इच्छा शक्ति….. क्या आप इच्छा शक्ति को मानते हैं? क्या आपको विश्वास है कि हमारी इच्छाओं में भी शक्ति होती है?
जी हां ! इच्छा शक्ति….मुझे तो पूर्ण विश्वास है, की इच्छा में अतुल्य शक्ति होती है। वह कहते हैं ना.. "अगर आप सच्चे दिल से कुछ चाहो, तो पूरी कायनात भी उसे आप से मिलाने में लग जाती है।" आप भी सोचते होंगे कि क्या फिल्मी डायलॉग मार रही है …पर यकीन मानिए यह बिल्कुल सच है।
ऐसी ही एक सच्ची कहानी आपके समक्ष रखना चाहूंगी, जो इस बात का सच्चा प्रमाण है, कि अगर आपकी इच्छा शक्ति प्रबल हो तो आप जो चाहे वह पा सकते हैं….
यह कहानी है मेरी एक सहेली राजेंद्र कौर की जो पंजाब के एक शहर जलंधर में रहती थी।
एक बार उनके शहर में डॉ राजेंद्र प्रसाद आए।
रज्जो ने देखा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद के आगे- पीछे बहुत भीड़ है और सब लोग उनकी जय जयकार कर रहे हैं। उसने अपने पिताजी से पूछा, "पिताजी -पिताजी यह कौन हैं?"
उसके पिताजी ने उसे बताया "बेटा यह डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद हैं ।"
क्योंकि उसका नाम भी रजिंदर था, इसीलिए उसे लगा कि जिसका नाम भी रजिंदर होता है उसको डॉक्टर बनता है और सब लोग उसका बहुत आदर सम्मान करते हैं।
बस उसी दिन से उसने अपने मन में एक इच्छा पाल ली, कि बड़ी होकर वह भी डॉक्टर ही बनेगी। वे दिन रात डॉक्टर बनने का सपना देखने लगी, और समय के साथ- साथ उसकी यह इच्छा और प्रबल होती गई।
बदकिस्मती से जब वह 12वीं कक्षा में थीं, उसके पिताजी का स्वर्गवास हो गया। उसकी मां अधिक पढ़ी-लिखी नहीं थी, इसीलिए अपने परिवार को पालने के लिए वह कुछ अधिक नहीं कर सकती थी।
रजिंदर के घर अब कोई और कमाने वाला नहीं था। केवल उसकी मां और दो छोटी बहनें। औरतों का बोझा कोई भी अपने सर नहीं ढोना चाहता था, इसलिए सब रिश्तेदारों ने उनसे मौका देखते ही किनारा कर लिया। उनका गुजार बसर जैसे - तैसे उनके पिताजी की पेंशन से चल रहा था।
अब रजिंदर पर अपनी मां और दो छोटी बहनों का दायित्व भी आ गया। इतनी कठिनाइयों के बावजूद भी राजेंद्र की इच्छा शक्ति इतनी प्रबल थी कि उसने परिस्थितियों से हार ना मानी और अपने मन में यह ठान ली कि ,अपनी बहनों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए उसे हर हाल में डॉक्टर बनना ही होगा।
उसने 12वीं कक्षा में इतनी लगन से पढ़ाई करी कि, पूरे शहर में 12वीं में उसने प्रथम स्थान पाया और मेडिकल की एंट्रेंस भी क्लियर कर एक बहुत बड़े मेडिकल कॉलेज में अपने बलबूते पर एडमिशन भी प्राप्त कर लिया।
इस प्रकार अपनी प्रबल इच्छा शक्ति की वजह से उसने अपनी पढ़ाई भी करी और साथ ही और अपनी बहनों का भविष्य भी सुरक्षित कर लिया।
ऐसी ही इच्छा शक्ति के बल पर अपने सपनों को साकार करने वालों में कुछ बहुत विख्यात नाम है जिनसे हम सभी भलीभांति परिचित हैं,
जैसे कि :-
महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग। जिनका शुरुआती जीवन बहुत ही कठिनाइयों भरा था । किंतु अपनी प्रबल इच्छाशक्ति के बल पर उन्होंने अपने वैज्ञानिक बनने के सपने को साकार किया व विज्ञान के क्षेत्र में अनगिनत योगदान दिए।
मैं यहां एक नाम और लेना चाहूंगी ,जिन्होंने अपनी प्रबल इच्छाशक्ति के दम पर हमारे भारत का नाम गौरवान्वित किया।
भारत की बेटी मैरी कॉम। अत्यंत गरीब परिवार से होने के कारण उन्हें अपने सपने को साकार करने के लिए छोटी सी उम्र से ही बहुत पर्यन्त करने पड़े।
किंतु उन्होंने यह ठान ली थी चाहे जितनी भी मुश्किल है क्यों ना आए वह अपने सपने को साकार अवश्य करके रहेंगी। कड़े परिश्रम निरंतर प्रयास और अपनी प्रबल इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने ना केवल भारत को बल्कि संपूर्ण महिलाओं को सम्मान दिलाया। और सभी लोगों के समक्ष प्रबल इच्छा शक्ति का जीता जागताआदर्श बन गई।
अगर हमारी इच्छा शक्ति सही दिशा में हो और प्रबल हो, तो हम हर कठिनाई पर अपने दृढ़ विश्वास , कठिन मेहनत व इच्छा शक्ति के बल पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
बस जरूरत है कि हमें इस बात पर पूर्ण विश्वास हो कि हम अपनी इच्छा को साकार करने के लिए किसी भी तरह की विपत्ति से ना तो घबराएं और ना ही मार्ग में आने वाली कठिनाइयों से रुकें अपितु सही दिशा में निरंतर प्रयास करते रहें और तब तक प्रयास करें जब तक हम अपनी इच्छाशक्ति से अपने सपने को साकार न कर ले।
स्वरचित
लिपिका भट्टी