थी।

मैं खुशी से जोर-जोर से कूदने लगी। लेकिन मेरे खुश होने की वजह कुछ और ही थी…. आज का दिन जो इतना खास था । आप सोच रहे होंगे कि मैं पाकिस्तान और इंडिया के मैच के चलते मिली छुट्टी से खुश थी।

जी नहीं पाकिस्तान और इंडिया के मैच से आखिर बच्चों का क्या मतलब? आज तो खुशियां मनाने का और मुंह मीठा करने का दिन था।

दिवाली के अलावा यह एक त्यौहार था जो मुझे बहुत पसंद था। शबनम की मम्मी के जैसी सेवइयां तो पूरे मोहल्ले में कोई नहीं बना सकता था। उनकी सेवइयां में वह भर- भर कर किसमिस, काजू ,बादाम, पिस्ता और मखाने डालती थीं और उसकी खुशबू तो क्या कहने ! पिछली गली तक भी उनकी सेवइयां की खुशबू आती थी।

शाम के 7:20 बज रहे थे मैच अभी भी चल रहा था ।सभी टकटकी बांधे टीवी के सामने बैठे थे। चारों तरफ सन्नाटा छाया था ।शाम की अजान की आवाज हमारे कानों में साफ आ रही थी। 
तभी दादी मां तुनककर कर बोली "यह लोग तो अपने अल्लाह से पाकिस्तान के जीतने की दुआ ही मांगते होंगे….! "

"अरे मां ,ऐसा कुछ नहीं है। यह तो उनकी पूजा का समय है ।वह रोज ही इस समय नमाज पढ़ते हैं।"मेरे पिताजी ने सफाई देते हुए कहा। 

"हां ,हां मैं सब जानती हूं, ऐसे ही धूप में बाल सफेद नहीं किए हैं मैंने….. " दादी गुस्से से बोलती हुई अपने कमरे में चली गईं।

कमरे का दरवाजा बंद कर , दादी मां जोर-जोर से हरे कृष्णा ,हरे कृष्णा ,कृष्णा कृष्णा ,हरे हरे ,हरे रामा ,हरे रामा ,रामा रामा, हरे हरे….. भजन गाने लगीं। ऐसा लग रहा था मानो इंडिया और पाकिस्तान का मैच नहीं बल्कि भगवान और अल्लाह के बीच में श्रेष्ठता का मैच चल रहा हो।

तभी लाइट चली गई ।हमारे घर गुप अंधेरा हो गया। अरे ! पर असलम चाचा के घर तो लाइट से जगमग आ रहा था। तभी मुझे याद आया उन्होंने तो नया-नया इनवर्टर खरीदा है। और वह भी इंडिया और पाकिस्तान का मैच देखने के लिए। क्योंकि अक्सर शाम के समय हमारी गली में लाइट चली जाया करती थी।

असलम चाचा अपनी बालकनी में आए और मेरे पापा को आवाज देकर अपने घर आकर मैच देखने के लिए आमंत्रित किया। पापा ने आव देखा ना ताव फटाफट उनके घर की तरफ चल पड़े। "अरे रुक, अरे रुक कहां जा रहा है "कहती हुई दादी पापा के पीछे - पीछे चल दीं।

मैंने भी मौका देख दादी की साड़ी का पल्लू पकड़ा और उनकी पीछे हो गई।

आखरी बॉल थी और इंडिया को जीतने के लिए केवल 6 रन चाहिए थे। बैटिंग सचिन तेंदुलकर कर रहा था। असलम चाचा और पापा सोफे पर बैठ गए और उनके चेहरे पर गंभीरता के बादल छाए हुए थे। दादी कुछ बोलने ही वाली थी पर पापा ने उन्हें " मां 2 मिनट रुक जाओ। बस आखरी बॉल है " कह कर बिठा दिया। उन दोनों की चेहरे देखकर दादी की कुछ और बोलने की हिम्मत ही नहीं हुई और वह चुपचाप जाकर दरवाजे के पास जाकर खड़ी हो गई।

