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मेरे अंदर का लेखक

18 सितम्बर 2022

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मेरे अंदर का लेखक
आज की तेज रफ्तार दुनिया में किसी के पास किसी दूसरे के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं है। हर कोई अपनी दुनिया में अपनी जीवन शैली में इतना व्यस्त हो गया है की, उसके आसपास हो रही घटनाओं से वह लगभग अपरिचित या कह सकते हैं असंवेदनशील ही रह जाता है।
किंतु इस भीड़ भरी दुनिया में, कुछ लोग ऐसे भी हैं ,जो एक नन्ही सी चींटी का परिश्रम भी देख सकते हैं और अंतरिक्ष में चमकते झिलमिलाते तारे भी, बच्चों के आंखों की खुशी और बूढ़ी मां की आंख से झलकती उदासी भी। जी हां आप बिल्कुल सही समझी,…. लेखक।
एक लेखक ही तो है वह इंसान जो हर किसी के किरदार में स्वयं ढल जाता है और उसकी हर भावना को अपने शब्दों से रूप दे देता है। कभी सुंदर चमकीले रंग तो कभी काले ,गहरे, रहस्यमय शब्द…
मेरे अंदर लिखने की जिज्ञासा कब पैदा हुई ऐसा कुछ याद नहीं आता। शायद मैं छोटी थी या बहुत ज्यादा छोटी कि मुझे याद ही नहीं कि मैं कम अपने स्कूल का च करते- करते कुछ अलग ही लिखने लग गई। हां, इतना ज़रूर याद है कि मेरे पिताजी मुझे बहुत सारी कहानियों की सुंदर- सुंदर किताबें ला कर दिया करते थे। जिनको पढ़ती- पढ़ती मैं उन्हीं के किरदारों में स्वयं को पाती और ना जाने कब उन्हीं की दुनिया में खो जाती।
मुझे पढ़ने में इतना आनंद प्राप्त होता था, जो शायद मेरी हमउम्र सहेलियों को गुड़िया के साथ घर-घर खेलने में महसूस था।
मेरे लिए तो वह स्टोर रूम में बनी लाइब्रेरी ही मेरे घर का पसंदीदा कोना थी। जब मैं घर में किसी को ना मिलती, तो सबको पता था कि मैं कहां पर मिलूंगी।
बस यूं ही दादा-दादी की कहानियां, पंचतंत्र, बिल्लू, पिंकी, चाचा चौधरी ,चंदा मामा, चंपक, अकबर बीरबल और न जाने कितनी ही कहानियों की किताबें पढ़ती- पढ़ती एक दिन मैंने कब कलम उठाई और कब मैं खुद लिखने लगी यह मुझे खुद भी ज्ञात नहीं।
शुरुआती तौर पर तो मैं कविताएं लिखती और उनका पेपर प्लेन बनाकर हवा में उड़ा दिया करती या फिर बारिश में नाव बनाकर तैरा दिया करती थी। एक बार गलती से मेरी कविता का पेपर प्लेन सीधे जाकर मेरे पिताजी की चाय के कप में लैंड कर गया। डांट तो नहीं पड़ी लेकिन फिर एक दिन एक और पेपर प्लेन जाकर मेरी मम्मी की पकती हुई दाल में क्रैश हो गया। आगे तो आप जानते ही हैं, मां बेचारी घर का काम करती करती इतनी थक जाती है कि उनमें यह सब सहने की ताकत नहीं बचती। और फिर क्या हुआ यह भी एक कहानी है, जो कि मैं बिल्कुल सुनाना नहीं चाहूंगी।
फिर मेरे पिताजी ने नए साल पर मुझे एक बहुत सुंदर गोल्डन बार्डर वाली डायरी गिफ्ट दी। फिर क्या था दोस्तों, देखते ही देखते वही गोल्डन बॉर्डर वाली डायरी मेरी रचनाओं का संग्रह बन गई और मैं अपने मन की हर बात उसमें लिखने लगी।
मुझे बचपन से ही पेड़ पौधों को देखना उनके रंगों को निहारना चिड़िया तितली और हवा की महक सब कुछ बहुत ही लुभावना लगता था। बस फिर क्या था शायद ही कोई ऐसा प्रसंग हो जिस पर मैंने कोई कविता ना लिखी हो।
कॉलेज में मुझे मेरी अध्यापिका ने कई सुनहरे अवसर प्राप्त कराएं। मेरी कई कविताएं वार्षिक पुस्तक में भी छपी, जिससे मेरा मनोबल और बड़ा ह। इसी तरह लिखते -लिखते आज मुझे यह अवसर मिला कि मैं अपने मन की बातें मेरे ही जैसे किससे, कहानियों और कविताओं के प्रेमियों तक पहुंचा सकूं। तो आइए ,हम सब मिलजुल कर पढ़े, लिखे और जीवन को अपने अनुभवों से रंगीन बनाएं।

