पुराने कवि को
मुहरें मिलती थीं
या जायदाद मनचाही
या झोंपड़ी के आगे राजा का हाथी बँधवाने का
सन्दिग्ध गौरव,
या यश,
प्रशंसा,
दो बीड़े पान,
कंकण, मुरैठा,
वाहवाही।
या जिसे कुछ नहीं मिलता था
उस की सान्त्वना थी
बहुत-सी सन्तान
भरा-पुरा खानदान
हम तुम, दोस्त, नये कवि बेचारे
प्रजातन्त्र में पाते हैं
प्रजापत्य विरोधी नारे
दो या तीन बच्चे बस!
यह कि हम ने ईजाद किया
यही एक नया रस?