तभी सचिन ने एक शानदार सिक्स लगाया और गेंद स्टेडियम से उड़ती हुई बाहर चली गई। हुर्रे ….. पापा ने असलम चाचा को गले से लगा लिया और असलम चाचा ने भी पापा को अपनी गोद में उठा लिया। यह देखकर मेरी दादी की तो आंखें फटी की फटी रह गईं।

गली में सभी जोर-जोर से इंडिया- इंडिया के नारे लगा रहे थे। तभी सलमा चाची और शबनम सेवइयां लेकर आ गए।

 "आइए बैठिए ना माताजी आज तो दोहरि खुशी का दिन है, आज ईद के शुभ अवसर पर हमारी इंडिया ने जीतकर हम सब की खुशी दोगुनी कर दी। मुझे तो पहले ही पता था और आज मैंने नमाज पढ़ते हुए भी अपनी इंडिया की जीत की ही दुआ मांगी थी। मुझे तो आज अल्लाह ने मेरी ईदी दे दी।

इंडिया के जितने और ईद की खुशी में सारे मोहल्ले वाले भाई बहनों के लिए मैंने सेवइयां भी बनाई हैं। कहते हुए सलमा चाची ने मेरी दादी के पैर छु लिए। सलमा चाची के मुंह से यह शब्द सुनकर मेरी दादी तो स्तब्ध रह गई। वह कुछ बोल ना सकी, लेकिन उनकी आंखों में पश्चाताप और खुशी के आंसू आ गए।

ईद मुबारक हो बेटी कहकर उन्होंने भी सलमा चाची को अपने गले से लगा लिया और शबनम को अपने कुर्ती की जेब से 500 रुपए का नोट निकालकर ईद मुबारक हो कहकर आशीर्वाद के रूप में दे दिया।

एक तरफ ईद की मिठास थी, तो दूसरी तरफ पटाखों का शोरगुल ऐसा मालूम होता था जैसे आज दिवाली ईद और इंडिया के जीत का मिलाजुला त्यौहार हो।

आज फिर हिंदुस्तान और पाकिस्तान एक हो एकता के त्यौहार में रंग गए थे! कितना प्यारा है हमारा देश और कितने प्यारे हैं हमारे देश के रंगीन त्यौहार । ऐसा लगता है जैसे एक सूत्र में रंग-बिरंगे मोतियों को पिरो दिया गया है जो एकता के अटूट प्रेम सूत्र से बंधे हो।

उस दिन के बाद ना ही कभी मेरी दादी ने मुझे उनके घर जाने से रोका और ना ही उनके घर खाने से। बल्कि अब तो हमारा पूरा मोहल्ला एक दूसरे के साथ मिलकर सारे त्योहार बहुत ही हर्ष उल्लास से मनाता है। अब हम सब मिलकर सारे साल त्योहारों का सीजन मनाते हैं और एक साथ मिलकर एक दूसरे उसे अपनी खुशियां बांटते हैं। 


✍️स्वरचित
लिपिका भट्टी












24
रचनाएँ
आलेख
5.0
यह किताब दैनिक विषयों की समालोचनात्मक समीक्षा का संग्रह है। इस किताब में आप विभिन्न विषयों पर सुंदर आलेख पढ़ सकते हैं।
1

सोशल मीडिया की ताकत

6 सितम्बर 2022
13
8
4

आज के आधुनिक युग में समय से भी अधिक बलवान सोशल मीडिया प्रतीत होता है। आज हम घंटों या कहें तो दिनों की दूरी सोशल मीडिया की एक व्हाट्सएप कॉल व वीडियो कॉल से क्षण भर में तय कर सकते हैं, इसीलिए यह कहना गल

2

टाइम ट्रेवल

7 सितम्बर 2022
12
5
7

समय बहुत बलवान है। समय वह चीज है,जिसे इंसान हमेशा से ही अपने अनुसार चलाना चाहता है, किंतु समय पर किसी की नहीं चलती अपितु समय सबको अपने अनुसार चलाता रहता है।अगर किसी प्रकार हम समय को अपने अनुसार चला सक

3

मेरे अंदर का लेखक

18 सितम्बर 2022
8
4
4

मेरे अंदर का लेखक आज की तेज रफ्तार दुनिया में किसी के पास किसी दूसरे के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं है। हर कोई अपनी दुनिया में अपनी जीवन शैली में इतना व्यस्त हो गया है की, उसके आसपास हो रही घटनाओं