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सुंदर लिखा है आपने बहन मेरी कहानियों पर भी अपना व्यू दे दें 😊🙏

3 अगस्त 2023

Bhavsar Rachit Gajanand

Bhavsar Rachit Gajanand

Very nice writing lipika ji Very concise choice of words Rachit Bhavsar Ahmedabad Gujarat.

1 मार्च 2023

लिपिका भट्टी

लिपिका भट्टी

1 मार्च 2023

बहुत-बहुत धन्यवाद आपका 🙏

Pranet

Pranet

Bahut hi Sundar lekh prabhavi lekh

9 दिसम्बर 2022

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रचनाएँ
आलेख
5.0
यह किताब दैनिक विषयों की समालोचनात्मक समीक्षा का संग्रह है। इस किताब में आप विभिन्न विषयों पर सुंदर आलेख पढ़ सकते हैं।
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सोशल मीडिया की ताकत

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आज के आधुनिक युग में समय से भी अधिक बलवान सोशल मीडिया प्रतीत होता है। आज हम घंटों या कहें तो दिनों की दूरी सोशल मीडिया की एक व्हाट्सएप कॉल व वीडियो कॉल से क्षण भर में तय कर सकते हैं, इसीलिए यह कहना गल

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टाइम ट्रेवल

7 सितम्बर 2022
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समय बहुत बलवान है। समय वह चीज है,जिसे इंसान हमेशा से ही अपने अनुसार चलाना चाहता है, किंतु समय पर किसी की नहीं चलती अपितु समय सबको अपने अनुसार चलाता रहता है।अगर किसी प्रकार हम समय को अपने अनुसार चला सक

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मेरे अंदर का लेखक

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इच्छा शक्ति….. क्या आप इच्छा शक्ति को मानते हैं? क्या आपको विश्वास है कि हमारी इच्छाओं में भी शक्ति होती है?जी हां ! इच्छा शक्ति….मुझे तो पूर्ण विश्वास है, की इच्छा में अतुल्य शक्ति होती है। वह कहते ह

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2070 की दुनिया

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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

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अगर हम जिंदगी में कुछ पाना चाहते हैं तो हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए। क्योंकि हम जैसा सोचते हैं, और जैसे शब्दों का उच्चारण करते हैं, हमारे आसपास वैसी ही ऊर्जा एकत्रित होने लगती है।हम जब पूजा करते वक

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मेरी यादगार दिवाली

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अक्सर बच्चे अपने बड़ों से सीखते हैं। चाहे उन्हें कुछ सिखाया जाए या फिर नहीं पर अपने आसपास होती घटनाओं व बातों पर उनका ध्यान हमेशा रहता है और जाने अनजाने में हम उन्हें बहुत कुछ सिखा देते हैं।दीपावली का

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देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह और कुछ चमत्कारिक उपाय जो आपका जीवन बदल देंगे

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लिथियम एक ऐसी धातु है जिसने आज के युग में क्रांति ला दी है। यह आवर्त सारणी का तीसरा तत्व है और बहुत ही हल्की धातु है। इसका प्रमुख उपयोग बैटरी बनाने के लिए किया जाता है जो कि लै

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चुनाव शब्द से हम सब भली भांति वाकिफ हैं। हमारे देश में अलग-अलग स्तरों पर अलग-अलग चुनाव होते हैं जिसमें से एमसीडी यानी कि मुंसिपल कॉरपोरेशन डिवीजन का चुनाव अपना ही महत्व रखता है।भारत की राजधानी दिल्ली

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होलीका दहन हिंदू धर्म के एक प्रमुख त्योहार है, जो भारत में हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग होली का त्योहार मनाते हैं और रंगों से खेलते हैं।होली का दहन भारत के विभिन्न हिस्सों

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आईपीएल और आईपीएल से जुड़े विवाद,कहां तक है यह सत्य जनाब,मैच फिक्सिंग की धांधलेबाजियां,लूट ले गए वह सारे खिताब..धूल में मिले जो बैठे थे बन हमारे सरो ताज,उठे जब सबके चेहरों से नकाब,खुल गए सारे ढके हुए र

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