4

इच्छा शक्ति

11 अक्टूबर 2022
5
2
3

इच्छा शक्ति….. क्या आप इच्छा शक्ति को मानते हैं? क्या आपको विश्वास है कि हमारी इच्छाओं में भी शक्ति होती है?जी हां ! इच्छा शक्ति….मुझे तो पूर्ण विश्वास है, की इच्छा में अतुल्य शक्ति होती है। वह कहते ह

5

2070 की दुनिया

13 अक्टूबर 2022
2
2
0

दुनिया बदल रही है। हां जी, दुनिया बदल रही है और बहुत तेज रफ्तार से दुनिया बदल रही है।हां ,शायद आने वाले समय में हम नहीं होंगे, पर हमारे जिगर के टुकड़े तो होंगे। और बहुत कामयाब होंगे , इसमें कोई संदेह

6

शिक्षक

13 अक्टूबर 2022
2
1
0

२०१९ में करोना महामारी ने विश्व में अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए थे । २ मार्च २०२० तक इस घातक वायरस ने हिंदुस्तान में भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए। और देखते ही देखते २४ मार्च २०२० को संपूर्ण भ

7

सकारात्मक और नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022
2
2
0

अगर हम जिंदगी में कुछ पाना चाहते हैं तो हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए। क्योंकि हम जैसा सोचते हैं, और जैसे शब्दों का उच्चारण करते हैं, हमारे आसपास वैसी ही ऊर्जा एकत्रित होने लगती है।हम जब पूजा करते वक

8

दूरस्थ शिक्षा और शिक्षक

22 अक्टूबर 2022
6
3
1

२०१९ में करोना महामारी ने विश्व में अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए थे । २ मार्च २०२० तक इस घातक वायरस ने हिंदुस्तान में भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए। और देखते ही देखते २४

9

मेरी यादगार दिवाली

24 अक्टूबर 2022
3
3
0

अक्सर बच्चे अपने बड़ों से सीखते हैं। चाहे उन्हें कुछ सिखाया जाए या फिर नहीं पर अपने आसपास होती घटनाओं व बातों पर उनका ध्यान हमेशा रहता है और जाने अनजाने में हम उन्हें बहुत कुछ सिखा देते हैं।दीपावली का

10

देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह और कुछ चमत्कारिक उपाय जो आपका जीवन बदल देंगे

4 नवम्बर 2022
1
2
2

देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाहहिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। साल भर कुल 24 एकादशियां आती हैं जिसमें से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी का विशेष महत्व होता है। एकादशी व

11

त्योहारों का सीजन

8 नवम्बर 2022
1
0
0

वैसे तो हमारा मोहल्ला शांत व सुकून वाला था। हमारे घर के पास ही चार घर छोड़कर असलम चाचा रहते थे। उनकी बेटी शबनम मेरी बहुत अच्छी सहेली थी। वे अक्सर हमारे घर आती जाती थी, खासतौर पर मंगलवार को ।जब भी मेरी

12

शिक्षा का बाजारीकरण

29 नवम्बर 2022
3
3
1

शिक्षा का बाजारीकरण शिक्षा आज के आधुनिक युग में 'ज्ञान मात्र' ना रहकर, बाजार में बिकने वाली एक 'वस्तु मात्र' बनकर रह गई है। जिस प्रकार जब माता-पिता बाजार जाते हैं और बच्चे अलग-अलग खिलौने देखकर किसी मह

13

सत्य और अहिंसा

18 दिसम्बर 2022
2
0
0

“पिताजी -पिताजी देखो आर्यन ने मेरी चॉकलेट छीन ली, आप इसकी पिटाई करो। “, रोती बिलखती ३ साल की शायना अपने पिता अक्षय से अपने बड़े भाई की नाइंसाफी की गुहार लगा रही थी। “अरे स

14

सविनय अवज्ञा

30 दिसम्बर 2022
3
1
0

सविनय अवज्ञासविनय अवज्ञा का अर्थ किसी चीज का विनम्रता के साथ उल्लंघन करना होता है।अर्थात सविनय अवज्ञा का मौलिक अर्थ अहिंसक हिंसा व विरोध कहा जा सकता है।जब भी कानून पद्धति में अपकार बोध हो तो, उसका विर

15

खिलाड़ियों की आवाज

19 जनवरी 2023
4
1
0

खिलाड़ियों की आवाजखिलाड़ी जो हमारे देश को मान सम्मान दिलाते हैं, जो हमारे देश की पहचान है, हमारे सिर जिनकी कठिन मेहनत , तप व मनोबल से गर्वित है , आज वही खिलाड़ी अपने मान व सम्मान की रक्षा के लिए भारत

16

लिथियम भंडार

12 फरवरी 2023
6
1
0

लिथियम एक ऐसी धातु है जिसने आज के युग में क्रांति ला दी है। यह आवर्त सारणी का तीसरा तत्व है और बहुत ही हल्की धातु है। इसका प्रमुख उपयोग बैटरी बनाने के लिए किया जाता है जो कि लै

17

केवल परिवर्तन ही स्थाई है

21 फरवरी 2023
4
2
2

परिवर्तन प्रकृति का नियम। समाज में परिवर्तन की प्रक्रिया सदैव चलती रहती है। यह परिवर्तन कई चीजों पर निर्भर करता है एवं इसकी गति और दिशा हर समाज में अलग-अलग होती है। परिवर्तन प्राकृतिक और सांस्कृतिक

18

दिल्ली एमसीडी चुनाव

24 फरवरी 2023
1
1
0

चुनाव शब्द से हम सब भली भांति वाकिफ हैं। हमारे देश में अलग-अलग स्तरों पर अलग-अलग चुनाव होते हैं जिसमें से एमसीडी यानी कि मुंसिपल कॉरपोरेशन डिवीजन का चुनाव अपना ही महत्व रखता है।भारत की राजधानी दिल्ली

19

कैसी रिटायरमेंट

1 मार्च 2023
4
1
0

जिंदगी की उधेड़बुन में कब ऐसा मुकाम आ जाता है जब समय हमें बताता है - रुक जाओ, अपनी गति को धीमी कर लो, बस अब बहुत हो गया थोड़ी सांस ले लो और आराम करो। तब कहीं जाकर हम राहत की सांस लेते हैं और अपने आप क

20

होलिका दहन

8 मार्च 2023
3
1
0

होलीका दहन हिंदू धर्म के एक प्रमुख त्योहार है, जो भारत में हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग होली का त्योहार मनाते हैं और रंगों से खेलते हैं।होली का दहन भारत के विभिन्न हिस्सों

21

होली

8 मार्च 2023
3
1
0

होली एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है जो भारत में हर साल फाल्गुन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार को रंगों का त्योहार भी कहते हैं क्योंकि इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं और मिठाई खाते है

22

यादें बचपन की

26 मार्च 2023
6
5
0

आज याद आ रहा है ना जाने मुझे क्यों वह आंगन, वह हरे भरे खेतों में दौड़ना, वह कच्चे आमों की सुगंध, वह तितलियों के संग भागना, वो करनी सहेलियों से चिढ़हन, वह भाई के साथ पंजा लड़ाना, उसके जीत जाने पर करनी

23

आईपीएल से जुड़े विवाद

1 अप्रैल 2023
5
3
0

आईपीएल और आईपीएल से जुड़े विवाद,कहां तक है यह सत्य जनाब,मैच फिक्सिंग की धांधलेबाजियां,लूट ले गए वह सारे खिताब..धूल में मिले जो बैठे थे बन हमारे सरो ताज,उठे जब सबके चेहरों से नकाब,खुल गए सारे ढके हुए र

24

आईपीएल से जुड़े विवाद

17 मई 2023
1
1
0

आईपीएल और आईपीएल से जुड़े विवाद, कहां तक है यह सत्य जनाब, मैच फिक्सिंग की धांधलेबाजियां, लूट ले गए वह सारे खिताब.. धूल में मिले जो बैठे थे बन हमारे सरो ताज, उठे जब सबके चेहरों से नकाब, खुल गए सारे ढके

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए